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Rajasthan: AI ने पकड़ा राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों के इलाज में करोड़ों का घोटाला, MBBS डॉक्टर बना कैंसर स्पेशलिस्ट, जानें पूरा मामला

राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों के मुफ्त इलाज में बड़ा घोटाला पकड़ा गया है. AI तकनीक से जांच में सामने आया कि MBBS डॉक्टर कैंसर और किडनी की दवाएं लिख रहे थे. एक ही CT स्कैन से 34 मरीजों का इलाज दिखाया गया. एक ही परिवार को लाखों की दवाएं दी गईं. सरकारी कर्मचारियों को 2000 करोड़ की दवाएं खिला दी गईं.

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डॉक्टर केसर सिंह
डॉक्टर केसर सिंह

राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों के मुफ्त इलाज की योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है. जांच में सामने आया है कि MBBS डॉक्टर कैंसर, लीवर और किडनी जैसी गंभीर बीमारियों की दवाएं लिख रहे थे.

जयपुर के गुर्जर की थड़ी में शहरी प्राथमिक उपचार केंद्र के डॉक्टर राकेश गुप्ता एमबीबीएस हैं. इन्हें बुखार-खांसी के इलाज के लिए तैनात किया गया था, लेकिन ये पूरे राजस्थान के मरीजों को दवा लिख रहे थे. एक ही मरीज अमिलाल हरिजन को ब्रेस्ट कैंसर, किडनी समेत 25 हजार की 13 दवाएं दे दी गईं.

AI तकनीक ने जब डॉक्टर की पर्चियों को स्कैन किया तो पाया कि सभी मरीजों को एक जैसी महंगी दवाएं लिखी गईं. पाली, भीलवाड़ा और मंडावर के मरीजों को भी यहीं से दवाएं दी गईं.

खैरथल के बिब्बीरानी प्राथमिक उपचार केंद्र में डॉक्टर मनीषा चौधरी ने एक ही परिवार के 4 लोगों को लीवर की महंगी दवा लिख दी. जांच में सामने आया कि पवन मेडिकल नाम की दवा दुकान सीधे डॉक्टर से दवा लिखवाकर लाकर मरीजों को बेच रही थी. साल  2021-22 में आरजीएचएस में दवाओं पर 289.89 करोड़ खर्च हुआ था जो 2024-25 में 2566.64 करोड़ हो गया. यानी तीन सालों में हीं 2276.75 करोड़ ज्यादा.

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श्रीगंगानगर के डॉक्टर केसर सिंह ने अपने ही परिवार के लिए 38 लाख 23 हजार की दवाएं खुद ही लिख दीं. आंकड़ों की बात करें तो राजस्थान की जनता के लिए मुफ्त दवा योजना में सालाना 1100 करोड़ खर्च हो रहा है, जबकि 60 लाख सरकारी कर्मचारियों के लिए 2000 करोड़ की दवाएं खपा दी गईं. स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खिंवसर ने कहा कि शिकायत आएगी तो कार्रवाई करेंगे.

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