उत्तर प्रदेश के बांदा जिले (UP Banda) में एक महिला हिना ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रही है. हिना अपने बीमार पति और दिव्यांग पिता का इलाज कराने के परिवार की जिम्मेदारी भी उठा रही हैं. हिना अपने काम और मेहनत से खुश हैं. इनका कहना है कि लड़की हूं तो क्या हुआ, हम भारत की नारी तो हैं. हर परिस्थिति में सभी को हिम्मत और मेहनत के दम पर जीवन बिताना चाहिए. हिना के इस साहस को देखकर लोग भी तारीफ कर रहे हैं.
जानकारी के अनुसार, बांदा जिले के शहर कोतवाली के निम्निपार इलाके की निवासी हिना की शादी के 8 साल पहले हुई थी. उसके पिता दिव्यांग थे. शादी के बाद अचानक पति की तबीयत खराब हो गई, तब से लगातार बीमार हैं. हिना के कोई संतान नहीं है. कोई कमाने वाला भी नहीं है. घर पर सिर्फ मां, पिता और पति समेत 4 लोगों का परिवार है. घर की परिस्थितियों ने हिना को खुद के पैरों पर खड़ा होने के लिए मजबूर कर दिया. हिना ने कोई रोजगार न होने से ई रिक्शा किराए पर लेकर चलाना शुरू कर दिया. हिना सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक शहर में ई-रिक्शा चलाती हैं.
300 रुपये देना पड़ता है रिक्शे का किराया
हिना ने बताया कि 300 रुपये रिक्शे का किराया देने के बाद जो बचता है, उससे मेरा परिवार चलता है. किसी दिन 400 या उससे ज्यादा कम भी मिलता है. पति और पिता की दवाइयों के खर्च के साथ परिवार का पेट भर जाता है. मैं अपनी मेहनत से खुश हूं. हिना के पिता समीर अली ने कहा कि बच्ची की मजबूरी है, परिस्थितियों ने मजबूर किया है. मैं और दामाद मजबूर हैं, जिसकी वजह से मेरी बेटी ने ई रिक्शा चलाकर पेट पालना शुरू कर दिया है. हमें बेटी हिना पर गर्व है. सोचकर कभी आंसू भी आ जाते हैं. बस बेटी ही सहारा है.
रिपोर्टः सिद्धार्थ गुप्ता