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कैसे पहचाने ग्रीन पटाखे, अगर पहचानने में गलती हुई तो क्या सजा या कार्रवाई हो सकती है?

ग्रीन पटाखे पहचानने के लिए पैकेट पर हरा 'CSIR-NEERI' लोगो और क्यूआर कोड चेक करें. क्यूआर स्कैन से सत्यापन हो जाएगा. ये कम प्रदूषण वाले पटाखे हैं, दिल्ली-एनसीआर में इन्हें अनुमति मिली है. गलती से नॉन-ग्रीन बेचने/फोड़ने पर 5000 रुपये जुर्माना या 3 साल जेल हो सकती है.

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दिल्ली-एनसीआर में हरे पटाखे फोड़ने की अनुमति सुप्रीम कोर्ट ने दी है. (File Photo: India Today)
दिल्ली-एनसीआर में हरे पटाखे फोड़ने की अनुमति सुप्रीम कोर्ट ने दी है. (File Photo: India Today)

प्रदूषण कम करने के लिए सरकार ने 'ग्रीन पटाखे' को बढ़ावा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली में ग्रीन पटाखे छोड़ने की अनुमति दे दी है. ये पटाखे सामान्य पटाखों से कम धुआं फैलाते हैं. पर्यावरण के लिए बेहतर हैं. लेकिन सवाल ये है कि इन ग्रीन पटाखों को कैसे पहचानें? 

ग्रीन पटाखे क्या होते हैं?

सबसे पहले समझते हैं कि ग्रीन पटाखे होते क्या हैं. ये सामान्य पटाखों से अलग होते हैं क्योंकि इनमें बैरियम नाइट्रेट जैसी जहरीली चीजें कम या बिल्कुल नहीं होतीं. ये 30-40% कम प्रदूषण फैलाते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें मंजूरी दी है, ताकि दिवाली मनाने वाले खुश रहें, लेकिन हवा साफ रहे. दिल्ली-एनसीआर जैसे इलाकों में सिर्फ यही पटाखे बेचने और फोड़ने की इजाजत है.

यह भी पढ़ें: ग्रीन पटाखे क्या हैं जिसकी अनुमति दिलाने कोर्ट जाएगी दिल्ली सरकार, क्या अलग होता है, कहां मिलते हैं?

ग्रीन पटाखों को कैसे पहचानें?  

अब आते हैं मुख्य सवाल पर. बाजार में ढेर सारे पटाखे बिक रहे हैं, लेकिन नकली वाले भी मिल सकते हैं. गलत पटाखा खरीदना मतलब नियम तोड़ना. तो पहचानने के लिए ये आसान तरीके अपनाएं...

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identify green firecrackers

सीएसआईआर-एनईईआरआई का ग्रीन लोगो देखें: हर असली ग्रीन पटाखे के पैकेट पर हरा रंग का 'CSIR-NEERI' लोगो छपा होता है. ये लोगो देखते ही समझ आ जाता है कि पटाखा असली है. अगर लोगो न हो, तो मत लें. 

क्यूआर कोड स्कैन करें: पैकेट पर एक क्यूआर कोड होता है. अपना मोबाइल कैमरा या कोई ऐप (जैसे 'सीएसआईआर-एनईईआरआई ग्रीन क्रैकर वेरिफिकेशन ऐप') से इसे स्कैन करें. स्कैन करने पर पटाखे की जानकारी आ जाएगी – जैसे उसमें क्या केमिकल हैं, कितना प्रदूषण फैलाएगा. अगर कोड फर्जी हो या स्कैन न हो, तो सावधान. 

पैकेजिंग चेक करें: ग्रीन पटाखों का पैकेट मजबूत और साफ होता है. उस पर लिखा होता है 'ग्रीन क्रैकर' या 'एनईईआरआई अप्रूव्ड'. साथ ही, पटाखे का नाम, वजन और मैन्युफैक्चरर का नाम साफ-साफ लिखा होता है. अगर कुछ गड़बड़ लगे, तो दुकानदार से बिल मांगें.

यह भी पढ़ें: 1962 की जंग ने खाली कराया उत्तराखंड का खूबसूरत गांव, अब वापस लौट रही जिंदगी

दुकानदार से पूछें: अच्छे दुकानदार बताएंगे कि ये ग्रीन हैं. लेकिन खुद चेक करना न भूलें. कुछ जगहों पर नकली कोड वाले पटाखे बिक रहे हैं, तो सतर्क रहें. 

ये तरीके अपनाने से आप आसानी से असली ग्रीन पटाखे चुन सकेंगे. याद रखें, ग्रीन पटाखे फोड़ने से उतना शोर नहीं होता, लेकिन मजा दोगुना आता है. 

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क्यों जरूरी है सही पहचान

दिल्ली-एनसीआर में सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ 18 से 20 अक्टूबर तक ग्रीन पटाखे बेचने और फोड़ने की इजाजत दी है.  गलत पटाखा खरीदना या बेचना प्रदूषण बढ़ाता है, जो सांस की बीमारियां पैदा करता है. खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरा. तो सही पहचान से हम सबका फायदा.

पहचानने में गलती हो गई, तो क्या सजा या कार्रवाई?

अब सबसे गंभीर बात. अगर कोई दुकानदार नॉन-ग्रीन पटाखे बेच दे या गलती से बेचे, तो सजा कड़ी है. ये नियम दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी (डीपीसीसी) और एक्सप्लोसिव्स एक्ट के तहत आते हैं...

  • बेचने या स्टोर करने पर: 5000 रुपये जुर्माना और/या 3 साल तक की जेल. लाइसेंस रद्द हो सकता है. 
  • फोड़ने पर: 200 रुपये जुर्माना और 6 महीने तक जेल. 

अगर बार-बार गलती हो, तो रोज 5000 रुपये का अतिरिक्त जुर्माना लग सकता है. पुलिस और पर्यावरण विभाग चेकिंग कर रहे हैं, तो सावधानी बरतें. खरीदार भी जिम्मेदार हैं – गलत पटाखा फोड़ने पर सजा मिल सकती है.

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