Exclusive: 13 साल की उम्र में पिता को खोया, मां ने पूरा किया विशाल जेठवा के एक्टर बनने का सपना, जीतेंगे ऑस्कर?

फिल्म 'होमबाउंड' से दर्शकों का दिल जीत रहे एक्टर विशाल जेठवा ने आजतक डॉट इन संग खास बातचीत की. इसमें उन्होंने मुंबई की चाल से बॉलीवुड स्टार बनने के अपने सफर के बारे में बताया. साथ ही पिता को याद किया. 'होमबाउंड' को ऑस्कर 2026 में एंट्री मिल गई है.

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सपनों को जी रहे हैं एक्टर विशाल जेठवा (Photo: Instagram/@vishaljethwa06) सपनों को जी रहे हैं एक्टर विशाल जेठवा (Photo: Instagram/@vishaljethwa06)

पल्लवी

  • नई दिल्ली,
  • 30 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:57 PM IST

टीवी इंडस्ट्री से बॉलीवुड में एंट्री करने और फिल्मी दुनिया को अपना दीवाना बनाने वाले एक्टर विशाल जेठवा अब ऑस्कर तक पहुंच गए हैं. 26 सितंबर को विशाल की फिल्म 'होमबाउंड' भारतीय सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. दो दोस्तों, जात-पात और सपनों को पूरा करने की इस दिल तोड़ने वाली कहानी में विशाल जेठवा ने बढ़िया काम किया है. पिक्चर में उनके साथ ईशान खट्टर और जाह्नवी कपूर भी हैं. आजतक डॉट इन ने विशाल जेठवा संग खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने अपने सफर के बारे में बताया. साथ ही पिता को याद किया.

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असफलता को अपना दोस्त बनाया है

विशाल जेठवा, एक्टिंग में एंट्री करने से पहले मुंबई के चाल में रहते थे. ऐसे में हमने उनसे पूछा कि चाल से निकलकर होमबाउंड तक पहुंचने का उनका सफर कैसा रहा? जवाब में विशाल ने कहा, 'मेरा सफर बहुत लंबा था. 15-16 साल हो गए हैं जबसे मैंने इंडस्ट्री में कदम रखा था. बहुत सारे उतार चढ़ाव रहे. मैं शुक्रिया कहना चाहूंगा मेरे बेस्ट फ्रेंड्स का, जिसका नाम है फेलियर (असफलता) और रिजेक्शन. बहुत सारे फेलियर और रिजेक्शन को अपना दोस्त बनाया है मैंने. बहुत कुछ फेस किया है.'

उन्होंने आगे कहा, 'हजारों ऑडिशन दिए होंगे तब जाकर एक या दो में आपका नंबर लगता है. हर जगह मैसेज करते रहना, हर जगह कॉल करना, उनसे मिलने की कोशिश करना और अपने साफ इरादे से काम करते रहना. कभी सेल्फ डाउट होता है. कभी रोना आता है. कभी डायरेक्टर की डांट पड़ती है. ये सारी चीजें जिंदगी में देखी है मैंने. उतार-चढ़ाव के साथ. और मैं कभी भी अतीत में जमे रहने वाला नहीं रहा. आगे बढ़ता रहा हूं मैं. लेकिन जिंदगी धीमी गति में चली है. इसलिए शायद उसकी अहमियत भी ज्यादा है. अब जब मैं अपनी स्टोरी को सुनता हूं बतौर ऑडियंस बाहर से, तब मुझे ऐसा लगता है कि यार मुझे खुद पर गर्व है. मैं अपने आप पर बहुत गर्व करता हूं, अपनी जर्नी पर बहुत गर्व करता हूं. इसमें बहुत बड़ा हाथ फैमिली सपोर्ट का था.'

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मां ने दिया साथ-पिता को होगा गर्व

गरीब घर से आने वाले विशाल जेठवा के पेरेंट्स का योगदान उनकी जर्नी में बड़ा रहा है. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनकी मां घर-घर काम किया करती थीं. आजतक से बातचीत में एक्टर ने कहा, 'मेरी मम्मी हमेशा सपोर्टिव रही हैं मेरी इस जर्नी में, बहुत ज्यादा. शुरुआत से ही उन्हें लगता था कि मैं कुछ अच्छा कर सकता हूं. एक्टिंग क्लास में मुझे जाने की इच्छा थी, उन्होंने कभी उसमें शक नहीं किया. मैंने शौक के लिए इसकी बात थी. मां ने इनस्टॉलमेंट पर क्लास के पैसे भरे और मैंने एक्टिंग क्लास जॉइन की. यू स्टार थिएटर ग्रुप करके एक बड़ा ही छोटा-सा एक्टिंग क्लास था, जिसे नाम से शायद कोई जानता नहीं है. मीरा रोड में एक एक्टिंग क्लास थी तो मैंने बस शौक में वहां पर देखकर जॉइन करने का प्लान किया. मां ने मुझे सरप्राइज दिया कि हमने जॉइन कर लिया है. मैं खुश हो गया था.'

उन्होंने आगे कहा, 'जब मेरे पापा थे तब वो यूं ही मस्ती में कहते थे कि मेरा बेटा हीरो है. एक दिन कहीं से मुझे ऑडिशन के लिए बचपन में कोई लेकर गया था. तब उन्होंने आसपास के सभी लोगों को बुला-बुलाकर बोला था कि मेरा बेटा हीरो बन गया. उन्होंने ऐसा क्यों कहा मुझे नहीं पता लेकिन इसीलिए मैंने वो पोस्ट भी शेयर की थी कि आज पापा होते तो बहुत खुश होते. जैसे ही ऑस्कर के लिए मेरी फिल्म एंटर हुई, मैंने वो लिखा था. पापा होते तो बहुत खुश होते, उन्हें अच्छा लगता था. ऐसे पलों में अपनी फैमिली के लोगों को मैं याद करता हूं.'

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पिता के साथ आपका रिश्ता कैसा था?

इंटरव्यू के दौरान विशाल जेठवा ने अपने पिता को याद किया. उन्होंने बताया कि जब वो 13 साल के थे तब उन्होंने अपने पिता को खो दिया था. विशाल ने कहा, 'मुझे (उनके साथ) इक्वेशन के बारे में ज्यादा पता ही नहीं चला, क्योंकि मैं 13 साल का था और पापा गुजर गए. मुझे जितना याद है, मेरे पिता बहुत ही साफ दिल के और बहुत ही सपोर्टिव इंसान थे, मददगार इंसान थे. वो बहुत सारे लोगों को गांव से यहां पर लेकर आए थे, काम करने के लिए, सिखाने के लिए, ताकि वो लोग गांव से निकलकर शहर में कुछ कर सकें. उनका यही नेचर था. बहुत भोले थे. सेंसीटिव थे.'

एक्टर ने आगे कहा, 'मुझे ऐसा लगता है कि मैं काफी हद तक उनके जैसा ही हूं. मुझे खुश करना भी आसान है, दुखी करना भी आसान है. मुझे भी पसंद है लोगों की किसी न किसी तरीके से मदद करना, उनको आगे लेकर आना. ये सारी चीजें मुझे पसंद हैं. मेरी इक्वेशन पापा के साथ कैसी थी वो पता चलने के लिए थोड़ा समय कम मिला. (उनके जाने के बाद जिंदगी मुश्किल थी.) जिम्मेदारियां थोड़ी जल्दी आ गईं. इस बात का एहसास तब नहीं हुआ, जब मैं बड़ा हूं तब एहसास हुआ कि अरे मैंने छोटी उम्र में काम करना शुरू किया था. जबकि जिस उम्र में मैं जी रहा हूं उस उम्र में लोग कॉलेज में जाकर मस्ती-मजाक करते हैं. दोस्तों के साथ लोनावला घूमने जाते हैं, आउट ऑफ कंट्री ट्रिप करते हैं. ये सब चीजें मुझे लगती थी.'

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विशाल जेठवा की फिल्म 'होमबाउंड' का प्रीमियर कान्स फिल्म फेस्टिवल 2025 में हुआ था. इस प्रतिष्ठित फेस्टिवल में डायरेक्टर नीरज घेवान की इस फिल्म को 9 मिनट की स्टैंडिंग ओवेशन मिली थी. इसके अलावा टोरोंटो फिल्म फेस्टिवल 2025 और मेलबर्न फिल्म फेस्टिवल 2025 में भी इसकि स्क्रीनिंग हुई थी. ऑस्कर अवॉर्ड 2026 में 'होमबाउंड' को भारतीय की तरफ से ऑफिशियल एंट्री के रूप में भेजा गया है.

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