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तेजस और राफेल फाइटर जेट के साथ जोड़ी जाएगी रुद्रम-1 मिसाइलें... वायुसेना की बढ़ जाएगी ताकत

Indian Air Force राफेल और तेजस फाइटर जेट्स में Rudram-1 मिसाइल लगाने की प्लानिंग कर रही है. यह भारत में ही बनी हवा से सतह और जमीन पर मार करने वाली नई जेनरेशन की एंटी-रेडिएशन मिसाइल है. इसकी रेंज और स्पीड का फायदा वायुसेना को मिलेगा. काफी दूर से ही दुश्मन टारगेट को ध्वस्त किया जा सकता है.

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भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट से परीक्षण के दौरान दागी जाती रुद्रम-1 मिसाइल. (फोटोः DRDO)
भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट से परीक्षण के दौरान दागी जाती रुद्रम-1 मिसाइल. (फोटोः DRDO)

भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) अपने फाइटर जेट्स राफेल और तेजस एमके-1ए में रुद्रम-1 (Rudram-1) मिसाइल जोड़ने की योजना बना रहा है. रुद्रम-1 नई जेनरेशन का एंटी-रेडिएशन मिसाइल (NGARM) है, जिसे हवा से सतह पर मार करने के लिए बनाया गया है. 

यह मिसाइल जुड़ने से भारतीय वायुसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. क्योंकि रुद्रम मिसाइल सुपरसोनिक भी है, और हाइपरसोनिक भी. अगर रुद्रम-1 मिसाइल की बात करें तो 600 किलोग्राम वजनी इस मिसाइल की लंबाई 18 फीट है. इसमें 55 किलोग्राम वजनी प्री-फ्रैगमेंटेड वॉरहेड लगाया जाता है.  

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Rudram-1 Missile, Rafale Fighter Jet, Tejas Fighter Jet, Indian Air Force
भारतीय वायुसेना के सुखोई सू-30एमकेआई से परीक्षण के दौरान दागी जाती रुद्रम-1 मिसाइल. (फोटोः DRDO)

रुद्रम-1 मिसाइल की रेंज 150 किलोमीटर है. यानी राफेल या तेजस फाइटर जेट इतनी दूर से ही दुश्मन पर हवाई हमला कर सकते हैं. उन्हें दुश्मन के टारगेट के नजदीक जाने की जरूरत नहीं होगी. यह मिसाइल लॉन्च होने वाली जगह से और ऊपर जा सकती है. यानी एक किलोमीटर से लेकर 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाती है. 

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देश में बनी है मिसाइल, स्पीड भी घातक

रुद्रम-1 मिसाइल मैक-2 यानी 2470 km/hr की रफ्तार से टारगेट की तरफ बढ़ती है. अभी इसे राफेल और तेजस में लगाने का प्लान है. लेकिन बाद में वायुसेना इसे तेजस एमके-2, एएमसीए और टेडबीएफ फाइटर जेट्स में भी लगाने का प्लान है. फिलहाल यह मिसाइल MiG-29UPG, डैसो मिराज 2000 और Su-30MKI में लगी है. 

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आइए जानते हैं दोनों फाइटर जेट्स की ताकत... 

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तेजस-एमके1ए फाइटर जेट... 

तेजस एमके-1ए फाइटर जेट में डिजिटल फ्लाई बाय वायर फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर (DFCC) को लगाया गया है. DFCC का साधारण भाषा में मतलब होता है कि फाइटर जेट से मैन्यूअल फ्लाइट कंट्रोल्स हटाकर इलेक्ट्रॉनिक इंटरफेस लगाना. यानी कंप्यूटर विमान को उड़ाते समय पायलट के मुताबिक संतुलित रखता है. इस सिस्टम से राडार, एलिवेटर, एलिरॉन, फ्लैप्स और इंजन का नियंत्रण इलेक्ट्रॉनिक तरीके से होता है. फ्लाई बाय वायर फाइटर जेट को स्टेबलाइज करता है. यह विमान को सुरक्षित बनाता है. 

अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है तेजस

विमान के उन्नत संस्करण, तेजस एमके-1ए में उन्नत मिशन कंप्यूटर, उच्च प्रदर्शन क्षमता वाला डिजिटल फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर (DFCC Mk-1A), स्मार्ट मल्टी-फंक्शन डिस्प्ले (SMFD), एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (AESA) रडार, एडवांस्ड सेल्फ-प्रोटेक्शन जैमर, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट आदि सुविधाएं हैं. 

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यह फाइटर जेट वैसे तो तेजस एमके-1 की तरह ही है, इसमें कुछ चीजें बदली गई हैं. जैसे इसमें अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूईट, उत्तम एईएसए राडार, सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर, राडार वॉर्निंग रिसीवर लगा है. इसके अलावा इसमें बाहर से ECM पॉड भी लगा सकते हैं. 

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2200 km/hr की स्पीड, 739 km की कॉम्बैट रेंज

मार्क-1ए पिछले वैरिएंट से थोड़ा हल्का है. लेकिन यह आकार में उतना ही बड़ा है. यानी 43.4 फीट की लंबाई. 14.5 फीट की ऊंचाई. अधिकतम 2200 km/hr की स्पीड से उड़ान भर सकता है. कॉम्बैट रेंज 739 किलोमीटर है. वैसे इसका फेरी रेंज 3000 किलोमीटर है. 

यह विमान अधिकतम 50 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. इसमें कुल मिलाकर 9 हार्ड प्वाइंट्स हैं. इसके अलावा 23 मिलिमीटर की ट्विन-बैरल कैनन लगी है. हार्डप्वाइंट्स में 9 अलग-अलग रॉकेट्स, मिसाइलें, बम लगा सकते हैं. या फिर इनका मिश्रण कर सकते हैं. 

राफेल फाइटर जेट की ताकत... 

राफेल और यूरोफाइटर का विकास एक फाइटर जेट की तरह ही हुआ था. लेकिन बाद में फ्रांस ने राफेल को प्रोजेक्ट से अलग कर लिया था. भारतीय वायुसेना में 36 राफेल फाइटर जेट्स हैं. इसे एक या दो पायलट उड़ाते हैं. यह 50.1 फीट लंबी, विंगस्पैन 35.9 फीट और ऊंचाई 17.6 फीट है. 

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इसकी अधिकतम गति 1912 KM/घंटा है. लेकिन कॉम्बैट रेंज 1850 किमी है. ऑपरेशनल रेंज 3700 KM है. यह अधिकतम 51,952 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. यह एक सेकेंड में 305 मीटर की सीधी उड़ान भरने में सक्षम है. इसमें 30 मिमी की ऑटोकैनन लगी है, जो 125 राउंड प्रति मिनट दागती है. 

इसके अलावा इसमें 14 हार्डप्वाइंट्स हैं. इसमें एयर-टू-एयर, एयर-टू-ग्राउंड, एयर-टू-सरफेस, न्यूक्लियर डेटरेंस मिसाइलें लगा सकते हैं. इसके अलावा कई अन्य तरह के बमों को भी तैनात किया जा सकता है. 

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