2024 लोकसभा चुनावों को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में सबसे तीखे और कड़वे आरोपों प्रत्यारोपों के लिए याद किया जाएगा. चुनाव प्रचार के दौरान सभी दलों के नेताओं ने चाहे वे सत्ता पक्ष के रहे हों या विपक्ष के सभी ने अपनी मर्यादा तोड़ी है. इस बीच देश के वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी से ठीक पहले देश की कमान संभालने वाले पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने दूषित चुनाव अभियान पर एक बयान देकर एक बहस को जन्म दे दिया. सिंह ने कहा कि अतीत में किसी भी प्रधान मंत्री ने समाज के एक विशिष्ट वर्ग या विपक्ष को निशाना बनाने के लिए ऐसे घृणित, असंसदीय और असभ्य शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया है. डॉक्टर मनमोहन सिंह की बातें सही हो सकती हैं पर क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसके लिए जिम्मेदार मान सकते हैं. क्या पीएम मोदी पर हमले कम हुए हैं? जब पूरा विपक्ष झूठ की बुनियाद पर अपनी दुकान चलाने की कोशिश कर रहा था ऐसे समय बीजेपी साधु बनकर क्या अपना शोरूम बंद कर लेती? आइये देखते हैं कि किस तरह इस चुनाव में झूठ पर झूठ बोलकर सभी ने अपने चुनाव अभियान को गति प्रदान की है.
1-विपक्ष ने पीएम मोदी को क्या क्या नहीं कहा?
आम तौर पर देश में तथकथित बुद्धिजीवी लोग यह कहते हुए मिल जाएंगे कि बीजेपी के शासन में आने के बाद अंतहीन राजनीतिक गिरावट हुई है. ऐसी बातें करते हुए हम भूल जाते हैं कि शुरूआत किसने की. पिछले लोकसभा चुनाव को याद करिए जब राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को चोर कहा था. याद रखें उन्होंने कितनी बार 'चौकीदार चोर है' दोहराया था? करीब करीब हर सार्वजनिक मौके पर यह बात कही गई. अब यह भी याद करिए कि पीएम मोदी के पहले किस प्रधानमंत्री को चोर कहा गया. भ्रष्टाचार के किस्से तो खैर हर सरकारों में सुने गए हैं. पर चौकीदार चोर है पहली बार 2014 के बाद ही सुना गया.यह भी याद करिए कि मोदी ने राफेल सौदे से पैसा चुराया था और इसे अनिल अंबानी की जेब में डाल दिया था , यह बात किसने कही थी? राजनीतिक गिरावट का सिलसिला सोनिया गांधी के मौत के सौदागर से लेकर मणिशंकर अय्यर के चाय वाले बयान तक पहुंचा .
2-'नरेंद्र मोदी फिर पीएम बने तो चुनाव नहीं होंगे'
लोकतंत्र में बयानबाजी के गिरते स्तर की बात तो 2014 से शुरू हुई. 2019 के बाद 2024 में एक बात और देखने को मिली है. गलत नैरेटिव सेट करने की परंपरा. नरेंद्र मोदी फिर पीएम बन गए तो देश में फिर चुनाव नहीं होंगे. रूस की तरह देश में एक दलीय प्रणाली की शुरूआत होगी और पुतिन की तरह नरेंद्र मोदी स्थाई रूप से देश के शासक बन जाएंगे. इस तरह की बातें अगर विपक्ष करने लगे तो जाहिर है सत्ता पक्ष भी चुप बैठकर अपनी गद्दी को खतरे में तो नहीं ही डालेगा. वैसे भी यह जनता से झूठ बोलकर उसको भड़काने जैसा है.
3-'संविधान बदल देंगे,आरक्षण खत्म हो जाएगा'
संविधान खतरे में है, आरक्षण खतरे में है का नरेटिव सेट करने की कोशिश कितनी हास्यास्पद है. अगर देश में संविधान संशोधन होने का खतरा है तो भी क्या संविधान खतरे में पड़ जाएगा. क्या देश में अब तक संविधान संशोधन नहीं होते रहे हैं. कांग्रेस राज में कितने संविधान संशोधन हुए हैं. क्या संविधान खतरे में पड़ गया. इस तरह बेसिरपैर की बातें क्या कभी देश के लोकतांत्रिक इतिहास में विपक्ष ने की थी. इस तरह के झूठ बोलने के बारे में यही कहा जाएगा कि सत्ता पक्ष को भड़काने के लिए इस तरह की बातें जानबूझकर की जा रही थीं. इसी तरह आरक्षण समाप्त करने का भ्रम फैलाना देश की जनता के साथ गद्दारी से कम नहीं था.
4-'भारत सरकार के 90 सेक्रेटरी में से 3 ही ओबीसी के क्यों?'
जब महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश किया जा रहा था राहुल गांधी ने उस समय एक पिछड़ों को लेकर एक नरेटिव सेट करने की कोशिश की. राहुल गांधी ने कहा कि देश में महत्वपूर्ण फैसले लेने वाले कुल सचिवों में केवल 3 सचिव ही पिछड़ी जाति के हैं. इस बयान के बाद सरकार की ओर गृहमंत्री अमित शाह ने जवाब भी दिया था. पर राहुल गांधी लगातार यह बात कई मंचों पर कहते रहे. अपनी चुनावी सभाओं में भी राहुल गांधी यह बात कहते रहे. सवाल यह उठता है कि राहुल गांधी किस पर यह ब्लेम लगा रहे थे. अगर मोदी सरकार के आने के पहले देश में कुल सचिवों की संख्या में पिछड़ी जाति के सचिवों की संख्या आज की तुलना में बेहतर होती तो यही कहा जाता कि राहुल गांधी का सवाल उठाना लाजिमी है. पर ऐसा नहीं है. मोदी सरकार के पहले भी देश में सेकेट्री लेवल के अधिकारियों में पिछड़ी जातियों की हिस्सेदारी कम ही थी बल्कि आज से भी कम थी.
5-केजरीवाल ने कहा- 'सीएए लागू होगा तो करोड़ों पाकिस्तानी आ जाएंगे'
अरविंद केजरीवाल भी लगातार पीएम नरेंद्र मोदी को कुछ ऐसी बातें कहते रहे हैं जो शायद देश का कोई भी नेता नहीं उस स्तर तक नहीं गया होगा. प्रधानमंत्री को कायर और साइकोपैथ कहने वाले केजरीवाल की पार्टी के ट्वीटर हैंडल पर लगातार उनके परिवार को लेकर भद्दे कमेंट किए गए. पीएम को अनपढ़, गवांर जैसी बातों की तो सीरीज चलाई गई.ये सब बातें तो अपनी पर्सनल खुन्नस निकालने के लिए कही गईं होंगी. पर जिस तरह उन्होंने सीएए का विरोध करने के लिए देश की जनता से झूठ बोला , उसे किसी भी हाल में एक स्वस्थ लोकतंत्र में बढ़ावा नहीं दिया जा सकता. अरविंद केजरीवाल सीएए का विरोध करने के लिए कई दिन टीवी पर आते और यही कहते कि इस कानून के बन जाने के बाद करोड़ों पाकिस्तानी दिल्ली में आकर बस जाएंगे. हमारी नागरिक सुविधाओं का क्या होगा. जबकि हर कोई जानता है कि इस कानून के लागू होने के बाद भी मुट्ठी भर लोग ही पाकिस्तान से भारत आकर नागरिकता ले सकते हैं. यह कानून इसलिए लाया गया है कि भारत में दशकों से जो लोग रहे हैं उन्हें देश की नागरिकता मिल सके.
6-दलित-पिछड़ों का कोटा मुसलमानों को किसने दिया?
राहुल गांधी लगातार अपने चुनाव अभियान में जातियों की जनगणना कराने और संपत्तियों की सर्वे कराने की बात करते रहे हैं. इसी बीच सैम पित्रोदा का विरासत टैक्स वाला बयान आ जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विपक्ष के अंदाज में ही जवाब देने लगे. उन्होंने मंगलसूत्र छीनने वाला बयान उसी तरह की अतिशयोक्ति थी जिस तरह की भाषा विपक्ष इस्तमाल कर रहा था. बीजेपी ने उसी अंदाज में कांग्रेस घोषणा पत्र की बातों पर हमले शुरू कर दिया. कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में नौकरियों, युवाओं, महिलाओं, हाशिए पर रहने वाले लोगों पर ध्यान केंद्रित किया गया था पर बीजेपी ने अल्पसंख्यकों के लिए किए गए वादे आदि पर फोकस किया. 26 अप्रैल को, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कांग्रेस के घोषणापत्र में देश भर में मुसलमानों को गोहत्या की खुली छूट देने का वादा किया गया है. यूपी के संभल लोकसभा क्षेत्र में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ''इन बेशर्मो को देखो, ये कैसे भारत की आस्था के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. जिस गाय को हम माता कहते हैं और पूजा करते हैं, उसे ये कसाईयों को देंगे काटने के लिएय क्या हिंदुस्तान इसे स्वीकार करेगा?
इसके बाद पीएम मोदी ने भी लगातार पिछड़ों और दलितों के कोटे को साजिश के तहत अल्पसंख्यकों को देने का कांग्रेस पर आरोप लगाना शुरू किया .पर आश्चर्यजनक यह रहा कि पीएम मोदी की इस आरोप का क्लीयर जवाब नहीं दिया गया. हालांकि एक बार इंडिया गुट के नेता आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने मुसलमानों को आरक्षण देने के बात स्वीकार कर ली थी. पर बाद में वो अपनी बात से मुकर गए. कर्नाटक में सभी मुसलमानों (पिछड़ों के साथ शेख, सैयद ,पठान जैसे उच्च मुसलमान भी) को पिछड़े वर्ग में शामिल करने का आरोप भी पीएम मोदी अपनी सभाओं में लगाते रहे. इन बातों को लेकर उनके तमाम आलोचकों ने कहा कि पीएम चुनाव को जानबूझकर हिंदू मुसलमान कर रहे हैं. पर कोई भी सामने आकर यह नहीं कहा कि यह संवैधानिक है या यह गलती से हो गया.