तालिबान और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ रहा है. 9 अक्टूबर को पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर हवाई हमले किए, जो तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के ठिकानों पर थे. ये झड़पें खैबर-पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में भी हो रही हैं. ये पूर्ण युद्ध नहीं, बल्कि बॉर्डर क्लैश और एयर स्ट्राइक हैं. पाकिस्तान की फौज के पास आधुनिक हथियार हैं, जबकि तालिबान US के छोड़े पुराने हथियारों पर निर्भर.
पाकिस्तान ने हवाई हमले, ड्रोन स्ट्राइक और ग्राउंड ऑपरेशन में ये हथियार यूज किए. मुख्य फोकस TTP ठिकानों पर हमला करना था.
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JF-17 थंडर फाइटर जेट: हवाई हमलों के लिए.

बुराक ड्रोन: TTP लीडर्स को टारगेट करने के लिए.

शाहपार II ड्रोन: बॉर्डर क्लैश में निगरानी और स्ट्राइक के लिए.
H-4 स्टैंड-ऑफ वेपन (SOW): एयर स्ट्राइक में बम गिराने के लिए.
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AK-47 और G3 राइफल: ग्राउंड क्लैश में सैनिकों द्वारा
तालिबान के पास US के छोड़े $7 बिलियन के हथियार हैं, लेकिन रखरखाव की कमी से ज्यादातर खराब. वे छोटे हथियार और IED यूज करते. हवाई ताकत न के बराबर.

M4 कार्बाइन राइफल: US द्वारा छोड़ी गई, बॉर्डर क्लैश में यूज.
RPG-7 लॉन्चर: पाकिस्तानी पोस्ट पर हमले के लिए.

PKM मशीन गन: ग्राउंड फाइट में.
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DShK हैवी मशीन गन: बॉर्डर पोस्ट पर फायरिंग.

IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस): काफिलों पर हमले के लिए.
पाकिस्तान की हवाई ताकत (JF-17, ड्रोन) तालिबान को आसानी से हिट करती है. तालिबान के पास कोई फाइटर जेट या एयर डिफेंस नहीं, इसलिए हमले रोक नहीं पाए. लेकिन तालिबान छोटे हथियारों और IED से ग्राउंड में जवाब देता. US हथियार (M4, RPG) तालिबान को ताकत देते हैं लेकिन रखरखाव की कमी से 50% बर्बाद. पाकिस्तान की मिसाइलें (H-4) लंबी रेंज वाली है. तालिबान के पास मिसाइलें नहीं है.