डॉ मनमोहन सिंह (Dr Manmohan Singh) भारत के पूर्व प्रधानमंत्री थे. 26 दिसंबर 2024 को उन्होंने 92 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. उस दिन वो अचानक बेहोश हो गए थे, उन्हें रात 8 बजे नई दिल्ली के एम्स मेडिकल इमरजेंसी में लाया गया. तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका. रात करीब 9.51 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
वे जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी के बाद चौथे सबसे लंबे समय तक के प्रधानमंत्री थे. उनके कार्यकाल के दौरान राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (एनआरईजीए) (NREGA) और सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 में संसद द्वारा पारित किए गए थे.
वे एक महान अर्थशास्त्री थे.1991 में, जब भारत वित्तीय संकट से गुजर रहा था, उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में आर्थिक उदारीकरण की नीतियां लागू कीं, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिली. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे.
उनका जन्म 26 सितंबर 1932 को गाह (अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में) में हुआ था. उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की थी और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर थे. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी. फिल की उपाधि प्राप्त की थी.
जेल में उम्रकैद काट रहे जेकेएलएफ आतंकी यासीन मलिक ने दावा किया कि 2006 में खुफिया एजेंसियों के कहने पर पाकिस्तान में हाफिज सईद से मुलाकात की और बाद में पीएम मनमोहन सिंह ने उसे धन्यवाद दिया. मलिक का हलफ़नामा अब बड़ा राजनीतिक विवाद बन गया है.
विचारधारा की स्वतंत्रता की बातें और मोदी सरकार पर तानाशाह होने का आरोप कांग्रेस अकसर लगाती रही है. पर यूपीए शासनकाल के दौरान 2012 में नरेंद्र मोदी का एक साक्षात्कार छापने से रोकने के लिए शाहिद सिद्दीकी को न केवल धमकी दी गई बल्कि दंडित भी किया गया.
भारतीय प्रधानमंत्रियों ने अलग-अलग समय पर चीन का दौरा किया है. इन यात्राओं का मकसद 1962 के युद्ध के बाद बिगड़े रिश्तों को सामान्य करना, सीमा पर शांति स्थापित करना और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना रहा है.
देश में समाजवाद के नाम पर बने सभी कानूनों को खत्म किया जा चुका है, पर चुनाव जीतने के लिए देश में गरीबोन्मुख योजनाएं पर इतना पैसा खर्च हो रहा है जितना कभी इंदिरा और नेहरू के दौर में भी नहीं हुआ. मतलब समाजवाद शब्द से केवल परहेज है, नीतियों से नहीं. यानी शराब वही है बस बोतल बदल दी गई है.
सोशल मीडिया पर बॉलीवुड एक्टर संजय मिश्रा के एक कथित ‘एक्स’ पोस्ट का स्क्रीनशॉट खूब शेयर किया जा रहा है. कुछ लोग इसे उनका असली पोस्ट बताकर शेयर कर रहे हैं. आजतक ने इस वायरल पोस्ट का फैक्ट चेक किया है...
इसमें कोई 2 राय नहीं हो सकती कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अभी शुभ संकेत नहीं हैं. पर जब भारत की वर्तमान स्थिति की तुलना मनमोहन सिंह के कार्यकाल से होती है या पिछले 10 सालों में दुनिया के बड़े देशों की इकॉनमी का हाल देखते हैं तो क्या समझ में आता है , आइये देखते हैं...
दिवंगत पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के मेमोरियल के लिए जगह तय हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, प्रणब मुखर्जी के स्मारक के बगल में डॉ. मनमोहन सिंह का स्मारक बनेगा। सरकार ने ट्रस्ट को 25 लाख रुपए देने का भी निर्णय लिया है। मेमोरियल के निर्माण की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है। जानें, मनमोहन सिंह के स्मारक का निर्माण कहां होगा और इससे प्रणब मुखर्जी के स्मारक की कितनी दूरी होगी।
जम्मू कश्मीर विधानसभा के बजट सत्र में उमर अब्दुल्ला ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह ने कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए अहम योगदान दिया है. उनके कार्यकाल में शिविरों में पंडितों को फ्लैट दिए गए और नौकरियों में आरक्षण व रोजगार योजनाएं लाई गईं.
दशकों की गुलामी से आजाद हुआ भारत अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश कर रहा था. ऐसी स्थिति में भारत की उम्मीद भरी नजरें अमेरिका की तरफ थी. 1949 में प्रधानमंत्री नेहरू पहली बार अमेरिका के दौरे पर गए. भारत को आस थी कि दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क उनकी मदद करेगा लेकिन अमेरिका की ट्रूमैन सरकार को इसमें कोई खास दिलचस्पी नहीं थी.
आज तक द्वारा कराए गए एक सर्वे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अब तक का सबसे बेहतरीन प्रधानमंत्री माना गया है. मोदी जी को 50.7% वोट मिले, जबकि दूसरे स्थान पर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह रहे. आश्चर्यजनक रूप से, युवा पीढ़ी ने इंदिरा गांधी से अधिक मनमोहन सिंह को वोट दिया. इंदिरा गांधी 10.3% वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहीं, जबकि जवाहरलाल नेहरू को 5.2% वोट मिले. अटल बिहारी वाजपेयी 11.8% वोट के साथ पांचवें स्थान पर रहे.
दिवंगत पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का मेमोरियल को लेकर प्रक्रिया अंतिम चरण में बताई जा रही है. सूत्रों के मुताबिक प्रणब मुखर्जी के स्मारक के बगल का प्लॉट डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए उनके परिवार को दिया गया है.
बात साल 1991 की है, जब देश के पास बहुत कम पैसे बचे थे. यह पैसा इतना कम था कि ज्यादा समय तक देश चलाना संभव नहीं हो पाता. ऐसे में वित्त मनमोहन सिंह और तत्कालीन पीएम पीवी नरसिम्हा राव ने ऐसा फैसला लिया, जिसने देश की आर्थिक रफ्तार को बढ़ा दिया.
Budget 2025 पेश होने में महज कुछ दिन शेष बचे हैं और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने कार्यकाल का आठवां बजट भाषण देंगी. भारतीय बजट इतिहास पर नजर डालें, तो देश में तीन प्रधानमंत्रियों ने PM रहते हुए इसे पेश किया है, जबकि 2 बजट पेश करने के बाद प्रधानमंत्री बने हैं.
कांग्रेस पार्टी पर आरोप रहा है कि गांधी परिवार से अलग हटकर वो सोचती ही नहीं है. पर पिछले दिनों मनमोहन सिंह की मृत्यु के बाद उनके स्मारक बनाने को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर जमकर हमले किए थे. कांग्रेस ने अपने नए मुख्यालय का नाम इंदिरा गांधी के नाम पर करके यह दिखा दिया है कि पार्टी में गांधी फैमिली के लोगों को ही सर्वोच्च सम्मान मिलता है.
मनमोहन सिंह के स्मारक स्थली की डिमांड हो रही थी और मोदी सरकार ने प्रणब मुखर्जी का स्मारक बनाए जाने का ऐलान कर दिया. जाहिर है कि सरकार के फैसले से हर कोई अचंभित है. आइये देखते हैं कि सरकार क्या मेसेज देना चाहती है?
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर केंद्र सरकार ने कार्यवाही शुरू कर दी है. राष्ट्रीय स्मृति स्थल राजघाट के आसपास और किसान घाट के पास कुछ स्थानों को चिन्हित किया गया है. मनमोहन सिंह की स्मृति के लिए बनने वाले ट्रस्ट को लगभग डेढ़ एकड़ जमीन दी जाएगी. सरकार ने इन विकल्पों को मनमोहन सिंह के परिवार के साथ साझा किया है और उनसे चयन करने को कहा है. तो आइए ऐसे में जानते हैं कि देश की किन महान हस्तियों का स्मारक कहां बनाया गया है.
नई नीति के मुताबिक, मेमोरियल की जमीन केवल ट्रस्ट को ही आवंटित की जा सकती है. ट्रस्ट बनने के बाद ही स्मारक के निर्माण का काम शुरू किया जा सकता है.
सूत्रों के अनुसार मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए राजघाट, राष्ट्रीय स्मृति स्थल या किसान घाट के पास एक से डेढ़ एकड़ जमीन दी जा सकती है. शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारियों ने स्मारक के लिए राजघाट और उसके आसपास के इलाके का दौरा किया है.
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर केंद्र सरकार ने कार्यवाही शुरू कर दी है. राष्ट्रीय स्मृति स्थल राजघाट के आसपास और किसान घाट के पास कुछ स्थानों को चिन्हित किया गया है. मनमोहन सिंह की स्मृति के लिए बनने वाले ट्रस्ट को लगभग डेढ़ एकड़ जमीन दी जाएगी. सरकार ने इन विकल्पों को मनमोहन सिंह के परिवार के साथ साझा किया है और उनसे चयन करने को कहा है. video
नया साल आने वाला है, लेकिन 2024 में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं, इस साल विश्व में कई बड़े बदलाव हुए, राजनीति, खेल, मनोरंजन और व्यवसाय में नए रिकॉर्ड बनाए गए, यह साल कई उपलब्धियों और चुनौतियों से भरा रहा. इस साल क्या-क्या हुआ, जानने के लिए देखिए सुधीर चौधरी के साथ 'ब्लैक एंड व्हाइट' शो.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को उम्र संबंधी समस्याओं के कारण दिल्ली एम्स में निधन हो गया. वह 92 वर्ष के थे. उनका अंतिम संस्कार 28 दिसंबर को नई दिल्ली के निगमबोध घाट पर किया गया. भारत और दुनिया भर के नेताओं ने मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया.