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AGR केस में टेलीकॉम कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से झटका, ग्राहकों को भी नहीं मिलेगी राहत

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को टेलीकॉम कंपनियों की इस याचिका को ठुकरा दिया है कि एजीआर की मांग में कैलकुलेशन यानी गणना की गलती है. इसका मतलब यह है कि टेलीकॉम कंपनियों को पूरा बकाया चुकाना ही होगा.

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सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका (फाइल फोटो: PTI)
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका (फाइल फोटो: PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • टेलीकॉम कंपनियोंं को राहत नहीं
  • एजीआर की फिर से गणना की मांग थी

एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) के मामले में टेलीकॉम कंपनियों भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट से झटका मिला है. 

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को टेलीकॉम कंपनियों की इस याचिका को ठुकरा दिया है कि एजीआर की मांग में कैलकुलेशन यानी गणना की गलती है. इसका मतलब यह है कि टेलीकॉम कंपनियों को पूरा बकाया चुकाना ही होगा. इस तरह ग्राहकों को भी राहत नहीं मिलेगी. एजीआर का बकाया चुकाने के लिए टेलीकॉम कंपनियों पहले से ही टैरिफ बढ़ाती रही हैं और आगे भी बढ़ा सकती हैं. 

क्या थी कंपनियों की मांग 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में AGR बकाया की फिर से गणना कराने से इनकार करते हुए इन कंपनियों की याचिकाएं खारिज कर दीं. इन कंपनियों ने कहा था कि उनका AGR बकाया सही ढंग से आकलित नहीं किया गया है; लिहाजा नियम शर्तों को ध्यान में रखते हुए उनकी फिर से गणना होनी चाहिए. तब वो भुगतान करेंगे. 

क्या है एजीआर केस 

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एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूजेज और लाइसेंसिंग फीस है. इसके दो हिस्से होते हैं- स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस, जो क्रमश 3-5 फीसदी और 8 फीसदी होता है. इसको लेकर दूरसंचार विभाग और टेलीकॉम कंपनियों के बीच विवाद था. 

इसके पहले पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) के मामले में टेलीकॉम कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें एजीआर बकाया चुकाने के लिए 10 साल की मोहलत दे दी थी. कोर्ट ने कहा कि टेलीकॉम कंपनियों को बकाये का 10 फीसदी 31 मार्च 2021 तक चुकाना होगा.  

 

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