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Somnath and Ayodhya: पहले सोमनाथ, अब अयोध्या... फीनिक्स पक्षी की तरह उठ खड़ी हुईं गजनवी-मीर बाकी की मिटाईं सनातन विरासतें

भारत के पश्चिमी समुद्री छोर पर गुजरात में स्थित अत्यन्त प्राचीन व ऐतिहासिक सोमनाथ का शिव मन्दिर भारतीय इतिहास तथा हिन्दुओं के चुनिन्दा और महत्वपूर्ण मन्दिरों में से एक है. 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था, जिसका उल्लेख ऋग्वेद में स्पष्ट है. पौराणिक ग्रंथों में इस मंदिर की भव्यता का वर्णन है.

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सोमनाथ और अयोध्या के मंदिर की कहानी.
सोमनाथ और अयोध्या के मंदिर की कहानी.

गुजरात का सोमनाथ मंदिर और अयोध्या का राम जन्मभूमि स्थान... दोनों इतिहास के दो ऐसे प्रतीक हैं जिन्हें विदेशी आक्रांता मिटा गए, लेकिन जिनका फिर से गौरव वापस लौटा. महमूद गजनवी के द्वारा गिराए गए सोमनाथ मंदिर का निर्माण आजादी के बाद 1950 में सरदार वल्लभ भाई पटेल की पहल से हुआ था. इसी सोमनाथ से साल 1990 में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अयोध्या के लिए रथयात्रा की शुरुआत की थी ताकि राम मंदिर आंदोलन को धार दी जा सके. आज इसके 34 साल बाद मोदी सरकार के काल में भगवान राम के जन्मस्थान पर राम मंदिर भव्य रूप में बनकर तैयार हुआ है. ध्वंस से पुनर्निर्माण की ये महागाथा भारतीय इतिहास की हमेशा सुनाई जाने वाली अमरगाथा होगी.

'यूनान, मिस्र, रोमा सब मिट गए जहां से,
बाकी मगर अभी तक नामों निशां हमारा,
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी,
सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़मां हमारा...'

अल्लामा इकबाल के ये तराने हिंदुस्तानी संस्कृति और सनातनी परंपरा पर एकदम सटीक बैठते हैं. दुनिया में तमाम संस्कृतियां उपजीं, फली, फैलीं और फिर मिटकर वक्त की गर्द में कहीं समा गईं लेकिन सनातनी संस्कृति सदियों से थी... है... और रहेगी. इनके निशां मिटाने की कोशिशें जिन भी विदेशी आक्रांताओं की ओर से हुईं वो खुद समय के साथ मिट गए लेकिन हिंदुस्तानी संस्कृति के ये प्रतीक विश्व फलक पर फिर से फीनिक्स पक्षी की भांति उठ खड़े हुए.

सोमनाथ, अयोध्या और फीनिक्स...

पहले बर्बर हमलावर महमूद गजनवी के ध्वस्त किए सोमनाथ के मंदिर और फिर अयोध्या में बाबर के सिपहसालार मीर बाकी द्वारा ध्वस्त किए राम मंदिर के फिर से पूरे शान-ओ-शौकत और भव्यता के साथ उठ खड़े होने की कहानी भी किसी फीनिक्स पक्षी के जिंदा हो जाने से कम गौरवमयी नहीं है. आप जरूर जानना चाहेंगे कि हम यहां फीनिक्स का जिक्र क्यों कर रहे हैं? दरअसल, फीनिक्स एक यूनानी मिथक कथाओं का बेहद रंगीन पक्षी है, जिसकी दुम सुनहरी या बैंगनी होती है. जिसका जीवनचक्र 500 से 1000 साल का होता है और सबसे चमत्कारिक होता है इसका अंत...

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सोमनाथ

फीनिक्स कल्पना है एक ऐसे पक्षी का जो न तो अंडे देता है और न ही उसके बच्चे होते हैं, लेकिन ये पक्षी अमर है… अमर इसलिए नहीं कि वो कभी मरता नहीं, बल्कि वो तो अपनी मृत्यु का इंतजाम खुद करता है फिर भी कभी खत्म नहीं होता. किवदंतियों के अनुसार फीनिक्स अब भी दुनियाभर में उड़ान भरता है. लेकिन हर 500 साल में जब वो कमजोर हो जाता है तो अपनी जड़ों की ओर लौट आता है. सुगंधित जड़ी-बूटियों से घोंसला बनाता है. सूर्य का आह्वान करता है उसके लिए गीत गाता है और सूर्य की किरण से आग में तब्दील हो जाता है. अपनी ही राख से वो फिर नया जन्म लेता है और फिर एक सुंदर जीवन की ओर बढ़ जाता है. सनानत के ये दो प्रतीक भी बार-बार मिटाए गए लेकिन फिर अपने गौरव के साथ उठ खड़े हुए.

सोमनाथ के ध्वंस और गजनवी की बर्बरियत

भारत के पश्चिमी समुद्री छोर पर गुजरात में स्थित अत्यन्त प्राचीन व ऐतिहासिक सोमनाथ का शिव मन्दिर भारतीय इतिहास तथा हिन्दुओं के चुनिन्दा और महत्वपूर्ण मन्दिरों में से एक है. 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था, जिसका उल्लेख ऋग्वेद में स्पष्ट है. पौराणिक ग्रंथों में इस मंदिर की भव्यता का वर्णन इस प्रकार है- सोमनाथ मंदिर का स्थान सरस्वती नदी के मुहाने से तीन मील से थोड़ा कम पश्चिम में था. यह मंदिर हिंद महासागर के तट पर स्थित था ताकि प्रवाह के समय मूर्ति इसके जल से स्नान कर सके. इस प्रकार वह चंद्रमा सदैव मूर्ति को स्नान कराने और उसकी सेवा करने में व्यस्त रहता था.

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सोमनाथ मंदिर

फिर आया साल 1024... भारत के सुदूर यानी आज के अफगान के गजनी शहर के 5000 बर्बर आक्रांताओं की टोली गजनी के महमूद की अगुवाई में हिंदुस्तान की धरती की ओर बढ़ती है. आक्रमण, जमकर लूट-पाट और खून-खराबा मचाया जाता है. सोमनाथ मंदिर में सोने का खजाना छुपे होने की सूचना पाकर गजनवी की सेनाएं सोमनाथ तक पहुंचती हैं, बर्बर आक्रांता मंदिर को ध्वस्त करते हैं, 50 हजार से अधिक लोगों का कत्लेआम किया जाता है. वे सोने के खजाने लूटकर ले जाते हैं और सनातन शिव के निशान मिटाने की पूरी कोशिश की जाती है.

तत्कालीन फारसी विद्वान अलबरूनी ने लिखा है- 'महमूद ने सोमनाथ मंदिर को नष्ट कर दिया.' वह महमूद के इरादों को इस प्रकार बताता है. 'लूटपाट और मूर्तिभंजन के उद्देश्य से की गई छापेमारी थी ये महमूद की. वह हिंदू मंदिरों से महंगी लूट लेकर गजनी लौट आया.'

इतिहासकार दावा करते हैं कि सोमनाथ का ये शिव मंदिर इतिहास के अलग-अलग कालखंडों में 17 बार लूटा और ध्वस्त किया गया लेकिन बार-बार बनता रहा. आखिरी बार मुगल बादशाह औरंगजेब ने इसे 1706 में गिराया. भारत में मुगल बर्बरियत का अंत मुगल काल के खात्मे के साथ ही हो गया लेकिन सोमनाथ की भव्यता के लौटने के लिए अंग्रेजी राज के खात्मे तक इतिहास को इंतजार करना पड़ा.

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सोमनाथ मंदिर

सोमनाथ के गौरव के लौटने की महागाथा

ध्वंस के करीब एक हजार साल बाद 1947 में भारत अंग्रेजी गुलामी से आजाद होता है और फिर सरदार पटेल की पहल से सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण 1950 में शुरू कराया गया. सौराष्ट्र के पूर्व राजा दिग्विजय सिंह ने 8 मई 1950 को मन्दिर की आधारशिला रखी तथा 11 मई 1951 को राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने मंदिर में ज्योतिर्लिंग स्थापित किया और मंदिर को राष्ट्र को समर्पित किया. तबसे अब तक सोमनाथ मंदिर-तीर्थधाम और भी भव्य होता गया है. आज 155 फीट ऊंचे सोमनाथ के विशाल मंदिर में एक मंजिला गर्भगृह है तथा शिखर तक यह 7 मंजिल का है. सभागृह व नृत्य मंडप 3-3 मंजिल के बने हैं. तीसरी मंजिल पर एक हजार कलश की आकृतियां बनी हैं. यह मंदिर 72 स्‍तंभों पर खड़ा है. सोमनाथ मंदिर को वैभव प्रदान करने के लिए मंदिर के गर्भगृह स्‍तंभों पर सोने का पानी चढ़ाया गया है. लाखों लोग हर साल सोमनाथ शिव के दर्शन के लिए दुनियाभर से पहुंचते हैं.

उधर महमूद गजनवी की विरासत के अवशेष...

अब बताते हैं सोमनाथ मंदिर के निशान मिटाने की कोशिश करने वाले महमूद गजनवी की विरासत क्या बची है? सदियों बीत जाने के बाद आज अफगानिस्तान का गजनी शहर एक बदहाल शहर है. गजनी के किले के सिर्फ अवशेष बचे हैं. गजनी के किले के अवशेष तो हैं लेकिन तालिबान राज के कारण न तो बाहर से कोई सैलानी आ पाता है और न ही वहां विकास का कुछ काम हो पाया है. सन्नाटे में गजनी में महमूद तो काबुल में बाबर की विरासत मिटती जा रही है.

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सोमनाथ मंदिर

अयोध्या पर बाबर और मीर बाकी का ग्रहण...

सोमनाथ के बाद अब बात अयोध्या की. साल 1525 में विदेशी आक्रांता बाबर का सिपहसालार मीर बाकी भगवान राम की नगरी अयोध्या में आता है. बाबर को खुश करने के लिए राम जन्मस्थान पर महाराज विक्रमादित्य के बनाए भव्य राम मंदिर का ध्वंस करता है और बाबरी मस्जिद बनवा देता है. तबसे सनातन परंपरावादी फिर से जन्मभूमि के गौरव को लौटाने के लिए संघर्ष में जुट जाते हैं. देश आजाद होता है. 1949 में बाबरी मस्जिद की मीनार के नीचे रामलला की मूर्ति अवतरित होती है, 1987 में विवादित जगह का ताला खुलता है और इसी के साथ मंदिर आंदोलन तेजी पकड़ता है. मामला अदालत में चलता रहता है. रथयात्रा, कारसेवा और सियासी जंगें होती हैं और फिर 9 नवम्बर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो जाता है. राम जन्मभूमि के गौरव के लौटने का ये सफरनामा इतना आसान भी नहीं है जितना इन चंद लाइनों में दिख रहा है.

बाबर और मीर बाकी की विरासत के अवशेष...

अयोध्या का गौरव आज लौट रहा है लेकिन मीर बाकी और बाबर के विरासत के अवशेष बस अब नाम के ही हैं. मीर बाकी ताशकंदी, जिसे मीर बाकी के नाम से जाना जाता है, मुगल सम्राट बाबर का कमांडर था. वह मूल रूप से ताशकंद (अब उज्बेकिस्तान में) का था. ऐसा माना जाता है कि अवध प्रांत का गवर्नर बना दिया गया था. उसने राम जन्मभूमि पर मंदिर गिराकर बाबरी मस्जिद की स्थापना कराई. मस्जिद के शिलालेखों के अनुसार मुगल बादशाह बाबर के आदेश पर मीर बाकी ने सन 1528-29 में इस मस्जिद का निर्माण किया था.

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कहा जाता है कि मीर बाकी ने मस्जिद बनाने के लिए उस वक्त की सर्वोत्तम जगह को चुना और रामकोट यानी राम के किले को इस कार्य के लिए चुना. साल 2003 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने भी पाया कि मस्जिद के नीचे एक पुराना खंडहर मौजूद है, जो हिंदू मंदिर से मिलता-जुलता है. 

राम मंदिर

बाद के काल में बाबर ने मीर बाकी को अपने दरबार से निकाल बाहर कर दिया था. दावा किया जाता है कि रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के केंद्र में रहे मीर बाकी की मजार कहीं और नहीं, अयोध्या के निकट सहनवा गांव में है. यह आज काफी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है. अफगानिस्तान के शहर काबुल में बाबर का मकबरा परिसर है. जहां न विकास की बयार है और न सैलानियों का तांता. वहीं, मुगल खानदान के वंशजों के बारे में दावा किया जाता है कि उनमें से कुछ कोलकता में स्थित झुग्गी-झोपड़ी में अपनी जिंदगी बसर कर रहे हैं.

अयोध्या के वैभव की वापसीगाथा...

बाबर-मीर बाकी के किए ध्वंस के करीब 500 साल बाद अयोध्या में जन्मस्थान पर भगवान राम का मंदिर अपनी भव्यता के साथ लौटा है. रामलला टेंट से भव्य मंदिर के गर्भगृह में विराजे हैं. भव्य राम मंदिर के निर्माण के साथ अब अयोध्या नगरी भी चमकती और गौरवशाली परंपराओं को संजोए साथ ही आधुनिक भी हो चली है. अयोध्या को देश की धार्मिक-आध्यात्मिक राजधानी के रूप में विकसित करने के लिए केंद्र के साथ-साथ यूपी सरकार भी जमकर पैसा खर्च रही है. पूरे शहर का तेजी से कायाकल्प हुआ है.

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राम मंदिर के निर्माण के लिए देशभर से लोगों ने भी दिल खोलकर दान दिया है. मंदिर निर्माण के लिए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने 11 करोड़ लोगों से 900 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन लगभग चार गुना रकम दान में मिल गई, और अभी समर्पण निधि का आना लगातार जारी है. इतना पैसा आया है कि उसके ब्याज से ही मंदिर का प्रथम तल बनकर तैयार हो गया. भव्य राम मंदिर में अभी प्राण प्रतिष्ठा के बाद दो फ्लोर और बनने हैं. 

राम मंदिर

राम मंदिर की लंबाई पूर्व से पश्चिम तक 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट है. ये मंदिर तीन मंजिला रहेगा. इसकी प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहनी है. मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार होंगे. वहीं फर्स्‍ट फ्लोर के गर्भ गृह में राम दरबार होगा. भव्य राम मंदिर में कुल 392 पिलर होंगे. वहीं गर्भगृह में 160 और ऊपरी तल में 132 खंभे होंगे. मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा.

सागौन की लकड़ी से बनाए गए मंदिर के दरवाजों पर सोने की परत चढ़ाई गई है. राम मंदिर में कुल 36 दरवाजे होंगे, जिसमें से 18 दरवाजे गर्भ गृह के होंगे. इन दरवाजों को खास तौर पर हैदराबाद के कारीगरों ने तैयार किया है. कन्नौज में खास गुलाब परफ्यूम बनाई गई है जिससे रामलला का दरबार महकेगा.

भव्य राम मंदिर बनने के साथ-साथ पूरी अयोध्या नगरी में जैसे विकास की लहर चल पड़ी है. रामपथ से लेकर सरयू घाट तक सब राम रंग में सजाए गए हैं. जानकारों का मानना है कि राम मंदिर के तैयार होने से अयोध्या में टूरिज्म 8-10 गुना बढ़ जाएगा. उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, साल 2021 में अयोध्या आने वाले टूरिस्ट की संख्या सिर्फ 3.25 लाख थी, जो 2022 में 85 गुना बढ़कर 2.39 करोड़ हो गई. अब अगर मंदिर बनने के बाद टूरिज्म 8 से 10 गुना बढ़ता है तो अनुमान है कि हर साल अयोध्या में 20-25 करोड़ टूरिस्ट आएंगे.

ram mandir

शहर में टूरिस्ट्स के लिए सुविधाओं का तेजी से विकास हो रहा है. अयोध्या में एक से बढ़कर एक होटल खुल रहे हैं. अयोध्या में शानदार रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट बनकर तैयार हो गए हैं. अयोध्या का महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा 1450 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है. वर्तमान एयरपोर्ट की पैसेंजर हैंडलिंग कैपेसिटी 10 लाख यात्री प्रति वर्ष की होगी, जबकि सेकंड फेज का काम पूरा होने के बाद यह क्षमता बढ़कर 60 लाख यात्री प्रति वर्ष तक पहुंच जाएगी. अयोध्या में भव्य रेलवे स्टेशन भी बनकर तैयार हो गया है. ये स्टेशन रोजाना 60 हजार यात्रियों को हैंडल कर सकता है. करीब 241 करोड़ रुपये की लागत से अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन बनाया गया है. अयोध्या के पुनर्विकास के लिए 10 साल का मास्टर प्लान तैयार किया गया है. शहर से बेहतर कनेक्टिविटी, स्मार्ट सिटी, ग्रीन टाउनशिप, सरयू के कायाकल्प‍ और पर्यटन स्थल जैसे कामों पर हजारों करोड़ खर्च करने का प्लान है.

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