नासा और इसरो के संयुक्त धरती-निगरानी उपग्रह मिशन NISAR ने एक बड़ा कीर्तिमान हासिल किया है. इस मिशन का विशाल रडार एंटीना रिफ्लेक्टर अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक खुल गया है, जिसकी पुष्टि @NASAJPL ने की है. यह मील का पत्थर है, जो इसे धरती के बदलते सतह का सटीक अध्ययन करने के लिए तैयार करता है. आइए, समझते हैं कि यह मिशन क्या है. कैसे काम करता है. इसका फायदा क्या होगा.
NISAR क्या है?
NISAR (नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार) एक ऐसा उपग्रह है, जो धरती की सतह पर होने वाले बदलावों को मापने के लिए बनाया गया है. इसे 30 जुलाई 2025 को भारत के श्रीहरिकोटा से इसरो के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था. यह उपग्रह धरती के ज्यादातर इलाकों को हर 12 दिन में दो बार स्कैन करेगा. इसका उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन और खाद्य-पानी की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर जानकारी देना है.
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एंटीना रिफ्लेक्टर का सफल खुलना
NISAR का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा इसका 12 मीटर व्यास का ड्रमनुमा रडार एंटीना रिफ्लेक्टर है. इसे लॉन्च के बाद सिकुड़ा हुआ रखा गया था. 9 अगस्त से 13 अगस्त तक इसे 9 मीटर के बूम पर धीरे-धीरे खोला गया. फिर 15 अगस्त को छोटे विस्फोटक बोल्ट फायर किए गए, जिससे यह "ब्लूम" प्रक्रिया शुरू हुई. यह प्रक्रिया एक छाता खोलने जैसी है, जिसमें तनाव छोड़कर एंटीना खुला और मोटर-केबल की मदद से अंतिम स्थिति में लॉक हो गया.
नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) के प्रोजेक्ट मैनेजर फिल बेरेला ने कहा कि यह नासा का अब तक का सबसे बड़ा एंटीना रिफ्लेक्टर है. इसे अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक खुलते देखना सालों की डिजाइन, टेस्टिंग और सहयोग का नतीजा है. यह एंटीना 64 किलोग्राम वजनी है. 123 कम्पोजिट स्ट्रट्स और सोने की परत वाली जाल से बना है.
यह कैसे काम करता है?
इस एंटीना की मदद से NISAR धरती की सतह में होने वाले बदलावों को सेंटीमीटर तक माप सकता है, चाहे मौसम बादल भरा हो, अंधेरा हो या जंगल हों. इसमें दो रडार सिस्टम हैं...
इसे "इंटरफेरोमेट्रिक SAR इमेजिंग" तकनीक से लैस किया गया है, जो समय के साथ ली गई रडार तस्वीरों की तुलना करके जमीन में सूक्ष्म बदलाव दिखाती है. यह तकनीक 3D मूवी जैसी तस्वीरें बनाती है, जो पारंपरिक रडार से संभव नहीं है.
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NISAR का उद्देश्य और फायदा
NISAR धरती के कई पहलुओं पर नजर रखेगा...
नासा की अर्थ साइंस डिवीजन की निदेशक करेन सेंट जर्मेन कहती हैं कि यह मिशन हमें धरती के गतिशील सिस्टम को समझने में मदद करेगा. यह डेटा समुदायों और फैसलों को सशक्त करेगा, जिससे बुनियादी ढांचा बेहतर होगा, आपदाओं से निपटा जा सकेगा और खाद्य-पानी की सुरक्षा बढ़ेगी.
NISAR का इतिहास और भविष्य
NISAR JPL की रडार तकनीक की विरासत को आगे बढ़ाता है, जो 1978 के सीसैट मिशन और 1990 के मैगलन मिशन (जिसने शुक्र की सतह को मैप किया) से शुरू हुई. अब जब एंटीना खुल गया है, तो सिस्टम की अंतिम जांच चल रही है. JPL के मुताबिक, यह मिशन इस साल के अंत में (लेट फॉल) से डेटा देना शुरू कर देगा.