शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation - SCO) एक बहुपक्षीय अंतर-सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 15 जून 2001 को चीन के शंघाई शहर में हुई थी. इसका उद्देश्य क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा, स्थिरता और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है. प्रारंभ में यह संगठन चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिजस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के बीच सुरक्षा सहयोग के लिए बना था, लेकिन समय के साथ इसका दायरा और सदस्यता दोनों में विस्तार हुआ.
वर्तमान में SCO के आठ पूर्ण सदस्य देश हैं- चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिजस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान. इसके अतिरिक्त, ईरान 2023 में पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हो चुका है. इसके अलावा बेलारूस को सदस्यता प्रदान करने की प्रक्रिया चल रही है.
SCO के कुछ प्रेक्षक (Observer) देश जैसे अफगानिस्तान, बेलारूस और मंगोलिया हैं. इसके अलावा, SCO के संवाद साझेदार (Dialogue Partners) में अजरबैजान, तुर्की, श्रीलंका, नेपाल, कंबोडिया, कतर आदि शामिल हैं.
SCO का उद्देश्य केवल सुरक्षा सहयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संगठन आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, ऊर्जा, और संपर्क के क्षेत्रों में भी सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है. प्रमुख उद्देश्यों में आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद से मुकाबला करना शामिल हैं.
भारत (India) 2017 में SCO का पूर्ण सदस्य बना. यह संगठन भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके माध्यम से भारत मध्य एशिया और यूरेशियाई देशों के साथ अपने राजनीतिक, आर्थिक और ऊर्जा संबंधों को मजबूत कर सकता है. भारत ने संगठन के मंच का उपयोग आतंकवाद के विरुद्ध अपने रुख को स्पष्ट करने और क्षेत्रीय शांति के लिए सहयोग की वकालत करने के लिए किया है.
SCO आज एशिया का एक प्रमुख संगठन बन चुका है. इसके सदस्य देश वैश्विक जनसंख्या और भौगोलिक क्षेत्रफल का एक बड़ा हिस्सा कवर करते हैं. यह संगठन एक मंच प्रदान करता है जहां सदस्य देश आपसी मुद्दों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने का प्रयास करते हैं.
भारत को महीनों तक रूस का मददगार बताकर उसकी आलोचना करने के बाद, डोनाल्ड ट्रंप को बीजिंग में एक बड़ा विलेन मिल गया है. अपने गुस्से को पूरब की ओर मोड़ते हुए, उन्होंने नई दिल्ली को बख्श दिया है. लेकिन सिर्फ़ इसलिए कि वह रूस के चंगुल में और गहराई तक न फंस जाए.
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के बाद भारत और चीन के बीच रिश्तों में आई तल्खी अब खत्म हो रही है. तियानजिन में जिनपिंग और पीएम मोदी की मुलाकात के दौरान आतंकवाद से साझा लड़ाई और अमेरिकी टैरिफ का मिलकर मुकाबला करने पर सहमति बनी थी.
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत को लेकर दो महाशक्तियां आपस में भिड़ी हुई हैं. बीजिंग में एससीओ (SCO) समिट के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक पत्रकार का भारत पर लगे ट्रंप टैरिफ पर जवाब देते हुए कहा कि भारत की इकॉनमी चीन की तरह एक 'जायंट इकॉनमी' है. और इस तरह की बात राष्ट्रपति ट्रंप को नहीं करनी चाहिए थी.'
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने खुलासा किया कि चीन के तियानजिन में हुए SCO समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी लिमोजिन राइड में हुई बातचीत सार्थक रही. 15 मिनट का सफर करीब एक घंटे तक खिंच गया क्योंकि दोनों नेता कार में ही चर्चा करते रहे. मोदी ने भी ट्वीट कर इस अनुभव को साझा किया था.
फिनलैंड के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर स्टब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी माने जाते हैं. दोनों ही गोल्फ के अच्छे खिलाड़ी हैं और साथ में घंटों गोल्फ खेल चुके हैं. खबर है कि स्टब ने ट्रंप से कहा है कि वो भारत को लेकर अपनी विदेश नीति में बदलाव करें.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ चीन में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक से इतर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिले. इस दौरान वो कान में ईयरफोन लगाने के लिए जूझते दिखे. यह देख पुतिन ने जो रिएक्शन दिया, वो अब वायरल हो रहा है.
चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति पुतिन की हालिया बैठक के बाद चीन ने रूसी नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की है. नई घोषणा से चीन में रूसी पर्यटकों और बिजनेस टूर करने वालों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है. नया कदम दोनों देशों के रिश्तों में लगातार आती मजबूती का प्रतीक है.
अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने चीन पहुंचे हैं. सम्मेलन से इतर उन्होंने पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने भारत को लेकर अहम दावा किया है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ एससीओ की बैठक में शामिल होने चीन पहुंचे है. इसके बाद सोमवार को उनके आर्मी चीफ आसिम मुनीर चीन पहुंच गए. शहबाज ने मंगलवार को जब चीनी राष्ट्रपति समेत अन्य नेताओं से द्विपक्षीय मुलाकात की तो मुनीर भी उनके साथ मौजूद रहे.
चीन के तियानजिन शहर में आयोजित एससीओ बैठक की चर्चा अमेरिका में खूब हो रही है. वहां के अखबारों में बैठक की तस्वीरें छाई हुई हैं और लिखा जा रहा है कि ट्रंप के टैरिफ की वजह से भारत चीन के करीब जा रहा है. पीएम मोदी और पुतिन की कार में हुई निजी बैठक की भी काफी कवरेज हुई है.
SCO के मंच पर पाकिस्तान ने खुद को दूसरों की संप्रभुता का सम्मान करने वाला, संवाद में विश्वास रखने वाला और आतंकवाद से पीड़ित देश के रूप में पेश किया. शहबाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान हमेशा बातचीत और कूटनीति का पक्षधर रहा है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान टकराव के बजाय परामर्श की वकालत करता है.
अजरबैजान की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एससीओ का पूर्ण सदस्य बनने के लिए चीन ने उनके आवेदन के पक्ष में समर्थन दोहराया जबकि भारत ने इसका विरोध किया. रिपोर्ट में भारत के रुख को शंघाई भावना के खिलाफ बताया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन दौरे और एससीओ बैठक पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी रहीं. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति पुतिन से हुई. चीन जाने से पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने भी प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बात की थी. अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार इन मुलाकातों को बदलते वर्ल्ड ऑर्डर से जोड़कर देख रहे हैं. SCO मीटिंग से क्या निकला? देखें
चीन के तियानजिन में दो दिवसीय शंघाई सहयोग संगठन का आयोजन किया गया था. इस दौरान पीएम मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मजबूत बॉन्डिंग चर्चा में रही.
मोदी-जिनपिंग-पुतिन की खूबसूरत तस्वीरें आपसी सहयोग के नए अवसरों का संकेत देती हैं. पर ये कितनी टिकाऊ और स्थायी हैं ये सैन्य, कूटनीतिक और आर्थिक वास्तविकताओं से ही तय होंगी. न कि केवल SCO सम्मेलन की "फोटो-ऑप" से. ट्रंप विरोध के चलते इन शक्तियों के बीच निकटता जरूर बढ़ी है, लेकिन हमें यह ध्यान रखना होगा कि अमेरिका की नीतियों में आया बदलाव महज व्यक्ति केंद्रित है.
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन चीन की विक्ट्री परेड में हिस्सा लेने के लिए चीन पहुंच गए हैं. उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया का कहना है कि वह बुधवार को बीजिंग में होने वाली सैन्य परेड में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हिस्सा लेंगे. इस परेड में ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियन भी शामिल होंगे.
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने भारत, रूस और चीन के गठजोड़ पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि भारत रूसी तेल खरीदकर और उसे रिफाइंड उत्पादों के रूप में बेचकर रूस-यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा दे रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा और शंघाई सहयोग संगठन के तिआनजिन में हुए शिखर सम्मेलन ने वैश्विक कूटनीति में हलचल मचा दी. मोदी, जिनपिंग और पुतिन की मुलाकात ने रूस-भारत-चीन त्रिकोण की संभावनाओं को बल दिया.
चीन में आयोजित हुए शंघाई सहयोग संगठन में भारत को एक बड़ी कूटनीतिक जीत मिली है. भारत के दबाव के बाद, SCO के साझा बयान में पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की गई, जबकि पाकिस्तान भी इस बैठक में मौजूद था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हाल ही में हमने पहलगाम में आतंकवाद का बहुत ही घिनौना रूप देखा है. यह हमला मानवता में विश्वास रखने वाले हर व्यक्ति को खुली चुनौती थी.
शंघाई शिखर सम्मेलन में चीन, रूस और भारत का गठजोड़ अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की बेचैनी बढ़ाना वाला है. ट्रंप जिस बेलगाम तरीके से भारत समेत दुनिया के बाकी देशों पर टैरिफ लगा रहे हैं, उससे कई देश अमेरिका की नीतियों से नाराज हैं. ऐसे में क्या पीएम मोदी, राष्ट्रपति पुतिन और शी जिनपिंग साथ आकर ट्रंप की दादागीरी को चुनौती दे सकते हैं?
PM Modi-Putin-Jinping की दोस्ती से क्या-क्या बदलेगा? जानिए SCO-BRICS कितने पावरफुल