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'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद A कैटेगरी में शामिल यूपी का ये जिला हाई अलर्ट, मॉक ड्रिल के लिए स्पेशल तैयारी, जानिए वजह

यूपी के 19 जिलों में मॉक ड्रिल होनी है. हालांकि, सबकी नजरें बुलंदशहर जिले पर टिकी हैं. क्योंकि, बुलंदशहर के नरोरा को A कैटेगरी (सबसे ज्यादा संवेदनशील) में शामिल किया गया है और ये हाई अलर्ट पर है.

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Mock Drill की सांकेतिक फोटो
Mock Drill की सांकेतिक फोटो

इंडियन आर्मी द्वारा 'ऑपरेशन सिंदूर' लांच करने के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ गया है. ऐसे में किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए आज यूपी के 19 जिलों में मॉक ड्रिल होनी है. हालांकि, सबकी नजरें बुलंदशहर जिले पर टिकी हैं. क्योंकि, बुलंदशहर के नरोरा को A कैटेगरी (सबसे ज्यादा संवेदनशील) में शामिल किया गया है और ये हाई अलर्ट पर है. इसकी वजह है यहां पर स्थित न्यूक्लियर अटॉमिक पावर स्टेशन (NAPS) और हाइड्रो थर्मल पावर प्लांट (अरनिया). 

आपको बता दें कि सुरक्षा के मद्देनजर नरोरा में शाम 4 बजे के बाद मॉक ड्रिल की जाएगी. बताया जा रहा है कि इस मॉक ड्रिल को अटॉमिक पावर प्लांट के साथ-साथ अरनिया स्थित हाइड्रो थर्मल पावर प्लांट और जिले के विभिन्न कॉमर्शियल संस्थानों- शुगर मिल, डिस्टलरी, शैक्षिक संस्थानों में आयोजित किया जाएगा.

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तीन श्रेणियों में बांटे गए हैं जिले 

मालूम हो कि मॉक ड्रिल के लिए तमाम जिलों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. कैटेगरी A में वे जिले हैं जो अत्यधिक संवेदनशील माने गए हैं, जैसे- बुलंदशहर, जहां एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थित है. कैटेगरी B और C में मध्यम और कम संवेदनशील जिले शामिल हैं. इन सभी जिलों में अलग-अलग परिस्थितियों के आधार पर रणनीतियां तय की गई हैं.

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गौरतलब है कि इस प्रकार की मॉक ड्रिल का मकसद न केवल सुरक्षा तंत्र की तैयारी को परखना है बल्कि आम नागरिकों में जागरूकता फैलाना भी है, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में जान-माल का नुकसान कम से कम किया जा सके. पुलिस-प्रशासन ने आम नागरिकों से सहयोग की अपील की है, साथ ही उन्हें डरने या अफवाहों से बचने की भी सलाह दी है.

मॉक ड्रिल में क्या होगा और क्या करना है? 

मॉक ड्रिल के दौरान लोगों को हवाई हमले की चेतावनी देने के लिए सायरन बजाए जाएंगे, बिजली और मोबाइल नेटवर्क को कुछ समय के लिए बंद किया जा सकता है, और शहरों में ब्लैकआउट जैसे हालात बनाए जा सकते हैं. 

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आपातकालीन टीमें लोगों को यह सिखाएंगी कि ऐसी स्थिति में कहां छुपना है, किससे संपर्क करना है और क्या जरूरी सामान अपने पास रखना है, जैसे पीने का पानी, जरूरी दवाएं, टॉर्च और रेडियो. रेडियो एक खास माध्यम होगा क्योंकि यह बिना इंटरनेट या मोबाइल नेटवर्क के भी सरकारी सूचनाएं प्रसारित कर सकता है. 

इस ड्रिल का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें सार्वजनिक घोषणाएं, ट्रैफिक डायवर्जन, फर्जी हमले के सीन, घायलों को निकालने का अभ्यास और निकासी योजना भी शामिल रहेगी. इससे आम नागरिक यह जान पाएंगे कि असली संकट के समय उन्हें किस दिशा में जाना है, कहां सुरक्षित स्थान होगा और किस सरकारी एजेंसी से मदद मिलेगी. 

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मॉक ड्रिल के दौरान यह भी बताया जा रहा है कि अगर कोई घायल होता है तो उसे कैसे कंधे पर बिठाकर या अन्य तरीकों से अस्पताल पहुंचाया जाए. वहीं, अगर युद्ध के दौरान विस्फोटक से आग लगती है तो कैसे आग को बुझाया जाए. देश के 244 जिलों में आज एक बड़ी मॉक ड्रिल आयोजित किया जा रहा है.

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