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3 साल की बच्ची के सिर और गर्दन से निकला हुआ था अविकसित 'जुड़वां बच्चा', भोपाल AIIMS में हुई जटिल सर्जरी

परजीवी जुड़वां एक दुर्लभ स्थिति होती है, जब गर्भ में दो जुड़वां बच्चे बनने लगते हैं, लेकिन उनमें से एक का विकास बीच में रुक जाता है. यह अधूरा जुड़वां बच्चा अपने पूरी तरह विकसित हो रहे जुड़वां से चिपका रहता है. इस अधूरे जुड़वां को ही 'परजीवी जुड़वां' कहा जाता है क्योंकि वह खुद से नहीं जी सकता और अपने जुड़वां पर निर्भर रहता है.

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भोपाल AIIMS (फाइल फोटो)
भोपाल AIIMS (फाइल फोटो)

भोपाल एम्स में डॉक्टरों की टीम ने एक बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. डॉक्टरों ने 3 साल की एक बच्ची के सिर और गर्दन से जुड़े परजीवी जुड़वां (Parasitic Twin) को उसके शरीर से अलग करने में सफलता हासिल की है.

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने आजतक से बात करते हुए बताया कि यह मामला एक परजीवी जुड़वां (Parasitic Twin) से जुड़ा था, जिसमें एक अधूरे रूप से विकसित जुड़वां भ्रूण, जीवित बच्ची की खोपड़ी और गर्दन से चिपका हुआ था. 

क्या होती है परजीवी जुड़वां की स्थिति?

परजीवी जुड़वां एक दुर्लभ स्थिति होती है, जब गर्भ में दो जुड़वां बच्चे बनने लगते हैं, लेकिन उनमें से एक का विकास बीच में रुक जाता है. यह अधूरा जुड़वां बच्चा अपने पूरी तरह विकसित हो रहे जुड़वां से चिपका रहता है. इस अधूरे जुड़वां को ही 'परजीवी जुड़वां' कहा जाता है क्योंकि वह खुद से नहीं जी सकता और अपने जुड़वां पर निर्भर रहता है.

गर्दन के पिछले हिस्से में था मांसल उभार
 
यह मामला मध्य प्रदेश के अशोकनगर निवासी तीन साल की बालिका का था जिसकी गर्दन के पिछले हिस्से में जन्म से ही एक मांसल उभार था. एम्स भोपाल के न्यूरोसर्जरी विभाग में भर्ती करने के बाद उसकी MRI और सी.टी. स्कैन किए गए तो पता चला कि उसकी खोपड़ी और रीढ़ की हड्डी से एक अधूरे शरीर का पैर और श्रोणि हड्डियां (Pelvic Bones) जुड़ी हुई थीं, जो दिमाग के बेहद नाजुक हिस्से ब्रेन स्टेम से चिपकी हुई थीं. 

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सफल हुई डॉक्टरों की मेहनत

मामले की जटिलता को देखते हुए डॉ. राधा गुप्ता एवं डॉ. अंकुर (रेडियोलोजी विभाग), डॉ. रियाज़ अहमद (बाल शल्य चिकित्सा विभाग) और डॉ. वेद प्रकाश (प्लास्टिक सर्जरी विभाग) के साथ काफी विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया गया कि बालिका को सामान्य जीवन देने के लिए जल्द सर्जरी की जाए. इसके बाद 3 अप्रैल 2025 को यह दुर्लभ सर्जरी डॉ. सुमित राज द्वारा सफलतापूर्वक की गई, जिसमें डॉ. जितेन्द्र शाक्य और डॉ. अभिषेक ने सहायक की भूमिका निभाई. फिलहाल बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है और स्वास्थ लाभ ले रही है.

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