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सोनम वांगचुक की तत्काल रिहाई की मांग, पत्नी ने राष्ट्रपति, PM मोदी को लिखी चिट्ठी

लद्दाख के शिक्षाविद और पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की रिहाई की मांग तेज हो गई है. पत्नी गीतांजलि अंगमो ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत शीर्ष नेतृत्व को चिट्ठी लिखकर हस्तक्षेप की अपील की है. वांगचुक NSA के तहत जोधपुर जेल में रखे गए हैं.

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गीतांजलि अंगमो का कहना है कि सोनम वांगचुक ने हिंसा नहीं भड़काई. (Photo: PTI)
गीतांजलि अंगमो का कहना है कि सोनम वांगचुक ने हिंसा नहीं भड़काई. (Photo: PTI)

लद्दाख के शिक्षाविद और पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर अपने पति की तुरंत रिहाई की मांग की है. वांगचुक फिलहाल राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत रखे गए हैं.

अंगमो ने प्रतिनिधित्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और लद्दाख के उपराज्यपाल ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बीडी मिश्रा को भी यह लेटर भेजी है. इसकी एक प्रति लेह के जिला आयुक्त को भी दी गई है.

59 वर्षीय वांगचुक को 26 सितंबर को लेह जिले के अपने गांव से गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी उस समय हुई जब लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के नेतृत्व में लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन चल रहा था और हिंसा हो गई.

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प्रशासन ने 24 सितंबर को लेह में हुई रैली में उनके कथित "उत्तेजक भाषणों" को आधार बनाकर NSA लगाया. इस रैली के दौरान हिंसा हुई थी, जिसमें चार लोगों की मौत और 90 से अधिक लोग पुलिस फायरिंग में घायल हुए. सोनम वांगचुक को बिना परिवार को सूचित किए सीधे जोधपुर जेल भेज दिया गया.

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गिरफ्तारी के बाद परिवार से मिलने नहीं दिया गया- गीतांजलि अंगमो

गीतांजलि अंगमो, जो सोशल एंटरप्रेन्योर और हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लर्निंग (HIAL) की सह-संस्थापक हैं - उन्होंने चिट्ठी में लिखा कि वांगचुक किसी भी प्रकार का सुरक्षा खतरा नहीं हैं. उन्होंने कहा, "उन्होंने (सोनम वांगचुक ने) अपना पूरा जीवन शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण को समर्पित किया है." अंगमो ने कहा कि गिरफ्तारी के बाद से परिवार को उनसे मिलने तक नहीं दिया गया.

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पति पर लगे हिंसा भड़काने के आरोपों को बताया निराधार

सोनम वांगचुक की पत्नी ने प्रशासन के दावों का खंडन किया कि वांगचुक ने हिंसा भड़काई थी. अंगमो ने कहा कि वांगचुक ने 15 दिन का अनशन 24 सितंबर को इसलिए समाप्त किया था ताकि तनाव कम हो सके. उन्होंने एफसीआरए (विदेशी चंदा विनियमन अधिनियम) के तहत वांगचुक के संगठनों - SECMOL और HIAL - पर लगाए गए फंड के दुरुपयोग के आरोपों को भी "निराधार" बताया.

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