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'MBS को पसंद करता हूं, चुनाव जीता तो...', ट्रंप ने सऊदी अरब को लेकर कर दिया बड़ा वादा

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले सऊदी अरब को लेकर बड़ा वादा किया है. उन्होंने बाइडेन प्रशासन पर सऊदी को रूस और चीन की तरफ धकेलने का आरोप लगाया. बाइडेन ने सऊदी क्राउन प्रिंस एमबीएस की भी तारीफ की है.

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डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब को लेकर बड़ा वादा किया है (Photo- Reuters)
डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब को लेकर बड़ा वादा किया है (Photo- Reuters)

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिक पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों से पहले सऊदी अरब से बड़ा वादा किया है. जो बाइडेन प्रशासन में सऊदी अरब के साथ अमेरिका के खट्टे-मीठे रिश्तों के बीच ट्रंप ने वादा किया कि अगर वो राष्ट्रपति बनते हैं तो हमेशा सऊदी अरब की रक्षा करेंगे.

ब्लूमबर्ग बिजनेसवीक से बात करते हुए ट्रंप ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) की खूब तारीफ की है. दुनिया के शीर्ष तेल उत्पादकों में शामिल सऊदी को लेकर ट्रंप ने कहा, ' मुझे नहीं लगता कि अमेरिका में तेल और गैस उत्पादन को बढ़ाने से सऊदी अरब या MBS नाराज होंगे. वो मुझे पसंद करते हैं, मैं उन्हें पसंद करता हूं, उन्हें हमेशा सुरक्षा की जरूरत होगी और मैं हमेशा उनकी रक्षा करूंगा.'

ट्रंप ने कहा कि पिछले 6 महीनों में उन्होंने सऊदी क्राउन प्रिंस से बात की है. ट्रंप के इस ऐलान से माना जा रहा है कि अगर वो राष्ट्रपति बनते हैं तो सऊदी अरब के साथ रिश्ते सुधारना उनकी सबसे अहम प्राथमिकताओं में शामिल होगा.

राष्ट्रपति बने तब पहले विदेशी दौरे में सऊदी गए थे ट्रंप

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साल 2017 में जब ट्रंप राष्ट्रपति चुनकर आए थे तब अपने पहले विदेशी दौरे में सऊदी अरब गए थे. ट्रंप के कार्यकाल में सऊदी अरब-अमेरिका के रिश्ते काफी मजबूत थे लेकिन जब जनवरी 2021 में बाइडेन सत्ता में आए तब उन्होंने मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर सऊदी अरब को निशाने पर लिया जिससे दोनों देशों के रिश्तों में तनाव पैदा हो गया. हालांकि, बाद के सालों में बाइडेन ने सऊदी के साथ रिश्तों में स्थिरता लाने की कोशिश की है.

ट्रंप ने बाइडेन प्रशासन पर आरोप लगाया कि सऊदी अरब को लेकर उनकी विदेश नीति ने उसे पश्चिम से दूर चीन के साथ कर दिया है.  उन्होंने कहा, 'सऊदी अरब अब हमारे साथ नहीं है...अब वो चीन के साथ है. लेकिन वो चीन का साथ नहीं चाहता बल्कि वो हमारे साथ रहना चाहता है.'

पिछले साल ही चीन की मध्यस्थता में सऊदी अरब ने अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी ईरान के साथ रिश्तों को बहाल किया था. 

बाइडेन प्रशासन सऊदी अरब पर यह आरोप भी मढ़ता रहा है कि वो रूस का पक्ष लेता है. सऊदी पर अमेरिकी प्रशासन की तरफ से यह भी आरोप लगाया कि पिछले साल हुए मध्यावधि चुनावों के दौरान सऊदी ने जानबूझकर तेल उत्पादन बढ़ा दिया था ताकि ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी को फायदा हो.

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अमेरिका और सऊदी अरब के रिश्ते परस्पर लाभ की नींव पर आधारित है. अमेरिका जहां सऊदी अरब के विशाल तेल भंडार से फायदा उठाता है वहीं, सऊदी अरब को बदले में अमेरिका से सुरक्षा की गारंटी मिली हुई है.

बाइडेन प्रशासन और सऊदी के रिश्ते

बाइडेन जब सत्ता में आए तब उन्होंने सऊदी के मानवाधिकार रिकॉर्ड की खूब आलोचना की. उन्होंने वाशिंगटन पोस्ट के सऊदी पत्रकार जमाल खाशोज्जी की तुर्की स्थित सऊदी दूतावास में हत्या के लिए एमबीएस को जिम्मेदार ठहराया. बाइडेन का मानना था कि सऊदी सरकार के आलोचक खाशोज्जी की हत्या में एमबीएस का हाथ था.
 
हालांकि, बाद के सालों में बाइडेन ने सऊदी के साथ अपने रिश्तों को सुधारने की कोशिश की और साल 2022 में सऊदी अरब पहुंचकर क्राउन प्रिंस सलमान से मुलाकात की.

अमेरिका से तनाव के बीच सऊदी अरब ने उसके कट्टर दुश्मन रूस और चीन के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाया है. तेल उत्पादक देशों ओपेक प्लस के अहम सदस्य सऊदी अरब और रूस ने अमेरिका की आपत्तियों के बावजूद साथ मिलकर तेल उत्पादन में कटौती की है जिससे तेल की कीमतों को बढ़ाया जा सके.

कुछ समय पहले ही ब्लूमबर्ग ने खबर थी कि सऊदी अरब रूस के लिए अमेरिका के नेतृत्व वाले जी-7 के खिलाफ खड़ा हो गया था. दरअसल, जी-7 देश मिलकर यूक्रेन के साथ युद्ध के लिए विदेशों में ब्लॉक की गई रूसी संपत्ति को जब्त करना चाहते थे. वो चाहते थे कि रूसी संपत्ति को जब्त कर उसे यूक्रेन में पुनर्निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जाए. लेकिन सऊदी ने इसका कड़ा विरोध किया था जिसके बाद जी-7 ने अपने कदम पीछे खींच लिए थे.

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