बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का पता बदल गया है. साथ ही, तेजस्वी यादव और लालू यादव का भी आवासीय पता बदल गया है. ये सब राबड़ी देवी के लिए नए आवास के आवंटन के कारण हुआ है. वैसे नए घर में शिफ्ट होने में कोई खास मुश्किल नहीं होने वाली है - क्योंकि दोनों के बीच फासला अब भी महज 800 मीटर का ही होगा. जबकि अब तक लालू परिवार बिहार सीएम आवास से 300 मीटर की दूरी पर रहता था.
ये बदलाव बिहार के भवन निर्माण विभाग की तरफ से मंत्रियों और विधान परिषद में विपक्ष के नेता के लिए आवास आवंटित किए जाने के दौरान हुआ है. भवन निर्माण विभाग की तरफ से इस सिलसिले में औपचारिक पत्र भी जारी कर दिया है.
ऐसा भी नहीं कि सरकारी आवास दिए जाने के लिए कोई नया नियम बनाया गया है, और लालू परिवार को उसका खामियाजा भुगतना पड़ा है. असल में, ये सब पटना हाई कोर्ट के आदेश पर हुआ है, जब अदालत ने बिहार सरकार के नियमों को रद्द कर दिया था. अदालत का ये आदेश तेजस्वी यादव की एक याचिका पर सुनवाई के बाद आया था.
बताते हैं कि ये नियम उस दौरान बनाए गए थे जब तेजस्वी यादव सरकार में डिप्टी सीएम हुआ करते थे. खास बात ये है कि नियम तेजस्वी यादव के 2025 का विधानसभा चुनाव हार जाने के बाद उनके परिवार के मामले में लागू किया गया है.
लेकिन, सबसे दिलचस्प बात है नीतीश कुमार के सरकारी आवास से राबड़ी देवी के नए आवास की दूरी - और समझने वाली बात ये है कि क्या नीतीश कुमार और लालू यादव की 'सहोदर' भाई जैसी दोस्ती में दिलों की दूरी में भी फर्क आया है?
बिहार में बदला क्या है?
बिहार में बदला तो लगभग कुछ भी नहीं है. न मुख्यमंत्री, न दोनों डिप्टी सीएम और न ही नेता प्रतिपक्ष. सम्राट चौधरी को गृह विभाग मिलना एक बदलाव जरूर है, और दूसरा खास बदलाव राबड़ी देवी का आवास बदलना है. लेकिन ज्यादातर चीजें तो वैसी ही हैं, जैसी चुनावों से पहले थीं.
चूंकि तेज प्रताप यादव परिवार का हिस्सा नहीं हैं, इसलिए उनका सरकारी आवास खाली करना अलग से देखा जाएगा. विधायक होने के नाते तेज प्रताप यादव को मिला सरकारी आवास भी अब दूसरे को मिल गया है. तेज प्रताप यादव अभी तक 26, एम स्ट्रैंड रोड का बंगला मिला हुआ था. लेकिन, अब उसे भी खाली करने का नोटिस जारी हो गया है. तेज प्रताप यादव वाला आवास अब नई सरकार में मंत्री बने लखेंद्र कुमार रोशन को मिल गया है.
राबड़ी देवी अभी तक 10, सर्कुलर रोड (पूर्व मुख्यमंत्री आवास) वाले सरकारी बंगले में पूरे परिवार के साथ रह रही थीं. नई व्यवस्था में अब उनको हार्डिंग रोड के केन्द्रीय पूल आवास संख्या-39 में शिफ्ट होना होगा.
1, अणे मार्ग पर मुख्यमंत्री आवास है, जहां नीतीश कुमार रहते हैं. कुछ दिनों के लिए जब नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद छोड़ा था, तो सरकारी आवास भी छोड़ दिया था. और मुख्यमंत्री की कुर्सी की ही तरह जीतन राम मांझी से सरकारी आवास वापस लेने के लिए भी जूझना पड़ा था.
ध्यान से देखें तो नीतीश कुमार के आवास और राबड़ी देवी के आवास की दूरी अब 300 मीटर से बढ़कर 800 मीटर हो गई है. मतलब, अब नीतीश कुमार के आवास से राबड़ी देवी का आवास 500 मीटर ज्यादा हो गया है, जबकि पहले ये दूरी महज 300 मीटर थी.
अप्रैल, 2022 में नीतीश कुमार इफ्तार पार्टी में हिस्सा लेने राबड़ी देवी के आवास तक पैदल ही चलकर गए थे. तब नीतीश कुमार एनडीए के ही मुख्यमंत्री हुआ करते थे, और चार महीने बाद ही पाला बदलकर महागठबंधन के मुख्यमंत्री बन गए थे.
सवाल ये है कि नीतीश कुमार और राबड़ी देवी के घरों की जो दूरी बढ़ी है, उसमें कोई खास संदेश भी है क्या? क्या दोनों घरों के बीच बढ़ी दूरी, दो दोस्तों, नीतीश कुमार और लालू यादव, के दिलों के बीच की दूरी को भी कहीं न कहीं दर्शा रही है? और, क्या ये सब किसी और को मैसेज देने की कोशिश है?
ये बदला हुआ रिश्ता क्या कहलाता है
2017 में जब नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ मिलकर नई सरकार बना ली, तो तेजस्वी यादव को बतौर डिप्टी सीएम मिला बंगला 5, देशरत्न मार्ग खाली करने को बोल दिया गया. तेजस्वी यादव विपक्ष के नेता के रूप में उसी बंगले में रहना चाहते थे. सरकारी फरमान के खिलाफ तेजस्वी यादव हाईकोर्ट चले गए. तब पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसके तहत राज्य के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को पटना में आवास, सुरक्षा और कई सुविधाएं सरकारी खर्च पर दी जा रही थीं.
राबड़ी देवी का आवास बदले जाने के पीछे उसी आदेश का हवाला दिया जा रहा है. आदेश जारी किए जाते हैं. नियम बनाए जाते हैं, लागू करने के लिए. नियम लागू भी किए जाते हैं, लेकिन सुविधा के हिसाब से. कभी कभी तो नियमों को ताक पर भी रख दिया जाता है.
2017 के बाद 2020 में भी विधानसभा चुनाव हुए. राबड़ी देवी का आवास नहीं बदला. लेकिन, 2025 के विधानसभा चुनाव के बाद बदल गया. शायद इसलिए क्योंकि राजनीतिक समीकरण काफी बदल गए हैं. नीतीश कुमार कमजोर तो 2020 में ही हो गए थे, लेकिन बीजेपी अब जाकर प्रभावी नजर आ रही है. नीतीश कुमार के हाथ से गृह विभाग फिसलकर सम्राट चौधरी के पास चला जाना मिसाल है.
2024 के आम चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़कर बीजेपी के साथ एनडीए में आ गए थे. और, तब से लगातार कहते चले आ रहे हैं, अब कहीं नहीं जाएंगे. गलती हो गई थी, अब गलती नहीं करेंगे. दूसरी तरफ, लालू यादव ने भी चुनावों के दौरान नीतीश कुमार के लिए हमेशा के लिए दरवाजा बंद कर देने की बात कही थी.
शपथग्रहण के बाद. नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फिर से पैर छूए थे. ये एक तरह से कहीं नहीं जाने की गारंटी थी. बयान कम पड़ रहे थे, इसलिए पैर छू लिए थे. अब राबड़ी देवी का बंगला बदलकर, लालू परिवार को अपने सरकारी आवास से दूर शिफ्ट कर नीतीश कुमार ने नया मैसेज दिया है - ताकि मोदी और शाह को पक्का यकीन हो सके कि अब वो कभी भी लालू यादव के साथ नहीं जाने वाले हैं - आखिर ये बदला हुआ रिश्ता क्या कहलाता है?