
"अमन की आशा से ब्रह्मोस की भाषा तक" न्यू इंडिया की पाकिस्तान पॉलिसी में रेडिकल बदलाव को दर्शाता है. ये बदलाव दृढ़ है, संकल्पबद्ध है एतिहासिक है और बदला लेने के लिए तैयार खड़ा दिखता है. इस बदलाव से भारत ने दक्षिण एशिया में अपनी मजूबत विदेश और रक्षा नीति का बुलंद आगाज कर दिया है. यह बदलाव दुश्मन को साफ संदेश है 'अगर वहां से गोली चली तो यहां से गोला चलेगा.'
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 बेकसूर सैलानियों की हत्या भारत-पाकिस्तान संबंधों के इतिहास का वो मोड़ था जहां से चीजें बदल गई्ं. आतंकियों की इस करतूत से भारत स्तब्ध था. इस घटना का जब पाकिस्तान कनेक्शन सामने आया तो लोग उबल पड़े. 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद पिछले 5 साल में भारत पाकिस्तान के संबंधों में मामूली सा सुधार हो रहा था. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद यहां की वादियां पर्यटकों से गुलजार हो रही थीं. तभी पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकियों ने पर्यटकों को धर्म पूछकर मारा.
इस घटना ने भारत-पाकिस्तान संबंधों के सारे डायनामिक्स बदल दिए. "अमन की आशा से ब्रह्मोस की भाषा" की थ्योरी भारत की पाकिस्तान नीति में शांति और कूटनीति (अमन की आशा) से प्रचंड सैन्य ताकत और घातक कार्रवाई (ब्रह्मोस की भाषा) की ओर रणनीतिक बदलाव को रेखांकित करता है.
यूं तो भारत-पाकिस्तान के बीच 47 से ही रिश्ते खराब थे. लेकिन इस रिश्ते को पटरी पर लाने के लिए बीच बीच में पहल की गई. 'अमन की आशा' ऐसी ही एक पहल थी. इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों को बेहतर करना, लोगों के बीच संपर्क बढ़ाना और शांति स्थापित करना था.
यह दौर भारत की उस नीति का हिस्सा था, जिसमें पाकिस्तान के साथ बातचीत, व्यापार, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के जरिए तनाव कम करने की कोशिश की गई. 1990 और 2000 के दशक में भारत ने कई बार शांति वार्ता की पहल की, जैसे 1999 में पीएम वाजपेयी की लाहौर बस यात्रा और 2001 में आगरा शिखर सम्मेलन शामिल था.
हालांकि इस दौरान भी पाकिस्तान अपने स्टैंड पर कायम रहा और भारत को चोट देने की नापाक कोशिश करता रहा.
यही वजह रही कि 1999 में करगिल युद्ध, 2001 में भारतीय संसद पर हमला, और 2008 में मुंबई हमले ने भारत के इस शांति वाले नजरिये पर सवाल उठाया. बावजूद इसके भारत ने शांति की संभावनाओं को बनाए रखने की कोशिश की.
लेकिन ISI के टेरर टैक्टिस, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद की करतूतों ने भारत की अपेक्षाओं पर कुठाराघात किया. भारत में यह धारणा मजबूत हुई कि पाकिस्तान की सरकार और सेना शांति वार्ता का इस्तेमाल केवल दिखावे के लिए करती है, जबकि सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देती है.
पहलगाम हमला: नीतियों में बदलाव का टर्निंग पॉइंट
इन्ही परिस्थितियों में 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुआ आतंकी हमला टर्निंग पॉइंट साबित हुआ.
इस हमले की टाइमिंग महत्वपूर्ण थी, क्योंकि यह घटना तब हुई जब पीएम मोदी सऊदी अरब दौरे के पर थे. जबकि अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत के दौरे पर थे.

इस हमले के बाद सऊदी अरब का दौरा रद्द कर स्वदेश लौटे पीएम मोदी ने कहा कि इस जघन्त करतूत को अंजाम देने वालों को मिट्टी में मिला दिया जाएगा.
पीएम मोदी का ये बयान संकेत था भारत पाकिस्तान को लेकर अपनी नीतियों से बड़ा प्रस्थान करने वाला है.
इसके बाद भारत ने सिंधु जल समझौता रद्द कर पाकिस्तान को सबसे पहले चोट दी. यह एक रणनीतिक कदम था, क्योंकि पाकिस्तान की कृषि और अर्थव्यवस्था सिंधु नदी पर निर्भर है. इसके अलावा भारत ने दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग से बड़े पैमाने पर पाकिस्तानी राजनयिकों को भारत से चलता कर दिया. अटारी-वाघा बॉर्डर बंद कर दिए गए और पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा रद्द कर दिया था.
सैन्य कार्रवाई: शांति से शक्ति की ओर
ये तो भारत के तात्कालिक कदम थे. भारत ने असली उत्तर 7 मई 2025 की रात्रि को दिया. पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार आतंकियों के सर्वनाश के लिए भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर" लॉन्च किया. भारत ने इस प्रहार में पाकिस्तान स्थित (बहावलपुर, मुरीदके, नारोवाल, सियालकोट) और PoK (कोटली, मुजफ्फराबाद, गुलपुर, भिंबर, सवाईनाला) में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया.
इस ऑपरेशन में भारत ने ब्रह्मोस मिसाइलों का इस्तेमाल किया. ब्रह्मोस मिसाइल ने पाकिस्तान के बहावलपुर में स्थित मरकज सुभान अल्लाह मस्जिद को तहस नहस कर दिया. ये मस्जिद आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का ट्रेनिंग ग्राउंड था. इस मस्जिद में हमले के दौरान आतंकी मौलाना मसूद अजहर के 10 रिश्तेदार मारे गए थे.
यानी कि भारत ने "अमन की आशा" जैसे शांति-केंद्रित दृष्टिकोण को छोड़कर सैन्य और कूटनीतिक दबाव पर जोर दिया. ब्रह्मोस मिसाइल, जो 2.5-3 मैक की गति से 400-600 किमी तक सटीक निशाना लगा सकती है, इस नीति का प्रतीक बन गई. ब्रह्मोस जैसी क्रूज मिसाइलें "स्टैंड-ऑफ रेंज हथियार" के रूप में जानी जाने वाली श्रेणी में आती हैं और अपने टारगेट को ध्वस्त कर देती हैं.
2016, 2019 की नीति का विस्तार था ऑपरेशन सिंदूर
यह बदलाव 2016 की उरी सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट एयरस्ट्राइक की नीति का विस्तार था, क्योंकि इस बार भारत ने दंडात्मक कार्रवाई का दायरा और तीव्रता बढ़ा दिया.
ऑपरेशन सिंदूर ने 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक को पैमाने, तकनीक और रणनीति में पीछे छोड़ दिया. सर्जिकल स्ट्राइक में भारतीय पैरा-कमांडो ने LoC पार कर PoK में आतंकी लॉन्च पैड्स को जमीनी हमले से नष्ट किया, जो सीमित दायरे का ऑपरेशन था.
बालाकोट में मिराज-2000 जेट्स ने स्पाइस-2000 बमों से जैश-ए-मोहम्मद के एक ठिकाने को निशाना बनाया, जो हवाई हमले का पहला उदाहरण था.
लेकिन ऑपरेशन सिंदूर का पैमाना ज्यादा बड़ा, ज्यादा घातक और पाकिस्तान को दंड देने के उद्देश्य से किया गया गया था. इस पूरा ऑपरेशन लगभग 86 घंटे तक चला. इस दौरान भारत ने ब्रह्मोस, स्कैल्प, और हैमर मिसाइलों, ड्रोनों के साथ पंजाब और PoK के नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया.
यह ऑपरेशन स्वदेशी हथियारों, सैटेलाइट-गाइडेड सटीकता और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर पर फोकस था. भारतीय सेना ने गर्व के साथ दावा किया है कि इस ऑपरेशन ने अपने सारे लक्ष्य हासिल किए.
ऑपरेशन सिंदूर पहली सैन्य कार्रवाई थी जब भारत के प्रहार का सबूत पूरी दुनिया ने देखा. ये एक ऐसा ऑपरेशन था जब भारत ने एक परमाणु संपन्न देश की राजधानी से मात्र 15 किलोमीटर दूर सैन्य हमले को अंजाम दिया.
भारत ने स्पष्ट किया कि वह पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा. ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंकी शिविरों को नष्ट करना और पाकिस्तान की सैन्य क्षमता को कमजोर करना था.
भारत ने यह भी संदेश दिया कि वह आतंकवाद के जवाब में सीमा पार कार्रवाई करने से नहीं हिचकेगा, भले ही इसका मतलब युद्ध का जोखिम हो. यही वजह रहा कि भारत ने कह दिया अब अगर भारत के खिलाफ कोई आतंकी हमला होता है तो भारत उसे युद्ध की कार्रवाई (Act of war) मानेगा और उसी स्तर पर जवाब देगा.
1990 के दशक से लेकर 2025 तक, पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद ने भारत में हजारों लोगों की जान ली. पहलगाम हमला इस सीरीज की एक और कड़ी था, जिसने भारत की धैर्य की सीमा को तोड़ दिया. और भारत ने ऐसा प्रतिरोध किया जिससे पाकिस्तान की रूह कांप गई.
इस प्रतिरोध के लिए भारत ने अपने शास्त्रागार में मौजूद घातक हथियारों का इस्तेमाल किया. इन हथियारों में न सिर्फ ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल शामिल थे. बल्कि इस उद्देश्य के लिए भारत ने स्कैल्प मिसाइल, हैमर मिसाइल, हर्मीस 900 और अन्य ड्रोन का इस्तेमाल किया. ये हथियार पाकिस्तान के मोर्चे पर भारत की नीतियों में बदलाव का प्रतीक थे. यही नहीं पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत ने इसरो के सैटेलाइटों का भी सहारा लिया. जो यह कहता है कि भारत अब पाकिस्तान की नीच हरकत तनिक भी बर्दाश्त नहीं करेगा.
गौरतलब है कि भारत की ओर से शुरू किए ऑपरेशन सिंदूर में 100 आतंकी मारे गए हैं. जबकि भारत द्वारा लक्ष्य साधकर किए गए हमले में 40 से 50 पाकिस्तानी सेना के जवान और अधिकारी मारे गए हैं.