जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की तरफ से स्कूल-कॉलेज की शिक्षा पर दिए गए बयान से हंगामा बरपा है. दरअसल, अरशद मदनी ने रविवार को कहा कि को-एजुकेशन नहीं होनी चाहिए, मतलब लड़के-लड़कियों को अलग-अलग स्कूल में भेजना चाहिए. उनके इस बयान पर नेताओं, धर्मगुरुओं के मिले-जुले बयान सामने आए हैं.
अरशद मदनी ने रविवार को कहा था कि लड़कियों को लड़कों संग स्कूल-कॉलेज नहीं भेजना चाहिए. उन्होंने को-एजुकेशन को अनैतिक आचरण बताते हुए गैर मुस्लिमों से भी इसका विरोध करने को कहा था. उनकी मांग थी कि लड़कियों के लिए अलग स्कूल-कॉलेज होने चाहिए.
मुस्लिम धर्मगुरु ने किया समर्थन
जमीयत-ए-उलेमा के अरशद मदनी के बयान का समर्थन करने वाले भी सामने आए हैं. मुस्लिम धर्मगुरु मुफ्ती असद कासमी ने उनका समर्थन किया है. वहीं मौलाना खालिद राशीद फिरंगी महली ने कहा कि स्कूल तक को-ऐड शिक्षा ठीक है लेकिन कॉलेज लेवल पर इसपर सोचना जरूरी है.
मंत्रियों ने जताया विरोध
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अरशद मदनी के बयान को लड़कियों के विरोधी सोच वाला बताया है. उन्होंने कहा कि देश संविधान से चलता है, शरियत से नहीं. नकवी बोले कि जो लोग शरियत के डंडे से संविधान की मूल भावना पर हमला करने की कोशिश कर रहे हैं वे सफल नहीं होंगे. केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'ये लोग लड़कियों की शिक्षा के खिलाफ हैं, ये लोग तय नहीं कर सकते कि लड़कियां कहां पढ़ेंगीं.'
वहीं अरशद मदनी के बयान पर यूपी के मंत्री मोहसिन रजा ने कहा, 'ये वही लोग हैं जो महिलाओं को 3 तलाक की बेड़ी में रखना चाहते हैं. इनके बयान से साफ है कि ऐसी विचारधारा के लोग हैं और इनको पिछली सरकारों में संरक्षण मिला है. हम ऐसे लोगों को समर्थन और संरक्षण नहीं देंगे.'