लेह (Leh), भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का एक प्रमुख नगर है, जो हिमालय की गोद में बसा हुआ है. यह क्षेत्र अपनी अद्वितीय प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विरासत और रणनीतिक महत्त्व के लिए जाना जाता है. लेह न केवल पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है, बल्कि यह बौद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक मठों और साहसिक गतिविधियों के लिए भी विख्यात है.
लेह समुद्र तल से लगभग 3,500 मीटर (11,500 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है. यहां की जलवायु ठंडी और शुष्क होती है. गर्मियों में तापमान हल्का गर्म होता है जबकि सर्दियों में तापमान शून्य से काफी नीचे चला जाता है। यही कारण है कि पर्यटन का प्रमुख मौसम मई से सितंबर के बीच होता है.
लेह का इतिहास कई सदियों पुराना है. यह क्षेत्र प्राचीन रेशम मार्ग का हिस्सा रहा है, जहां व्यापारी चीन, भारत और मध्य एशिया के बीच वस्तुओं का आदान-प्रदान करते थे. लेह में प्रमुख रूप से बौद्ध धर्म का प्रभाव है, और यहां अनेक भव्य मठ स्थित हैं जैसे- थिकसे, हेमिस, और शे मठ. ये न केवल धार्मिक स्थल हैं बल्कि स्थापत्य और संस्कृति के अद्भुत उदाहरण भी हैं.
लेह और इसके आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं-
लेह पैलेस- सोलहवीं सदी में बना यह महल ल्हासा के पोटाला पैलेस से प्रेरित है और लेह शहर का एक प्रमुख प्रतीक है.
शांति स्तूप- जापानी बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित यह स्तूप शांति और एकता का प्रतीक है, और यहां से लेह शहर का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है.
नुब्रा घाटी- यहां की दो कूबड़ वाली बैक्ट्रियन ऊँट की सवारी और रेत के टीलों का अनुभव अद्वितीय होता है.
पैंगोंग झील- यह अत्यंत सुंदर झील भारत और चीन के बीच फैली हुई है और अपने रंग बदलते पानी के लिए प्रसिद्ध है.
लेह ट्रेकिंग, माउंटेन बाइकिंग, रिवर राफ्टिंग और मोटर बाइकिंग के लिए प्रसिद्ध है. खारदुंगला दर्रा, जो विश्व के सबसे ऊंचे मोटरेबल रास्तों में से एक है, बाइक राइडरों के बीच बहुत लोकप्रिय है.
लेह का सामरिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्त्व है, क्योंकि यह भारत की उत्तरी सीमा पर स्थित है और चीन तथा पाकिस्तान की सीमाओं के समीप है. यहां भारतीय सेना की मजबूत उपस्थिति है.
लद्दाख के उपराज्यपाल (LG) कविंदर गुप्ता के आधिकारिक आवास 'राज निवास' का नाम बदलकर अब 'लोक निवास' कर दिया गया है. स्वयं उपराज्यपाल ने लेह स्थित अपने आवास के बाहर 'लोक निवास' की पट्टिका लगाई. उपराज्यपाल गुप्ता ने कहा कि नाम बदलने से मानसिकता बदलती है और अब ये संदेश जाएगा कि यहां शासन करने नहीं, बल्कि लोगों की सेवा करने के लिए काम किया जा रहा है.
केंद्र सरकार ने लेह में 24 सितंबर को हुई हिंसा की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस बीएस चौहान जांच का नेतृत्व करेंगे. रिटायर्ड जज मोहन सिंह परिहार और आईएएस तुषार आनंद जांच में जस्टिस चौहान की सहायता करेंगे.
लेह जिला प्रशासन ने 24 सितंबर को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), सेक्शन 163 के तहत पांच या उससे अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने पर पाबंदी लगा दी थी. जिला मजिस्ट्रेट रोमिल सिंह डोंक ने सभी पाबंदियों को तुरंत प्रभाव से हटाने का आदेश जारी किया.
NSA के तहत हिरासत में लेने के आधार संतोषजनक हैं. पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था. सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को हिरासत में लेकर जोधपुर सेंट्रल जेल ले जाया गया था, जिसकी जानकारी तुरंत दे दी गई थी. इस मामले में बुधवार को सुनवाई होनी है.
लद्दाख में हुए हिंसा और प्रदर्शन के बाद गिरफ्तार किए पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. उनकी पत्नी गीतांजलि ने याचिका दाखिल कर उनकी रिहाई की मांग की है. इसमें एनएसए के तहत गिरफ्तारी को असंवैधानिक करार दिया गया है.
लद्दाख के शिक्षाविद और पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की रिहाई की मांग तेज हो गई है. पत्नी गीतांजलि अंगमो ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत शीर्ष नेतृत्व को चिट्ठी लिखकर हस्तक्षेप की अपील की है. वांगचुक NSA के तहत जोधपुर जेल में रखे गए हैं.
लेह में 24 सितंबर की हिंसा के बाद जिंदगी पटरी पर लौट रही है. उपराज्यपाल कवींदर गुप्ता ने कहा कि किसी भी मसले का समाधान केवल बातचीत के जरिए ही संभव है. उन्होंने हिंसा पर दुख जताया और राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि देश का माहौल खराब करने की कोशिश हो रही है. प्रशासन ने लद्दाख में दुकानों और स्कूलों को खोलने की अनुमति दे दी है, लेकिन मोबाइल इंटरनेट सेवा अभी भी बंद है.
Leh Violence: लेह शहर में धीरे-धीरे हालात सामान्य होने लगे हैं. इसे देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने कर्फ्यू में सात घंटे की ढील दी है. इसके बाद बाजार खुलने लगे और लोगों अपने जरूरत के सामान लेने के लिए जाते हुए देखे गए. हालांकि, अभी शहर भी अभी निषेधाज्ञा लागू है.
लेह अपेक्स बॉडी ने लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाने और छठी अनुसूची में शामिल करने के मुद्दों पर 6 अक्टूबर को केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ निर्धारित वार्ता का बहिष्कार करने का ऐलान किया है.
लद्दाख जो हर साल टूरिस्टों से गुलजार रहता था पिछले कुछ दिनों से हो रही घटनाओं की वजह से टूरिस्ट यहां आने से कतरा रहे हैं. पहलगाम हमले के बाद पहले ही यहां लोग नहीं जा रहे थे और अब हिंसा से हालात और बिगड़ गए हैं.
लद्दाख में 24 सितंबर को हुई हिंसा के बाद लेह जिले में BNSS की धारा 163 के तहत प्रतिबंध जारी हैं. इस हिंसा में 4 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके साथ ही, एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक सहित 44 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
लेह में आज कर्फ्यू का चौथा दिन है और सुरक्षा व्यवस्था काफी बढ़ा दी गई है. कल 2 घंटे की ढील दी गई थी, जिसमें लोगों ने आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी की, क्योंकि खाने-पीने की चीजों की कमी होने लगी थी. आज फिर से सख्त पाबंदियां लागू हैं. इसकी वजह यह है कि हिंसा में मारे गए दो युवकों का आज अंतिम संस्कार होगा. प्रशासन कोई जोखिम नहीं लेना चाहता है.
लद्दाख आंदोलन से जुड़े पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीताांजलि अंगमो ने 'पाक लिंक' और वित्तीय गड़बड़ी के आरोपों को खारिज किया है. उन्होंने 24 सितंबर की हिंसा के लिए सीआरपीएफ को जिम्मेदार ठहराया.
लेह में नॉर्दर्न कमांड के GOC-in-C लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा ने उपराज्यपाल कवींदर गुप्ता से मुलाकात कर लेह की सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की. बैठक में सेना और नागरिक प्रशासन के बीच समन्वय, शांति बनाए रखने और किसी भी आपात स्थिति से निपटने की तैयारियों पर जोर दिया गया. दोनों पक्षों ने सुरक्षा और अखंडता बनाए रखने में अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.
लद्दाख का लेह शहर तीन दिनों से कर्फ्यू की गिरफ्त में है. हिंसा के बाद शनिवार को पहली बार लोगों को चार घंटे की राहत मिली है. सोनम वांगचुक की एनएसए के तहत गिरफ्तारी और उनके पाकिस्तान कनेक्शन की जांच ने पूरे घटनाक्रम को और भी विस्फोटक बना दिया है.
लेह में तीन दिनों के सख्त कर्फ्यू के बाद आज तीन घंटे की ढील दी गई है. ढील मिलते ही बाजारों में जरूरी सामान और खाने-पीने की चीजें खरीदने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. लोगों का कहना है कि वे इस तरह के लंबे कर्फ्यू के लिए तैयार नहीं थे, क्योंकि घरों में राशन खत्म हो गया था. एक निवासी ने कहा, "हम प्रिपेर्ड नहीं थे तो घर में सीनियर्स है, डायबेटिक पेशेंट्स है, बच्चे है, कुछ नहीं था बहुत मुश्किल था, कुछ सामान नहीं था."
लेह गेट इलाके में कर्फ्यू लगा हुआ है, जिससे आम दिनों में भीड़भाड़ वाला यह व्यापारिक केंद्र पूरी तरह सुनसान है. प्रशासन की तरफ से सख्त कर्फ्यू लागू किया जा रहा है, जिसमें वाहनों की जांच और लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध शामिल है. चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल तैनात हैं और स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं.
सोनम वांगचुक को लद्दाख में हिंसा भड़काने और विदेशी चंदे के दुरुपयोग के आरोप में गिरफ्तार किया गया. उन पर लद्दाख में 'अरब स्प्रिंग' जैसे हालात पैदा करने की कोशिश का आरोप है. सोनम वांग्चुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है और उन्हें दिल्ली लाया जाएगा.
लद्दाख में हुई हिंसा के बाद सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है. उन पर युवाओं को हिंसा के लिए भड़काने और अपने एनजीओ की मदद से विदेशी चंदे का दुरुपयोग करने का आरोप है. आरोप है कि वे लद्दाख में अरब स्प्रिंग जैसे हालात पैदा करना चाहते थे.
लद्दाख में बुधवार को हुई हिंसा के बाद अब हालात सामान्य हो रहे हैं. बुधवार के बाद से क्षेत्र में कोई अप्रिय घटना सामने नहीं आई है. इस बीच, लद्दाख के सांसद हनीफा जान ने अस्पताल का दौरा किया और उन लोगों से बातचीत की जो घायल हुए थे. सांसद का कहना है कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की, उसकी जांच होनी चाहिए.
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पिछले पांच साल से लद्दाखवासी अपने हक के लिए अनशन कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने उनकी नहीं सुनी. जब कुछ लोगों ने हिंसा की, तो सोनम पर एनएसए लगा दिया गया, जो 1980 में इंदिरा गांधी ने बनाया था और जिसका भाजपा विरोध करती थी.