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'धर्म निरपेक्षता हमारे देश में नहीं चलेगी, पंथ निरपेक्षता की जरूरत', साहित्य आजतक में बोले कांग्रेस सांसद शशि थरूर

Sahitya Aajtak 2024 Day 3: दिल्ली के मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में शब्द-सुरों का महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2024' का आज तीसरा यानी अंतिम दिन है. इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में किताबों की बातें हो रही हैं. फिल्मों की बातें हो रही हैं. सियासी सवाल-जवाब किए जा रहे हैं और तरानों के तार भी छेड़े जा रहे हैं.

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साहित्य आजतक के मंच पर मौजूद डॉ. शशि थरूर.
साहित्य आजतक के मंच पर मौजूद डॉ. शशि थरूर.

साहित्य के सबसे बड़े महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2024' का आज अंतिम दिन है. साहित्य आजतक 2024 के मंच पर ‘सियासत और साहित्य साथ-साथ’ सत्र ने दर्शकों को राजनीति और साहित्य के आपसी संबंधों की नई परिभाषा से रूबरू कराया. इस सत्र में प्रख्यात लेखक, पूर्व राजनयिक और सांसद डॉ. शशि थरूर ने शिरकत की. उन्होंने राजनीति में साहित्यिक दृष्टिकोण की अहमियत और लेखन के जरिए समाज को जागरूक करने के तरीकों पर चर्चा की. डॉ. थरूर ने अपनी लेखनी के अनुभव साझा करते हुए साहित्य और सियासत के आपसी जुड़ाव को गहराई से समझाया.

डॉ. शशि थरूर ने 26 किताबें लिखी हैं, उन्हें साहित्य अकादमी से सम्मानित किया गया है. इस सत्र का संचालन राजदीप सरदेसाई ने किया. शशि थरूर ने कहा कि मैं एक साधारण व्यक्ति खुद को समझता हूं. राजनीति अलग है. मेरी 26 किताबें मेरे बच्चों के जैसी हैं. मैं चाहता हूं कि लोग मेरी किताबों को पढ़ें.

किताब पसंद करना अलग है, जरूरी नहीं कि आप लेखक को भी पसंद करना चाहिए. मैं पूर्व मंत्री हूं, एक दिन पूर्व सांसद भी हो जाऊंगा, लेकिन मैं एक पूर्व लेखक कभी नहीं होना पसंद करूंगा. किताबों का जो लोगों पर इंपैक्ट होता है, वो बहुत इंडिविजुअल होता है. एक किताब पढ़कर एक महिला ने बताया था कि मेरी नानी जो विदेश में हैं, उन्हें कैंसर है, वे मेरी किताब पढ़ रही हैं. उन्हें हर रोज वो किताब पढ़ी, 20 दिन तक पढ़ी, उसे पूरा करके उनका देहांत हो गया. ये बात सुनकर दिल भावुक हो गया. साधारण लोगों की जिंदगी में कोई फर्क आ सके, ये भी बेहद महत्वपूर्ण बात है.

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राजनीति से अलग जब आप किताब लिखते हैं, तो उसमें अलग सुकून मिलता होगा. राजनीति से जुड़े सवाल पर शशि थरूर ने कहा कि मुझे पैसों की जरूरत नहीं है, मुझे यूएन से पेंशन मिलती है. वहां 29 साल काम करके आया हूं. राजनीति से बेहतर विकल्प नहीं है, जनता की सेवा करने के लिए, कोई बदलाव लाने के लिए. इसलिए राजनीति में आया. मैं मूल्यों के बारे में सोचता हूं.

मैं चाहता हूं कि समाज में भाईचारा हो, क्योंकि यहां जो विविधता है, बहुस्वरता है. अलग-अलग स्वर के लोग यहां रहते हैं. यहां लोग मिलकर भारत को मजबूत बनाएं. जब तक हमारे वोटर्स हमें मौका देंगे, हम राजनीति के माध्यम से इस कार्य को आगे बढ़ाता रहूंगा. मैं भी एक व्यक्ति हूं. मेरी क्रिकेट में दिलचस्पी है. एक अंग्रेजी भाषा को लेकर और पार्टी से जुड़े सवाल के जवाब में शशि थरूर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी चाहती थी कि खड़गे साहब पार्टी के नेता बनें, मैंने कोशिश की थी, लेकिन नहीं बना. पार्टी की जो नीतियां थीं, उन्हें मैंने मान लिया.

Sahitya Aajtak 2024: धर्म निरपेक्षता हमारे देश में नहीं चलेगी, पंथ निरपेक्षता की जरूरतः शशि थरूर

अंग्रेजी में लिखी एक किताब को लेकर किए गए सवाल के जवाब में थरूर ने कहा कि मुझे ऑक्सफोर्ड में भाषण देने के लिए बुलाया गया था. उसे जब यूट्यूब पर डाला गया तो एक दिन में उसे 30 लाख लोगों ने देखा और सुना. ये बात काफी समय तक चली. फिर मेरे पास पब्लिशर्स के कॉल आए कि इस पर किताब लिखिए. इसके बाद मैंने ये किताब लिखी. मैं युवाओं से यही कहता हूं कि आपको नहीं पता कि आप कहां से आए हैं तो आप कैसे जानेंगे कि कहां जाना है. 

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मेरी किताब पढ़कर ब्रिटिशर्स ने मुझसे कहा था कि हमें ये बात पता ही नहीं थी कि हमारे बुजुर्गों ने भारत में सब किया. लंदन में इतने सारे म्यूजियम हैं, सारे चोर बाजार हैं. दूसरे देशों की चीजों को चुराकर वहां म्यूजियम में रखकर पैसे कमाते हैं. अंग्रेजों को अपना इतिहास ही नहीं पता था. मैं अंग्रेजी में हर बात कहता हूं, फॉरगिव बट नेवर फॉरगेट... कुछ साल से हमारी इकोनॉमी उनसे भी बड़ी है. सब अंग्रेजों को पता होना चाहिए कि जलियांबाला बाग में क्या हुआ था. अंग्रेजों ने जलियांबाला बाग में जो हुआ, उसको लेकर आज तक माफी नहीं मांगी.

मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना... थरूर ने सुनाया अल्लामा इकबाल का शेर

थरूर से 'मैं हिंदू क्यों हूं' किताब को लेकर सवाल किया गया. हिंदुत्व और हिंदूइज्म में क्या फर्क है, इस पर थरूर ने कहा कि एक व्यक्ति जैसे अपने क्रिएटर की तरफ देखना चाहता है. अल्लामा इकबाल ने लिखा था- मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना. यही हिंदू धर्म सिखाता है. हिंदुत्व में बहुत छोटे मन के लोग इसे राजनीति बनाते हैं. हम सब को अगर स्वीकार करें तो हम असली हिंदू धर्म को स्वीकार कर रहे हैं.

Sahitya Aajtak 2024: धर्म निरपेक्षता हमारे देश में नहीं चलेगी, पंथ निरपेक्षता की जरूरतः शशि थरूर

बंटेंगे तो कटेंगे और एक है तो सेफ है नारे को लेकर एक सवाल के जवाब में थरूर ने कहा कि सिर्फ वोट लेने के लिए इस तरह की राजनीति की जा रही है. जाति के नाम पर कोई किस पर आरोप लगाए तो इससे देश का बहुत नुकसान होगा. थरूर ने कहा कि इस्लामिक देशों के साथ भारत के इतने अच्छे संबंध हैं. धर्म हमारी राजनीति और राजनेताओं का बिजनेस नहीं है. इसे अलग रखा जाना चाहिए. हमारे देश में धर्म निरपेक्षता नहीं चलेगी, लेकिन पंथ निरपेक्षता तो चल सकती है. सरकार को इसका ध्यान रखना चाहिए.

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थरूर ने कहा कि किसी भी इंसान को धर्म के नाम पर टारगेट करना गलत है. इंसानियत को ऊपर रखिए. वोट लेने वालों का काम सरकार चलाना है, मंदिर चलाना नहीं है. भारत में हिंदू, मुसलमान, क्रिश्चियन सभी धर्म के लोग हैं. भारतवासियों को एक रखिये. भारत एक है तो भारत सेफ रहेगा. भारत को टुकड़े में बांटने के मैं खिलाफ हूं. मैं कभी नहीं चाहता कि हमारी आत्मा का बंटवारा हो, जमीन पहले बंट ही चुकी है. जाति जनगणना के सवाल पर कहा कि हम सिर्फ एक्चुअल आकंड़े जानना चाहते हैं. आरक्षण के सवाल के पर थरूर ने कहा कि आज बहुत लोग जाति और धर्म के नाम पर डिक्रिमिनेशन महसूस करते हैं. ये विषय काफी कॉम्प्लिकेटेड है.

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