लद्दाख (Ladakh) में 24 सितंबर को हुई हिंसा के बाद लेह जिले में BNSS की धारा 163 के तहत प्रतिबंध अभी भी लागू हैं. इसके तहत जिले में पांच या उससे ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक है. इसके साथ ही, पूर्व लिखित अनुमति के बिना कोई भी जुलूस, रैली या मार्च नहीं निकाला जा सकता है. पूरे लेह में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती जारी है. पिछले दिनों हुई हिंसा के बाद चार लोगों की मौत हो गई थी, और अब तक इस संबंध में 44 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
लद्दाख के लोग लंबे वक्त से केंद्र शासित प्रदेश को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. गिरफ्तार किए गए लोगों में सोनम वांगचुक भी शामिल हैं, जो इस मांग के एक प्रमुख कार्यकर्ता हैं.
वांगचुक को हिंसा भड़काने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया है और वह मौजूदा वक्त में उन्हें जोधपुर जेल में रखा गया है. उन्हें उस वक्त हिरासत में लिया गया, जब उन्होंने अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी थी.
विपक्ष का आरोप: 5 साल के धोखे का नतीजा
जेकेपीसीसी (JKPCC) के अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने लद्दाख विरोध प्रदर्शनों पर बयान दिया है. उन्होंने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए दावा किया कि यह आंदोलन 'पिछले पांच सालों के धोखे और वादों को पूरा न करने' का नतीजा है. कर्रा ने आरोप लगाया कि जो लोग आज सरकार और स्थानीय प्रशासन के खिलाफ विरोध कर रहे हैं, वे वही लोग हैं, जिनका इस्तेमाल सरकार ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने के दौरान किया था.
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पुलिस फायरिंग और चोटें
विरोध प्रदर्शनों के दौरान 26 सितंबर को पुलिस फायरिंग हुई, जिसकी वजह से मौतें हुईं. कर्रा ने आगे कहा कि आज हम एक बहुत ही संवेदनशील और राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे, लद्दाख की स्थिति पर बात करना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि चार लोग पहले ही मर चुके हैं, और करीब 90 लोग घायल हुए हैं.