कंगना रनौत के हाल के दोनों ही बयानों से बीजेपी ने पहले ही पल्ला झाड़ लिया था. पिछले बयान पर तो कंगना रनौत को आलाकमान से डांट भी पड़ी थी, कृषि कानूनों से जुड़े अपने बयान को लेकर तो वो माफी भी मांग चुकी हैं.
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को बीजेपी प्रवक्ता से ज्यादा कंगना रनौत की बात पर भरोसा लग रहा है. राहुल गांधी को लगता है कि बीजेपी ने प्रतिक्रिया जानने के लिए ही एक्टिंग से राजनीति में आईं कंगना रनौत को आगे किया है - और उसके इरादे अलग हो सकते हैं.
राहुल गांधी का सवाल है, 'सरकार की नीति कौन तय कर रहा, एक बीजेपी सांसद या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी?'
राहुल गांधी बाकायदा एक वीडियो बनाकर कंगना रनौत के बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी से असली बात जानने की कोशिश की है. राहुल गांधी ने अपना वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया है.
क्या कहा है कंगना रनौत ने?
हिमाचल प्रदेश के मंडी से बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने बांग्लादेश हिंसा के मामले को किसान आंदोलन से जोड़ कर पेश किया तो, बीजेपी ने फौरन ही पल्ला झाड़ लिया था. ये तो बताया ही गया कि किसानों को लेकर कंगना रनौत ने अपने निजी विचार रखे हैं, और ये भी खबर आई कि कंगना रनौत को ऐसे मुद्दों पर बयान देने से बचने की सख्त सलाहियत दी गई है.
लेकिन कंगना रनौत कहां मानने वाली हैं. वो तो पहले भी अपनी बात कहने में कोई संकोच नहीं करती थीं, अब तो मंडी के लोगों ने उनको बोलने का मैंडेट ही दे दिया है. बांग्लादेश में हुई हिंसा को लेकर पिछले ही महीने अगस्त में कंगना रनौत का कहना था, 'आज हमारा शीर्ष नेतृत्व कमजोर होता तो बांग्लादेश जैसी स्थिति भारत में भी हो सकती थी... किसान आंदोलन के दौरान क्या हुआ, वो सबने देखा... कैसे प्रोटेस्ट के नाम पर वॉयलेंस फैलाया गया... रेप हो रहे थे, मारकर लाशों को लटकाया जा रहा था... जब बिल को वापस लिया गया तो ये उपद्रवी चौंक गए, क्योंकि उनकी प्लानिंग तो बहुत लंबी थी... समय रहते कंट्रोल पा लिया गया वरना कुछ भी कर सकते थे.'
जैसे तैसे बीजेपी ने कंगना रनौत के बयान से पीछा छुड़ाया ही था कि वो फिर से बोल पड़ीं, मुझे पता है कि ये बयान विवाद कर सकता है, लेकिन तीनो कृषि कानूनों को वापस लाया जाना चाहिये... किसानों को खुद इसकी मांग करनी चाहिये... किसानों के लिए तीनों कानून फायदेमंद थे, लेकिन कुछ किसान संगठनों के विरोध के कारण सरकार ने निरस्त कर दिया.
संसद पहुंचने के काफी पहले से कंगना रनौत बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश करती रही हैं, लेकिन ज्यादातर बीजेपी की मुसीबत ही बढ़ाई है. जब उद्धव ठाकरे के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहते कंगना रनौत मोर्चा खोले हुई थीं, तब भी महाराष्ट्र बीजेपी के नेताओं के लिए उनका सपोर्ट करना मुश्किल हो रहा था. तब मुंबई पुलिस को टारगेट करते हुए कंगना रनौत बार बार PoK का नाम ले रही थीं, और देवेंद्र फडणवीस जैसे नेताओं के लिए फिल्मस्टार का बचाव करना मुश्किल हो रहा था - कंगना रनौत अब संसद पहुंच गई हैं, लेकिन बीजेपी की मुसीबत बदली नहीं है.
राहुल गांधी को बीजेपी के आधिकारिक रुख पर शक क्यों?
बांग्लादेश वाली बात पर तो नहीं लेकिन कृषि कानूनों पर कंगना रनौत के बयान को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने काफी गंभीरता से लिया है - और पूछा है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साफ करना चाहिये कि क्या वो निरस्त किए जा चुके तीनो काले कृषि कानूनों को फिर से लाना चाहते हैं या नहीं?
राहुल गांधी ने साफ तौर पर चेताया है कि अगर प्रधानमंत्री ने उन कानूनों को फिर से लाने जैसा कोई कदम उठाया तो INDIA ब्लॉक उसका विरोध करेगा, और उन्हें एक बार फिर माफी मांगनी पड़ेगी.
सरकार की नीति कौन तय कर रहा है? एक भाजपा सांसद या प्रधानमंत्री मोदी?
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 25, 2024
700 से ज़्यादा किसानों, खास कर हरियाणा और पंजाब के किसानों की शहादत ले कर भी भाजपा वालों का मन नहीं भरा।
INDIA हमारे अन्नदाताओं के विरुद्ध भाजपा का कोई भी षडयंत्र कामयाब नहीं होने देगा - अगर किसानों को नुकसान… pic.twitter.com/ekmHQq6y5D
अपने वीडियो में राहुल गांधी कह रहे हैं, बीजेपी के लोग विचारों को लेकर जांच-परख करते रहते हैं... किसी से कहते हैं कि सार्वजनिक रूप से विचार रखिये... और फिर देखते हैं कि प्रतिक्रिया क्या होती है? यही हुआ है... एक सांसद ने काले कृषि कानूनों को फिर से लाने की बात की है... प्रधानमंत्री मोदी स्पष्ट कीजिए, क्या आप उन कानूनों को फिर से लाना चाहते हैं?
राहुल गांधी ने वीडियो के जरिये एक बड़ी शिकायत भी दर्ज कराई है, प्रधानमंत्री मोदी ने शहीद किसानों के लिए संसद में दो मिनट का मौन भी नहीं रखने दिया था.
बीजेपी भले ही कंगना रनौत की बातों को बार बार निजी बयान करार देती हो, लेकिन ऐसे वक्त जब हरियाणा में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं, कंगना रनौत की ये बात बीजेपी की मुश्किल तो बढ़ा ही सकती है. फर्ज कीजिये, वोटिंग तक राहुल गांधी संविधान बदल डालने या आरक्षण खत्म कर देने की आशंका जताकर कोई नया नैरेटिव सेट करने में सफल हुए तो बीजेपी को लेने के देने भी पड़ सकते हैं.