पोप फ्रांसिस (Pope Francis) का असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था. पोप फ्रांसिस का लंबी बीमारी के बाद 21 अप्रैल 2025 (ईस्टर सोमवार) को 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वे कैथोलिक चर्च के प्रमुख थे. वे रोम के बिशप और वेटिकन सिटी राज्य के संप्रभु थे (Bishop of Rome and sovereign of the Vatican City State). फ्रांसिस, सोसाइटी ऑफ जीसस के सदस्य बनने वाले पहले पोप थे. साथ ही, अमेरिका, दक्षिणी गोलार्ध और 8वीं शताब्दी में शासन करने वाले एक सीरियाई ग्रेगरी III के बाद से यूरोप के बाहर के पहले पोप भी थे.
उन्हें 1969 में एक कैथोलिक पादरी नियुक्त किया गया था और 1973 से 1979 तक अर्जेंटीना में जेसुइट प्रांत के श्रेष्ठ रहे थे. वह 1998 में ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप बने और 2001 में पोप जॉन पॉल द्वितीय द्वारा कार्डिनल बनाए गए थे. फरवरी 2013 को पोप बेनेडिक्ट XVI के इस्तीफे के बाद, उन्हें13 मार्च को बर्गोग्लियो को उनके उत्तराधिकारी के रूप में चुना था (Pope Francis).
अर्जेंटीना में जन्मे फ्रासिस एक युवा व्यक्ति के रूप में बाउंसर और चौकीदार के रूप में काम कर चुके थे. बाद में उन्होंने एक खाद्य विज्ञान प्रयोगशाला में तकनीशियन के रूप में भी काम किया था (Pope Francis Early Career).
जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो यानी पोप फ्रांसिस का जन्म 17 दिसंबर 1936 को फ्लोरेस में हुआ था (Pope Francis Born). वह मारियो जोस बर्गोग्लियो और रेजिना मारिया सिवोरी के पांच बच्चों में सबसे बड़े थे (Pope Francis Family).
ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 88 साल की उम्र में निधन हो गया है. पोप की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी को लेकर भी चर्चाएं तेज हो गई हैं. आइए जानते हैं कि पोप के उत्तराधिकारियों में कौन से नाम सबसे आगे नजर आ रहे हैं.
ईसाइयों के सबसे बड़े धर्म गुरु पोप फ्रांसिस का 88 साल की उम्र में निधन हो गया है. पोप फ्रांसिस उनकी सादगी के लिए प्रसिद्ध थे. उन्होंने गरीबी, असमानता और आप्रवासियों के अधिकारों पर जोर दिया था. जब ब्रुसेल्स हमलों के बाद मुस्लिम विरोधी भावनाएं बढ़ गई थी, तब पोप फ्रांसिस ने भाईचारे का भाव प्रदर्शित करते हुए मुस्लिम, ईसाई और हिंदू शरणार्थियों के पैर धोकर चूमे थे.
पोप के चुनाव के लिए दूसरे दिन की वोटिंग के बाद भी किसी नाम पर सहमति नहीं बनी है. इसके बाद पोप को चुनने के लिए लगे 133 कार्डिनल लंच ब्रेक पर चले गए. पोप चुने जाने के लिए दो तिहाई बहुमत यानी 89 वोटों की जरूरत होती है.
सिस्टिन चैपल की चिमनी से बुधवार रात 9 बजे काला धुआं निकलता दिखा, जिससे यह पुष्टि हुई कि कैथोलिक कार्डिनल्स ने पहले दौर के मतदान में नए पोप का चुनाव नहीं किया है. 133 कार्डिनल्स के इस बंद-दरवाजा सम्मलेन के दौरान नई चर्चाओं का दौर आगे के दिनों में जारी रहेगा.
पिछले साल थिएटर्स में रिलीज हुई हॉलीवुड फिल्म 'कॉन्क्लेव' में नए पोप की चुनाव की प्रक्रिया पर बेस्ड कहानी दिखाई गई है. वेटिकन सिटी में नए पोप के लिए वोटिंग शुरू होने से पहले अब ये फिल्म भारत में भी रिलीज हो गई है.
अगर लुइस एंटोनियो टैगले निर्वाचित होते हैं, तो इससे दुनिया के 1.4 अरब कैथोलिक्स को यह संकेत भी मिलेगा कि कार्डिनल्स फ्रांसिस के नजरिए के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं, जिसमें चर्च को मॉडर्न वर्ल्ड के लिए खोलना शामिल है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं. पोप फ्रांसिस के निधन के कुछ ही दिनों बाद ट्रंप ने सोशल मीडिया पर खुद की एक AI जनरेटेड तस्वीर साझा की, जिसमें वे पोप की ड्रेस में नज़र आ रहे हैं.
सोशल मीडिया पर जारी तस्वीर में ट्रंप को पोप की पोशाक पहने हुए दिखाया गया है और उनके गले में एक क्रॉस है. जहां कुछ यूजर्स ने इसे हास्यपूर्ण पक्ष माना, तो वहीं अन्य ने ट्रंप पर पोप फ्रांसिस की मृत्यु का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया.
वेटिकन ने कहा कि कॉन्क्लेव 6 मई से शुरू हो सकता था, लेकिन एक दिन बाद शुरू करने का फैसला लेते हुए कार्डिनल्स को समय दिया गया है ताकि वे अहम मतदान से पहले अपने स्तर की बैठकें कर सकें. चुनावी प्रक्रिया में समय लग सकता है, क्योंकि नए पोप के चुनाव के लिए जिन 135 कार्डिनल्स की बैठक होगी वे कभी भी एक-दूसरे से नहीं मिले हैं.
वेटिकन सिटी में ईसाई धर्म गुरु पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार में लोगों का जनसमूह उमड़ पड़ा. पोप को अंतिम विदाई देने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप समेत दुनियाभर के नेता पहुंचे. बता दें 21 अप्रैल को 88 साल की उम्र में लंबी बीमारी के बाद पोप का निधन हो गया था. देखें दुनिया आजतक.
रोम में शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के नेता वोलोडिमिर जेलेंस्की ने बैठक की. यह बैठक पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के दौरान वेटिकन में हुई. दोनों नेताओं ने बातचीत को सकारात्मक बताया और इसे रूस-यूक्रेन संघर्ष के समाधान की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है.
कैथोलिक चर्च के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस के निधन से दुनियाभर में शोक है. पोप का अंतिम संस्कार वेटिकन सिटी में स्थित सेंट पीटर्स स्क्वायर में शुरू हो गया है. दुनियाभर के राष्ट्रीय अध्यक्ष इस अंतिम संस्कार समारोह में शामिल होने के लिए वेटिकन पहुंचे हैं.
पोप फ्रांसिस के निधन पर दुनियाभर में शोक का माहौल है. उनका अंतिम संस्कार वेटिकन सिटी में सेंट पीटर्स स्क्वायर में आयोजित किया गया, जिसमें 150 से अधिक विदेशी प्रतिनिधि और दो लाख से अधिक लोग शामिल हुए. प्रमुख उपस्थितियों में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु शामिल हुए. अंतिम विदाई में दो लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए.
पोप फ्रांसिस ने स्वयं 'सरल समाधि' की इच्छा व्यक्त की थी, इसलिए उन्हें वेटिकन के भीतर नहीं, बल्कि रोम के बाहरी हिस्से में स्थित बेसिलिका दी सांता मारिया माज्जोरे में दफनाया जाएगा. इससे पहले के पोप सेंट पीटर्स बेसिलिका के नीचे दफनाए जाते रहे हैं.
दुनिया भर में ईसाइयों की नजरें अब इस बात पर भी लगी हैं कि कैथोलिक चर्च के सबसे शीर्ष पद पर बैठने वाला अगला व्यक्ति कौन होगा. इस सवाल के जवाब में लोगों की दिलचस्पी का फायदा दो फिल्मों को जबरदस्त तरीके से हुआ है- 'कॉन्क्लेव' और 'द टू पोप्स'. आइए बताते हैं क्यों और कैसे...
कैथोलिक चर्च के नियमों के अनुसार, पोप केवल वह पुरुष बन सकता है जिसने बपतिस्मा लिया हो और जो अविवाहित हो. हालांकि, पोप फ्रांसिस ने महिलाओं को चर्च में वाचक के रूप में सेवा देने की अनुमति दी थी.
राजकीय शोक के दौरान 22 और 23 अप्रैल को पूरे देश में सभी सरकारी इमारतों पर तिरंगा झंडा आधा झुका दिया गया. 88 वर्षीय पोप फ्रांसिस पिछले कुछ समय से किडनी की बीमारी से पीड़ित थे.
धर्म गुरु पोप फ्रांसिस का निधन जितना समझा जा रहा है उससे बड़ी बात है. कैथोलिक चर्च की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे पोप फ्रांसिस के जाने के बाद चर्च का भविष्य सवालों के घेरे में हैं. असल जिंदगी की ये प्रक्रिया और मुश्किल की घड़ी, 2024 में रिलीज हुई फिल्म 'कॉन्क्लेव' में भी दिखाई गई है.
पोप फ्रांसिस अपने पूरे जीवन में फेफड़ों के संक्रमण से परेशान रहे.14 फरवरी को उन्हें बाइलेटरल निमोनिया की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 23 मार्च को उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था. आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में.
मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में सरकार ने इस फैसले की घोषणा की. राजकीय शोक के दौरान प्रदेश के सभी भवनों पर जहां नियमित रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, वह आधा झुका रहेगा. साथ ही, इस अवधि में कोई आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाएंगे.
जब पोप के मृत शरीर का मेडिकल ट्रीटमेंट बंद हो जाता है और उनका शरीर काम करना बंद कर देता है. इस प्रक्रिया के बाद उनकी रिंग को तोड़ा जाता है, जिसका इस्तेमाल वो दस्तावेजों पर मुहर की तरह करते थे.