ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस को 26 अप्रैल को वेटिकन सिटी में अंतिम विदाई दी जाएगी. पोप फ्रांसिस का निधन 21 अप्रैल को हुआ था. पोप फ्रांसिस ने रोम की सांता मारिया बेसिलिका में दफनाए जाने की इच्छा जताई थी, जो 1903 के बाद पहली बार वेटिकन से बाहर होगा. दुनियाभर में उनके निधन पर शोक प्रार्थनाओं का आयोजन किया जा रहा है.
पोप फ्रांसिस के निधन के बाद से ही वेटिकन में नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई थी. यह चुनाव विशेष रूप से वेटिकन के सिस्टीन चैपल में बंद कमरे में होता है, जिसे कॉन्क्लेव कहा जाता है. इसमें दुनिया भर के कार्डिनल इकट्ठा होकर गुप्त मतदान के माध्यम से नए पोप का चयन करते हैं.
नए पोप की रेस में ये नाम सबसे आगे
इस बार जिन नामों की प्रमुखता से चर्चा हो रही है, उनमें कार्डिनल लुइस एंटोनियो तागले, पिएट्रो पारोलिन, पीटर तुर्कसन, पीटर एर्डो और एंजेलो स्कोला शामिल हैं. क्या कभी आपने सोचा है कि पोप हमेशा एक पुरुष ही क्यों बनता है. आखिर महिलाओं को पोप क्यों नहीं बनाया जाता है. आइए आज आपको इस सवाल का जवाब बताते हैं.
क्यों महिलाएं नहीं बन सकती पोप?
कैथोलिक चर्च के नियमों के अनुसार, पोप केवल एक बैपटाइज्ड अविवाहित पुरुष ही बन सकता है. इसमें भी उस व्यक्ति का चर्च में पादरी, बिशप या कार्डिनल जैसे शीर्ष पदों पर होना एक जरूरी शर्त है. जबकि चर्च की परंपरा में महिलाओं को पादरी बनने की अनुमति नहीं है. यही कारण है कि महिलाएं बैपटाइज्ड और अविवाहित होने के बावजूद पोप नहीं बन सकती हैं. हालांकि, पोप फ्रांसिस ने महिलाओं को चर्च में वक्ता के रूप में सेवा देने की अनुमति दी थी.
पुरुषों को पोप बनाने की परंपरा कैसे हुई शुरू?
कैथोलिक मान्यताओं के अनुसार, केवल एक बैपटाइज्ड अविवाहित पुरुष ही चर्च में पवित्र सेवा या पादरी बनने का अधिकार रखता है. चर्च का मानना है कि यीशु मसीह ने अपने बारहों शिष्यों के रूप में केवल पुरुषों को ही चुना था. और यही परंपरा आज तक चली आ रही है.