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'धर्म अलग होने से किसी रिश्ते को नहीं दे सकते लव जिहाद का रूप', बॉम्बे HC ने बड़ी टिप्पणी

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को लव जिहाद के आरोप से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए बड़ी टिप्पणी की. उसने कहा कि एक रिश्ते को सिर्फ इसलिए लव जिहाद का रूप नहीं दे सकते क्योंकि लड़का और लड़की अलग-अलग धर्मों के हैं. इसके बाद कोर्ट ने पीड़ित मुस्लिम महिला और उसके परिवार को जमानत दे दी.

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लव जिहाद के आरोप वाले केस में बॉम्बे हाई कोर्ट ने की बड़ी टिप्पणी (फाइल फोटो)
लव जिहाद के आरोप वाले केस में बॉम्बे हाई कोर्ट ने की बड़ी टिप्पणी (फाइल फोटो)

बॉम्बे हाई कोर्ट ने लव जिहाद के एक केस में मुस्लिम महिला और उसके परिवार को गिरफ्तारी से पहले जमानत दे दी. हाई कोर्ट ने कहा है कि एक रिश्ते को सिर्फ इसलिए 'लव जिहाद' का रूप नहीं दे सकते क्योंकि लड़का और लड़की अलग-अलग धर्मों के हैं. जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और अभय वाघवासे की खंडपीठ ने 26 फरवरी के आदेश में आरोपियों को अग्रिम जमानत दे दी थी, जिन्हें स्थानीय अदालत ने राहत देने से इनकार कर दिया था.

महिला के पूर्व प्रेमी ने आरोप लगाया था कि उसने और उसके परिवार ने उसे इस्लाम कबूल करने और खतना कराने के लिए मजबूर किया. उनके वकील ने महिला और उसके परिवार के सदस्यों की गिरफ्तारी पूर्व जमानत अर्जी का विरोध करते हुए यह भी दलील दी कि यह ‘लव जिहाद’ का मामला है.

हाई कोर्ट ने लव जिहाद के तर्क को खारिज करते हुए कहा कि उस व्यक्ति ने एफआईआर में स्वीकार किया था कि वह महिला के साथ संबंध में था और कई अवसरों के बावजूद संबंध खत्म नहीं किए. कोर्ट ने कहा, “केवल इसलिए कि लड़का और लड़की अलग-अलग धर्मों से हैं, इसमें धर्म का एंगल नहीं हो सकता. यह एक-दूसरे के लिए सच्चे प्यार का मामला हो सकता है.”

इसमें कहा गया है, “लगता है कि अब लव-जिहाद का रंग देने की कोशिश की गई है, लेकिन जब लव को स्वीकार कर लिया जाता है तो सिर्फ दूसरे के धर्म में परिवर्तित करने के लिए फंसाए जाने की आशंका कम होती है.”

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मुस्लिम महिला पर ये लगाए आरोप

अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार, पुरुष और महिला मार्च 2018 से रिश्ते में थे. पुरुष एससी था, लेकिन उसने महिला को इस बारे में नहीं बताया. उन्होंने कहा कि बाद में जब महिला यह दबाव डालने लगी कि उसे इस्लाम कबूल कर उससे शादी कर लेनी चाहिए, तब व्यक्ति ने उसके माता-पिता को अपनी जाति बताई.

उन्होंने उसकी जाति की पहचान पर कोई आपत्ति नहीं जताई और अपनी बेटी को इसे स्वीकार करने के लिए मना लिया, लेकिन बाद में संबंधों में खटास आ गई, जिसके बाद पुरुष ने दिसंबर 2022 में महिला और उसके परिवार के खिलाफ केस दर्ज करा दिया. हाई कोर्ट ने महिला और उसके परिवार को गिरफ्तारी पूर्व जमानत देते हुए कहा कि जांच लगभग पूरी हो चुकी है और इसलिए उनकी हिरासत की जरूरत नहीं होगी.

 

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