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सर्वे में नीतीश कुमार का पिछड़ जाना दूसरों के मुख्यमंत्री बनने की गारंटी भी नहीं है

बिहार चुनाव से छह महीने पहले एक सर्वे में नीतीश कुमार की लोकप्रियता में गिरावट दर्ज की गई है, और वो मुख्यमंत्री पद के पहले पसंदीदा नेता भी नहीं रह गये हैं - लेकिन क्या इतने भर से किसी और नेता के बिहार का अगला मुख्यमंत्री बनने का रास्ता खुल सकता है?

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नीतीश कुमार के पक्ष में भले ही राजनीतिक समीकरण ठीक लगते हों, लेकिन सर्वे में तो प्रशांत किशोर भी टक्कर देने लगे हैं.
नीतीश कुमार के पक्ष में भले ही राजनीतिक समीकरण ठीक लगते हों, लेकिन सर्वे में तो प्रशांत किशोर भी टक्कर देने लगे हैं.

बिहार चुनाव में बमुश्किल छह महीने बचे हैं. बाकी तैयारियां अपनी जगह हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार भी मैदान में नजर आने लगे हैं - और हाल के एक सर्वे की माने तो नीतीश कुमार के सामने नई चुनौतियां खड़ी होने लगी हैं.

पहले से मुख्यमंत्री पद के दावेदारों के बारे में तो लोगों को मालूम है ही, सर्वे में नये खिलाड़ी प्रशांत किशोर भी होड़ में शामिल बताये जा रहे हैं - और वो भी लोगों की पसंद के मामले में नीतीश कुमार से आगे ही चल रहे हैं.

तेजस्वी यादव का तो 2020 के चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन देखा गया. पांच साल बात भी तेजस्वी यादव ने न सिर्फ वही तेवर बरकरार रखा है, बल्कि मुख्यमंत्री पद की पसंद के मामले में वो, सर्वे के मुताबिक, नीतीश कुमार पर भी भारी पड़ते नजर आ रहे हैं. 

सर्वे में नीतीश कुमार लोगों की पहली पसंद नहीं

सी वोटर के सर्वे में नीतीश कुमार को लेकर जो बात सामने आई है, वो बहुत हैरान करने वाली भी नहीं है. नीतीश कुमार की लोकप्रियता में गिरावट तो 2020 में ही दर्ज की गई थी - और आखिरी चुनावी रैली में तो नीतीश कुमार ने खुद ही बोल दिया था, अंत भला तो सब भला. सुनकर बहुतों को लगा जैसे अलविदा कह रहे हों. 

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पहले की चुनावी रैलियों में भी देखकर लगता था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हर जगह नीतीश कुमार को संभालने की कोशिश कर रहे हों. और, नीतीश कुमार पूरी तरह सरेंडर कर चुके हों. 

नीतीश कुमार: बिहार चुनाव से छह महीने पहले, सी वोटर सर्वे के अनुसार, नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के रूप में लोगों की तीसरी पसंद बताये गये हैं. 

सर्वे के अनुसार, नीतीश कुमार की लोकप्रियता में 3 फीसदी की गिरावट दर्ज की जा रही है. क्योंकि, फरवरी, 2025 में नीतीश कुमार की लोकप्रियता 18 फीसदी पाई गई थी, और अब यानी अप्रैल में 15 फीसदी रह गई है. 

नीतीश कुमार का आकलन तो नहीं, लेकिन प्रशांत किशोर के बारे में लोगों की राय थोड़ा हैरान करती है. हैरानी इसलिए भी होती है क्योंकि बिहार में जैसा राजनीतिक समीकरण देखा जाता है, उसमें प्रशांत किशोर मिसफिट ही माने जाते रहे हैं. 

प्रशांत किशोर: मुख्यमंत्री पद के पसंदीदा चेहरों की रैंकिंग में प्रशांत किशोर दूसरे पायदान पर पाये गये हैं. मतलब, नीतीश कुमार से भी एक पायदान ऊपर. मतलब, नीतीश कुमार से ज्यादा पसंदीदा मुख्यमंत्री पद के दावेदार. 

सर्वे के मुताबिक, प्रशांत किशोर की लोकप्रियता में करीब दो फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है. पहले उनकी लोकप्रियता 14.9 फीसदी पाई गई थी, जो अब बढ़कर 17.2 फीसदी हो गई है. 

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प्रशांत किशोर के राजनीति प्रभाव की बात करें तो काफी दिनों से वो बिहार की राजनीति में सक्रिय हैं. जन सुराज यात्रा के बाद वो जन सुराज पार्टी भी बना चुके हैं - और पिछले साल हुए उपचुनावों में अपने उम्मीदवारों को चुनाव लड़ा भी चुके हैं.

करीब 10 फीसदी वोटों की हिस्सेदारी लेकर प्रशांत किशोर ने दस्तक तो दे ही डाली है, और बिहार में छात्रों के आंदोलन का सपोर्ट कर वो विवादों के बाद खुद की अलग छाप भी छोड़ चुके हैं - बेरोजगारी और बुनियादी समस्याओं पर बात करने के साथ ही, प्रशांत किशोर ये भी कह रहे हैं कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो इस बार छठ पर घर आने वाले युवाओं को काम के लिए लौट कर जाना नहीं पड़ेगा. 

तेजस्वी यादव: 2020 के बिहार चुनाव में बहुमत के करीब पहुंच कर चूक गये तेजस्वी यादव को सर्वे में शामिल लोगों ने मुख्यमंत्री पद का सबसे पसंदीदा चेहरा बताया है. 

लोकप्रियता के पैमाने पर देखें तो तेजस्वी यादव फिलहाल 35.5 फीसदी लोगों की पसंद बने हुए हैं, जबकि पहले उनकी लोकप्रियता 40.6 फीसदी दर्ज की गई थी. 

चुनाव जीतकर बेटे को मुख्यमंत्री बनाने के लिए लालू यादव हर तरकीब आजमा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी अब तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री पद की राह में रोड़े अटका दे रहे हैं. 

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कांग्रेस ने अभी तक तेजस्वी यादव के महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के चेहरे को मंजूरी नहीं दी है. कांग्रेस नेताओं की पैंतरेबाजी बिहार में भी दिल्ली जैसी ही दिखाई दे रही है, जो अरविंद केजरीवाल के सत्ता गंवाने की एक बड़ी वजह बनी थी. 

मुख्यमंत्री पद के दावेदार तो और भी हैं मैदान में

महागठबंधन की ही तरह एनडीए में भी मुख्यमंत्री पद को लेकर लड़ाई नजर आने लगी है. नये दावेदार चिराग पासवान भी लगता है होड़ में शामिल हो गये हैं. 

सर्वे में तो चौथे पायदान पर मुख्यमंत्री पद के दावेदार बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ही हैं, लेकिन चिराग पासवान के समर्थक कुछ ज्यादा ही उछलने लगे हैं. 

चर्चा थोड़ी गंभीर इसलिए हो जा रही है, क्योंकि चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ने का भी संकेत दे दिया है. फिलहाल वो केंद्र की एनडीए सरकार में मंत्री हैं. 

सम्राट चौधरी को बीजेपी ने नीतीश कुमार की लव-कुश समीकरण वाली राजनीति को काउंटर करने के लिए मैदान में उतारा है, तो चिराग पासवान तो नीतीश कुमार को बर्बाद करने में मोदी का हनुमान बनकर पांच साल पहले ही अपना जौहर दिखा चुके हैं. 

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