प्रशांत किशोर, राजनीतिक रणनीतिकार
प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) एक भारतीय राजनीतिक रणनीतिकार हैं (Indian Political Strategist). उन्हें सितंबर 2018 में जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) ने अपने राजनीतिक रणनीतिकार के रूप में नियुक्त किया था. उन्होंने 29 जनवरी 2020 को नीतीश कुमार के साथ असहमति के कारण जद (यू) छोड़ दिया. किशोर ने अपने करियर की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र में आठ साल तक काम किया, जहां वे अंतरराष्ट्रीय राजनेताओं के राजनीतिक रणनीतिकार थे (Prashant Kishor Worked for UNO).
प्रशांत किशोर का जन्म 20 मार्च 1977 को बिहार के रोहतास जिले हुआ था (Prashant Kishor Age). उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा बक्सर जिले में हासिल की (Prashant Kishor Education).
2013 में, किशोर ने 2014 के आम चुनाव की तैयारी के लिए सिटीजन्स फॉर एकाउंटेबल गवर्नेंस (CAG) नाम से एक मीडिया और प्रचार कंपनी बनाई (Prashant Kishor Media and Publicity Company). किशोर को नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के लिए इनोवेटिव मार्केटिंग और एडवर्टाइजिंग कैंपेन को तैयार करने का श्रेय दिया जाता है. चाय पे चर्चा चर्चा (Chai Par Charcha), 3डी रैलियां, रन फॉर यूनिटी, मंथन और सोशल मीडिया के तमाम कार्यक्रम उन्हीं के दिमाग की उपज थी (CAG and the 2014 general-election campaign).
किशोर ने 2015 में इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC) के साथियों के साथ बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इलेक्शन कैंपेन और स्ट्रेटजी की जिम्मेदारी संभाली. उन्होंने "नीतीश के निश्चय: विकास की गारंटी" के नारे के साथ, सीएम के सात कमिटमेंट्स को जनता तक पहुंचाया. बिहार चुनाव जीतने पर, नीतीश ने किशोर को अपना सलाहकार बनाया था (I-PAC and the 2015 Bihar Assembly election campaign).
2016 में कांग्रेस ने पंजाब विधानसभा में चुनावी रणनीति तैयार करने के लिए प्रशांत किशोर को नियुक्त किया. लगातार दो बार हारने के बाद 2017 में किशोर की सलाहों की मदद से कांग्रेस पंजाब में सत्ता में लौटी (Prashant Kishor Punjab Assembly Election 2017).
2017 के यूपी चुनावों के लिए कांग्रेस ने किशोर को नियुक्त किया. लेकिन यहां उन्हें सफलता नहीं मिली (Uttar Pradesh Assembly Election 2017).
किशोर को मई 2017 में वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने अपना राजनीतिक सलाहकार बनाया. उन्होंने रेड्डी के चुनावी अभियानों की एक सीरीज को डिजाइन किया और वाईएसआरसीपी ने 175 सीटों में से 151 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की (Andhra Pradesh Assembly Elections 2019).
किशोर 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के चुनावी रणनीतिकार थे. आदमी पार्टी चुनावों में 70 में से 62 सीटों पर भारी बहुमत से जीतने में सफल रही (Delhi Assembly Elections 2020).
किशोर को 2021 पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव के लिए तृणमूल कांग्रेस के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था. उनकी सफल रणनीति ने ममता बनर्जी को 294 सीटों में से 213 सीटों पर भारी जीत दिलाई (West Bengal Elections 2021).
2021 में वे DMK प्रमुख एम के स्टालिन के रणनीतिकार थे. उनके मैनेजमेंट में DMK ने 159 सीटों के साथ चुनाव जीता और स्टालिन पहली बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने (Tamil Nadu Assembly Elections 2021).
चिराग पासवान बिहार की राजनीति में धीरे धीरे एक एक कदम बढ़ा रहे हैं. सामने से तो वो नीतीश कुमार का सपोर्ट कर रहे हैं, लेकिन उनके समर्थकों की गतिविधियां और विधानसभा का चुनाव लड़ने को लेकर उनके बयान तो अलग ही इशारे करते हैं. और, ये सब नीतीश कुमार के फेवर में तो कतई नहीं लगते.
चिराग पासवान तो नहीं, लेकिन नीतीश कुमार के सामने बिहार में फिर से 2020 जैसे हालात पैदा होने के संकेत मिल रहे हैं. बिहार की राजनीति में एक बार फिर वैसा ही किरदार नजर आने लगा है. ऐसा लगता है जैसे नीतीश कुमार के पीछे इस बार पहले से ही प्रशांत किशोर लग गये हैं.
नीतीश कुमार के पुराने सहयोगी आरसीपी सिंह और रणनीतिकार प्रशांत किशोर की नई दोस्ती बिहार चुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक संकेत दे रही है – क्या ये जोड़ी नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ा पाएगी? आरसीपी सिंह अपनी पार्टी 'आसा' (आप सबकी आवाज) समेत प्रशांत किशोर के दल जनसुराज पार्टी का हिस्सा बन गए हैं.
बिहार चुनाव से पहले बड़े सियासी घटनाक्रम में आरसीपी सिंह ने अपनी पार्टी का पीके की जनसुराज पार्टी में विलय कर दिया है. इन दोनों के साथ आने से बिहार में क्या समीकरण बन रहे हैं और यह जोड़ी सीएम नीतीश के लिए कितनी चुनौती बन पाएगी?
जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर बिहार बदलाव यात्रा पर निकल रहे हैं. इस यात्रा के लिए रवाना होने के पहले पीके ने चिराग पासवान से लेकर तेजस्वी यादव तक, पक्ष-विपक्ष के नेताओं पर निशाना साधा.
चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जन्मभूमि सारण जिले के सिताब दियारा से बिहार बदलाव यात्रा शुरू कर रहे हैं. पीके की यह यात्रा 120 दिन तक चलेगी.
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके आरसीपी सिंह अब जन सुराज में शामिल हो गए हैं. 2022 के अगस्त में जेडीयू छोड़ने वाले आरसीपी की पिछले तीन साल में यह चौथी पार्टी है. आरसीपी सिंह की जमीनी ताकत क्या है, जिस पर पीके को भरोसा है?
चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गांव जाकर उन्हें चुनौती देंगे. वे नीतीश के गांव में विकास कार्यों का रियलिटी चेक करेंगे. इतना ही नहीं, रविवार को ही नीतीश कुमार के सबसे करीबी रहे आरसीपी सिंह की पार्टी का विलय प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी में हो गया है.
बिहार की सियासत में आज एक फेरबदल देखने को मिला जब जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने अपनी पार्टी का विलय प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी में कर दिया. इस अवसर पर प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि जेडीयू को अब अफसर और कुछ ठेकेदार चला रहे हैं जो बिहार को लूटने में लगे हैं और नीतीश कुमार अब दल नहीं चला रहे. देखें...
बिहार में अक्टूबर-नवंबर तक चुनाव होने हैं और इससे पहले चर्चा ऐसे नेताओं की भी होने लगी है, जो खुद को नीतीश कुमार की सीएम वाली कुर्सी का दावेदार मानते हैं या दावेदार माने जाते हैं.
देश का सबसे युवा राज्य बिहार विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ा है. चुनावी मौसम में हर दल का फोकस सूबे की कुल आबादी में आधे से अधिक की हिस्सेदारी रखने वाले युवाओं पर है. पलायन पर हर दल के दावे अनेक हैं.
भारत-पाक तनाव के बीच MHA ने 7 मई को मॉक ड्रिल का आदेश दिया है. यूपी के 19 जिलों में वॉर सायरन बजेंगे, DGP ने बताया पूरा प्लान.
बिहार की राजनीति में नए दलों की एंट्री ने मुकाबला दिलचस्प बना दिया है. शिवदीप लांडे की हिंद सेना, IP गुप्ता की इंडियन इंकलाब पार्टी और प्रशांत किशोर की जन सुराज समेत कई नए राजनीतिक प्लेयर चुनाव मैदान में उतर चुके हैं.
बिहार चुनाव से छह महीने पहले एक सर्वे में नीतीश कुमार की लोकप्रियता में गिरावट दर्ज की गई है, और वो मुख्यमंत्री पद के पहले पसंदीदा नेता भी नहीं रह गये हैं - लेकिन क्या इतने भर से किसी और नेता के बिहार का अगला मुख्यमंत्री बनने का रास्ता खुल सकता है?
प्रशांत किशोर बिहार में बदलाव लाने की बात कर रहे हैं. जन सुराज की पटना वाली ‘बदलाव रैली’ तो फ्लॉप मानी जा रही है, अब ‘बिहार बदलाव यात्रा’ का असर देखा जाना बाकी है.
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में जातिगत राजनीति के बजाय विकास के मुद्दे जोर पकड़ रहे हैं. तेजस्वी यादव, प्रशांत किशोर और कन्हैया कुमार जैसे युवा नेता बेरोजगारी और पलायन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. ये नेता बिहार के युवाओं को रोजगार दिलाने का वादा करके उनकी उम्मीदें बढ़ा रहे हैं.
पटना के गांधी मैदान में जन सुराज पार्टी के संयोजक प्रशांत किशोर ने 'बदलाव रैली' का आयोजन किया. 5 लाख लोगों के आने का दावा था, लेकिन रैली में उम्मीद से काफी कम लोग पहुंचे. प्रशांत किशोर ने इसका आरोप प्रशासन पर लगाया और कहा कि प्रशासन लोगों को पटना तक लाने में असफल रहा.
बिहार में जन सुराज पार्टी की पहली बड़ी सभा 'बिहार बदलाव रैली' गांधी मैदान में आयोजित की जा रही है. प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के लोग एक नया राजनीतिक विकल्प चाहते हैं. रैली शाम 4 बजे होगी ताकि लोगों को असुविधा न हो. जन सुराज के कार्यकर्ता अनुशासित रहेंगे और जनता को कोई परेशानी नहीं होगी.
प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति के जिस मोड़ पर अभी खड़े हैं, वहां एनडीए और महागठबंधन के दबदबे के बीच जन सुराज पार्टी के लिए अभी बहुत कम गुंजाइश है - 2024 के उपचुनावों में मजबूत दस्तक देने के बावजूद आने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी भूमिका वोटकटवा से ज्यादा नहीं लगती.
चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर आज से चुनाव अभियान का आगाज कर रहे हैं. पीके की पार्टी जन सुराज की आज पटना के गांधी मैदान में मेगा रैली होनी है जिसे बिहार बदलाव रैली नाम दिया गया है.
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर इन दिनों पूरी ताकत के साथ बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं. इस बीच उन्होंने हमारे सहयोगी चैनल बिहार तक को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया है जिसमें उन्होंने साल 2015 के चुनाव में नीतीश कुमार की मदद से लेकर उनका साथ छोड़ देने की पूरी कहानी बताई है. इंटरव्यू में पीके ने बिहार में कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार की सक्रियता को लेकर भी बयान भी दिया है.