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नेशनल हेराल्ड केस

नेशनल हेराल्ड केस

नेशनल हेराल्ड केस

नेशनल हेराल्ड एक अंग्रेजी भाषा का अखबार था जिसकी स्थापना 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी. इसका उद्देश्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के विचारों को फैलाना था. इसके साथ दो अन्य भाषाओं में अखबार भी जुड़े थे- ‘नवजीवन’ (हिंदी) और ‘कौमी आवाज़’ (उर्दू)। यह अखबार ‘Associated Journals Limited’ (AJL) नामक कंपनी के अंतर्गत प्रकाशित होता था.

2008 में यह अखबार आर्थिक तंगी के चलते बंद हो गया. इसके बाद कांग्रेस पार्टी से जुड़ी एक नॉन-प्रॉफिट कंपनी ‘Young Indian’ (यंग इंडियन) ने AJL का अधिग्रहण कर लिया. इसी अधिग्रहण प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगा.

इस केस में मुख्य आरोप सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा लगाए गए थे, जिनके अनुसार- कांग्रेस पार्टी ने AJL को 90 करोड़ रुपये का ऋण दिया था, जिसे वापस नहीं लिया गया. यह ऋण ‘Young Indian’ को बहुत कम कीमत (लगभग 50 लाख रुपये) पर ट्रांसफर कर दिया गया, जिससे उसे AJL की संपत्ति पर अधिकार मिल गया.  AJL के पास देश के कई बड़े शहरों में करोड़ों की संपत्ति है, जिन पर ‘Young Indian’ का नियंत्रण हो गया, जिससे अनैतिक लाभ मिला. खबरों की माने तो यंग इंडियन कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की बड़ी हिस्सेदारी है (लगभग 76%), जिससे ये सीधे लाभार्थी बने.

इस केस में गांधी परिवार से जुड़े दिल्ली का हेराल्ड हाउस और अन्य प्रॉपर्टी शामिल हैं. सुब्रमनियन स्वामी ने इस केस को 2012 में कोर्ट लेकर गए. लंबी सुनवाई के बाद 26 जून 2014 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी के अलावा मोतीलाल वोरा, सुमन दूबे और सैम पित्रोदा को समन जारी किया और कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए गए थे (National Herald Case in Delhi Court). 

सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कोर्ट में ये कहते हुए आरोप लगाया कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी के नाम पर नेशनल हेराल्ड की दो हजार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है (Money Laundry in National Herald Case ). 

 

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