व्रत - त्योहार
दुनिया भर में, हिंदू विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाते हैं और व्रत करते हैं. यह परंपरा प्राचीन समय से निभाया जाता रहा है. बहुत त्योहार तो मौसम के परिवर्तनों के साथ मेल खाते हैं. ये उत्सव या तो सौर कैलेंडर (solar calendar) पर एक निश्चित तिथि होते हैं या चंद्र कैलेंडर (lunisolar calendar) के किसी विशेष दिन पर होते हैं. हिंदू कैलेंडर की तिथियां आमतौर पर एक चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित की जाती हैं. वैदिक कालक्रम में, एक मास चंद्र मास यानी चंद्र महीना (lunar month) होता है, एक पक्ष एक चंद्र पखवाड़ा होता (lunar fortnight) है और एक तिथि एक चंद्र दिवस (दिन) (lunar day) होता है. इसके अलावा चंद्र मास में दो पक्ष होते हैं ज 15 दिनों का होता है-एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष.
हिन्दू धर्म में सैंकड़ों व्रत और त्योहार है. साल शुरू होने से लेकर अंत तक कोई न कोई व्रत या त्योहार होता है. मकर संक्रांति, ओणम, पोंगल, लोहड़ी, होली, महाशिवरात्री, वसंत पंचमी, नवरात्रि, दशहरा, गणेश चतुर्थी, रक्षाबंधन, कृष्णजन्माष्टमी, करवां चौथ, रामनवमी, भाईदूज, उगादि, ओणम, हनुमान जयंती, गोवर्धन पूजा, काली पूजा, विष्णु पूजा, कार्तिक पूर्णिमा, नरक चतुर्थी, रथ यात्रा, गौरी हब्बा उत्सव, महेश संक्रांति, हरतालिका तीज, हरियाली तीज, धनतेरस, दीपावली, छठ आदि हिंदू त्योहर हैं (Festivals and Fasting). इनमे कुछ त्योहरों के साथ व्रत रखने की परंपरा है. त्योहार और व्रत करने के तरीको में क्षेत्रीय रूप से कुछ भिन्नताएं होती हैं. ऐसे कई त्यौहार हैं जो मुख्य रूप से विशिष्ट संप्रदायों या कुछ क्षेत्रों में मनाए जाते हैं (Regional Festivals).
Mokshada Ekadashi 2025: मोक्षदा एकादशी का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है और इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करना बहुत ही शुभ माना जाता है. ज्योतिषियों के अनुसार, मोक्षदा एकादशी पर कुछ गलतियां करने से सावधान रहना चाहिए.
December Vrat Tyohar List 2025: दिसंबर के महीने में मोक्षदा एकादशी, मार्गशीर्ष पूर्णिमा सहित कई बड़े और प्रमुख त्योहार आने वाले हैं, जिनके कारण यह महीना काफी अद्भुत रहेगा. तो चलिए जानते हैं कि दिसंबर के इस महीने में कौन से बड़े पर्व आने वाले हैं.
Adhik Maas 2026: साल 2026 में हिंदू पंचांग के अनुसार दो ज्येष्ठ महीने आएंगे, जिससे वर्ष 13 महीनों का होगा. इसे अधिकमास या पुरुषोत्तम मास कहा जाता है, जिसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है. यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित होता है और पूजा-पाठ, दान, जप-तप के लिए शुभ माना जाता है.
Gita Jayanti 2025: गीता जयंती वह दिन है जब भगवान श्री कृष्ण ने गीता ज्ञान को अर्जुन को समझाया था. ये मोक्षदा एकादशी पर देखा जा रहा है. इस वर्ष गीता जयंती 1 दिसंबर को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान कृष्ण के साथ श्रीहरि की पूजा-अर्चना भी की जाती है.
Vivah Panchami 2025: विवाह पंचमी का पर्व भगवान राम और देवी सीता की शादी की सालगिरह का प्रतीक है, जो प्रत्येक साल मार्गशीर्ष महीने में शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन मनाया जाता है. इस दिन भक्त भगवान राम और देवी सीता की पूजा करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन का उपवास रखने से भक्तों को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है.
Vivah Panchami 2025: भगवान श्रीराम चेतना के और माता सीता प्रकृति की शक्ति की प्रतीक हैं. इसलिए चेतना और प्रकृति के मिलन के दिवस के रूप में विवाह पंचमी की तिथि काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है.
Vivah Panchami 2025: विवाह पंचमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान श्रीराम और माता सीता के दिव्य विवाह की याद में मनाया जाता है. इस दिन अगर अविवाहित कन्याएं भगवान राम और माता सीता से जुड़े कुछ खास उपाय करें तो विवाह संबंधी अड़चनें दूर होने लगती हैं.
Vivah Panchami 2025: विवाह पंचमी का पर्व 25 नवंबर को मनाया जाएगा, जो भगवान श्रीराम और माता सीता के पवित्र विवाह की याद दिलाता है. इस दिन श्रीराम-माता सीता का पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है. ज्योतिषीय दृष्टि से यह दिन शुभ योगों से परिपूर्ण है, जो दांपत्य सुख और परिवार में समृद्धि लाने वाला माना जाता है.
Utpanna Ekadashi 2025: मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जाता है. यह दिन माता एकादशी के जन्म से जुड़ा है. मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान विष्णु के शरीर से देवी एकादशी की उत्पत्ति हुई थी. इसलिए पूजा-पाठ व दान-दक्षिणा के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है.
Vivah Panchami date 2025: विवाह पंचमी का पर्व भगवान राम और देवी सीता की शादी की सालगिरह का प्रतीक है, जो प्रत्येक साल मार्गशीर्ष महीने में शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन मनाया जाता है. इस दिन भक्त भगवान राम और देवी सीता की पूजा करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन का उपवास रखने से भक्तों को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है.
Kaal Bhairav Jayanti 2025: काल भैरव जयंती जिसे भैरव जयंती, काल भैरव अष्टमी या भैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का अत्यंत पवित्र पर्व है. इस दिन भगवान शिव के उग्र स्वरूप भैरव का जन्मोत्सव मनाया जाता है. भैरव अष्टमी का व्रत करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
Utpanna Ekadashi 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस दिन श्रीहरि और माता लक्ष्मी की उपासना की जाती है.
Saubhagya Sundari Teej:पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. उनके तप और निष्ठा से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया. तभी से यह व्रत वैवाहिक जीवन की स्थिरता, प्रेम और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है.
Tulsi Vivah 2025: तुलसी विवाह का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना गया है. कुछ लोग कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन तुलसी विवाह कराते हैं तो कुछ द्वादशी तिथि पर भी ये आयोजन संपन्न कराते हैं. धार्मिक मान्यताओं अनुसार, तुलसी विवाह कराने से परिवार में सुख-शांति आती है. तो आइए जानते हैं तुलसी विवाह की संपूर्ण विधि.
Tulsi Vivah 2025: तुलसी विवाह के दिन बहुत ही दुर्लभ संयोग का निर्माण होने जा रहा है. दरअसल, उस दिन धन-समृद्धि के देवता शुक्र और चंद्रमा दोनों का राशि परिवर्तन होने जा रहा है. तो चलिए जानते हैं कि कौन कौन सी राशियां लकी साबित होने वाली हैं.
Devuthani Ekadashi 2025 Shubh Muhurat: देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां तुलसी का पूजन किया जाता है. आज पूजन का पहला मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मिनट से शुरू होगा और उसका समापन दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर होगा.
Dev Uthani Ekadashi 2025: इस बार देवउठनी एकादशी 1 नवंबर को मनाई जाएगी. देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी माता का पूजन करना भी शुभ माना जाता है. तो चलिए जानते हैं कि देवउठनी एकादशी पर माता तुलसी को क्या क्या अर्पित करना चाहिए.
Tulsi Vivah 2025: हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व है. तुलसी का पौधा लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है. तो चलिए वास्तु शास्त्र के अनुसार जानते हैं कि तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पास कौन सी चीजों नहीं रखनी चाहिए.
Devuthani Ekadashi 2025: इस बार देवउठनी एकादशी का व्रत 1 नवंबर, शनिवार को रखा जाएगा. इस दिन श्रीहरि के साथ साथ माता तुलसी का पूजन करना बहुत ही शुभ माना गया है. तो चलिए जानते हैं कि देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी से जुड़े कौन से उपाय करने चाहिए.
Shukra Gochar 2025: इस साल तुलसी विवाह सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि ज्योतिषीय रूप से भी बेहद खास संयोग लेकर आया है. 2 नवंबर को जब भगवान विष्णु और तुलसी माता का विवाह संपन्न होगा, उसी दिन शुक्र तुला राशि में प्रवेश करेंगे. इस गोचर से कई राशियों के जीवन में रिश्तों की मधुरता और भाग्य की चमक एक साथ बढ़ती नजर आएगी.
Devuthani Ekadashi 2025: चार महीने के चातुर्मास के बाद 1 नवबंर को भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागेंगे, इसलिए इसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है. कहते हैं कि इस दिन जो भी श्रीहरि से मांगो, वह सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं. तो चलिए जानते हैं कि देवउठनी एकादशी से किन राशियों का गोल्डन टाइम शुरू होने वाला है.