सुप्रीम कोर्ट
भारत का सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court of India) संविधान के तहत भारत गणराज्य की सबसे बड़ी न्यायिक संस्था है (Highest Court of the Republic of India). इसके पास न्यायिक समीक्षा की शक्ति है. भारत का मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय का प्रमुख होता है. सुप्रीम कोर्ट में अधिकतम 34 न्यायाधीश होते हैं, जिनके पास मूल, अपीलीय और सलाहकार क्षेत्राधिकार के रूप में व्यापक शक्तियां हैं (Supreme Court Consists Maximum of 34 Judges).
भारत में सर्वोच्च संवैधानिक न्यायालय के रूप में, यहां राज्यों के उच्च न्यायालयों और अन्य अदालतों और न्यायाधिकरणों के फैसले के खिलाफ अपील किया जाता है. इसकी स्थापना मूल रूप से संविधान और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए की गई थी. इस अदालत के पास सरकारी प्राधिकरणों के साथ-साथ केंद्र सरकार बनाम राज्य सरकारों या अलग-अलग राज्य सरकारों के बीच के विवादों को निपटाने के अधिकार है. एक सलाहकार अदालत के रूप में, यह उन मामलों की सुनवाई करता है जिन्हें विशेष रूप से भारत के राष्ट्रपति द्वारा संविधान के तहत संदर्भित किया जा सकता है. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा घोषित कानून भारत के सभी न्यायालयों और संघ और राज्य सरकारों के लिए मानना बाध्यकारी होता है. संविधान के अनुच्छेद 142 के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लागू करना भारत के राष्ट्रपति का कर्तव्य है. न्याय के हित में आवश्यक समझे जाने वाले किसी भी आदेश को पारित करने के लिए न्यायालय को अंतर्निहित क्षेत्राधिकार प्रदान किया गया है (Jurisdiction of Supreme Court).
भारत का सर्वोच्च न्यायालय 28 जनवरी 1950 को अस्तित्व में आया. इसकी पहली कार्यवाही और उद्घाटन 28 जनवरी 1950 को सुबह 9:45 बजे हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने 28 जनवरी 1950 से प्रिवी काउंसिल की न्यायिक समिति को अपील की सर्वोच्च अदालत के रूप में बदल दिया. भारत के पहले CJI एच जे कानिया थे (First Chief Justice of India). 1958 में, सर्वोच्च न्यायालय अपने मौजूदा परिसर में चला गया. भारत के संविधान में मूल रूप से एक मुख्य न्यायाधीश और सात न्यायाधीशों के साथ एक सर्वोच्च न्यायालय की परिकल्पना की गई थी. न्यायाधीशों की संख्या को बढ़ाने का अधिकार संसद को दिया गया है (History of Supreme Court of India).
सुप्रीम कोर्ट की इमारत को न्याय के तराजू के प्रतीक के रूप में आकार दिया गया है, जिसके सेंट्रल-बीम में मुख्य न्यायाधीश का न्यायालय और दोनों तरफ दो कोर्ट हॉल हैं. इसके दाहिने विंग में बार है, जिसमें भारत के महान्यायवादी और अन्य कानून अधिकारी के कार्यालय और अदालत का पुस्तकालय शामिल है. भवन के अलग-अलग विंगों में कुल 15 कोर्ट रूम हैं. सुप्रीम कोर्ट के भवन की आधारशिला 29 अक्टूबर 1954 को भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने रखी थी. इमारत का मेन ब्लॉक 17 एकड़ के त्रिकोणीय भूखंड पर बनाया गया है और इसे मुख्य वास्तुकार गणेश भीकाजी देवलालीकर ने भारतीय-ब्रिटिश शैली में डिजाइन किया है. वह केंद्रीय लोक निर्माण विभाग का नेतृत्व करने वाले पहले भारतीय हैं. इसमें 27.6 मीटर ऊंचा गुंबद और एक विशाल पिलर्स के साथ बना बरामदा है (Supreme Court Building and Architecture).
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि पति द्वारा अपने माता-पिता और भाई को पैसे भेजना या पत्नी से घर के खर्च का हिसाब रखने को कहना, आईपीसी की धारा 498A के तहत 'क्रूरता' नहीं माना जा सकता. अदालत ने इसे वैवाहिक जीवन की सामान्य स्थितियों से जोड़ते हुए पति के खिलाफ दर्ज क्रूरता और दहेज उत्पीड़न का मामला रद्द कर दिया.
अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा को लेकर देशभर में विवाद है. 100 मीटर ऊंचाई और 500 मीटर दायरे के फॉर्मूले पर खनन बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. सरकार इसे भ्रम बता रही है, लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अरावली खत्म हुई तो उत्तर भारत का पर्यावरण संकट में पड़ जाएगा.
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने अरावली पर सुप्रीम कोर्ट फैसले पर सफाई देते हुए कहा कि अफवाहें गलत हैं. 100 मीटर ऊंचाई वाली पहाड़ियां और ढलान संरक्षित रहेंगी. NCR में खनन पूरी तरह बंद है. सिर्फ 0.19% क्षेत्र में सीमित खनन संभव है. अरावली में 20 अभयारण्य और 4 टाइगर रिजर्व सुरक्षित है. सरकार ग्रीन अरावली के लिए प्रतिबद्ध है.
सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा मंजूर की है. आसपास की जमीन से 100 मीटर ऊंची पहाड़ी ही अरावली मानी जाएगी. यह फॉर्मूला राजस्थान में 2003 से लागू है, जो अमेरिकी विशेषज्ञ रिचर्ड मर्फी के सिद्धांत पर आधारित है. पर्यावरणविदों का डर है कि इससे छोटी पहाड़ियां संरक्षण से बाहर हो जाएंगी और खनन बढ़ेगा. #SaveAravalli मुहिम तेज हो गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में वन भूमि के अतिक्रमण पर अधिकारियों को फटकार लगाई है. कोर्ट ने इसे लेकर फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं, जो अपनी रिपोर्ट सीधे सुप्रीम कोर्ट में ही देगी.
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि नियम तोड़ने वालों को कोई राहत नहीं दी जाएगी. कर्ज वसूली मामले में आरोपी को राहत देने से इनकार किया गया जबकि अवैध निर्माण मामले में बिना अनुमति बने निर्माण को गिराने के आदेश में हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि लोग नियमों का उल्लंघन कर राहत की मांग करते हैं, लेकिन अब अदालत इस पर कोई नरमी नहीं दिखाएगी.
महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और विधायक मानिकराव कोकाटे को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. अदालत ने धोखाधड़ी मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी है. कोर्ट के इस आदेश के बाद कोकाटे विधायक बने रहेंगे और विधानसभा से अयोग्य नहीं होंगे. हालांकि वे किसी भी 'ऑफिस ऑफ प्रॉफिट' यानी लाभ के पद पर नहीं रह सकेंगे.
केंद्र सरकार के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने समिति की उस सिफारिश को स्वीकार किया है, जिसके तहत संरक्षित क्षेत्र, इको-सेंसिटिव जोन, टाइगर रिजर्व, आर्द्रभूमि और इनके आसपास के क्षेत्रों में खनन पर पूरी तरह रोक रहेगी. केवल राष्ट्रीय हित में आवश्यक, रणनीतिक और गहराई में स्थित खनिजों के लिए सीमित छूट दी जा सकती .
हरीश राणा 12 साल से कोमा में है. अब हरीश की जिंदगी और मौत का फैसला 13 जनवरी को देश की सबसे बड़ी अदालत में होगा. क्योंकि परिवार ने ही उसके लिए इच्छामृत्यु की मांग की थी. मेडिकल रिपोर्ट और मां-बाप की आखिरी सहमति पर टिके इस केस की पूरी कहानी.
वैसे 'फटाफट तलाक' उन्हें अच्छी खबर लग सकती है जो किसी टॉक्सिक रिश्ते में इस कदर घुल रहे हैं कि वो जल्द से जल्द आजाद होना चाहते हैं. उनके लिए पहले एक साल अलग रहकर फिर छह महीने का कूलिंग ऑफ पीरियड वक्त की बर्बादी ही लगेगा. रोज-रोज की घरेलू कलह से मुक्त होने की चाहत रखने वाले या बच्चों वाले कपल जो नहीं चाहते कि बच्चे कोर्ट-कचहरी की दौड़ से प्रभावित हों.
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा के सेक्टर 126 थाने में एक महिला वकील को कथित तौर पर 14 घंटे तक अवैध हिरासत में रखने, यौन उत्पीड़न, यातना और जान से मारने की धमकियों के आरोपों पर संज्ञान लिया है. अदालत ने नोएडा पुलिस से संबंधित अवधि का सीसीटीवी फुटेज सील बंद लिफाफे में तलब करते हुए नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामले में शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है. अगली सुनवाई 19 जनवरी को होगी. मजीठिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एस. मुरलीधर ने दलील दी कि जिस कथित वित्तीय लेनदेन के आधार पर नया पीसी एक्ट केस दर्ज किया गया है, वही मुद्दा पहले एनडीपीएस मामले में उठ चुका है, जिसमें उन्हें जमानत मिल चुकी है.
सुप्रीम कोर्ट ने 12 साल से कोमा में पड़े युवक के मामले में पैसिव यूथेनेशिया याचिका पर सुनवाई करते हुए माता-पिता से मिलने का फैसला किया. AIIMS रिपोर्ट में युवक की हालत बेहद गंभीर बताई गई है. अदालत ने कहा कि उसे इस स्थिति में और नहीं रखा जा सकता.
Mewar royal family property dispute पर Supreme Court की सुनवाई. लक्ष्यराज मेवाड़ और पद्मजा परमार के बीच सिटी पैलेस व HRH Group की संपत्तियों को लेकर विवाद.
सुप्रीम कोर्ट ने बोतलबंद पानी की गुणवत्ता से जुड़ी जनहित याचिका की सुनवाई से इनकार कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि देश में पीने के पानी की उपलब्धता प्राथमिकता है और बोतलबंद पानी के मानकों पर विचार करने के लिए सक्षम प्राधिकरण मौजूद है। याचिका में बोतलबंद पानी के पुराने मानकों और प्लास्टिक से रिसने वाले रसायनों के स्वास्थ्य प्रभावों को लेकर चिंता जताई गई थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को संबंधित प्राधिकरण के समक्ष अपनी बात रखने की सलाह दी।
Supreme Court ने अपने आदेश में किया बदलाव, कहा- 'दिल्ली-NCR में BS-IV से नीचे की कारों पर एक्शन की छूट'
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण मामले में बड़ा आदेश देते हुए BS-4 और उससे एडवांस गाड़ियों को 10-15 साल की उम्र सीमा से छूट दी. अब वाहन फिटनेस और PUC के आधार पर चल सकेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर को दिल्ली-एनसीआर में पॉल्यूशन को कंट्रोल करने और गाड़ियों की Age लिमिट को लेकर एक जरूरी आदेश जारी किया है.
इससे पहले दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली सरकार ने गुरुवार से दिल्ली के सभी सरकारी और निजी संस्थानों में 50 फीसदी वर्क फ्रॉम होम जरूरी कर दिया है.
दिल्ली-NCR में बिगड़ती वायु गुणवत्ता के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया. अदालत ने BS-IV से नीचे आने वाले एंड-ऑफ-लाइफ वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति दे दी है. दिल्ली सरकार की ओर से दलील दी गई कि पुराने वाहन प्रदूषण बढ़ा रहे हैं.
पूर्व सीजेआई जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंके जाने की घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने याचिका दाखिल की है. इस तरह की घटना फिर से न हो, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट अब गाइडलाइंस जारी करेगा.