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36 घंटे बाद भी गाजीपुर लैंडफिल साइट पर 45 जगह लपटें... जानिए आग बुझाने के लिए क्या कर रही MCD?

लैंडफिल साइट पर रविवार शाम करीब साढ़े पांच बजे लगी आग पर सोमवार करीब देर रात टीम ने 90% आग पर काबू पा लिया. देर रात एमसीडी ने अपने बयान में कहा कि 90 प्रतिशत आग बुझा दी गई है और 3 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में लगभग 40-50 छोटी अलग-अलग लपटें बची हुई हैं.

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गाजीपुर लैंडफिल साइट पर लगी आग. (फाइल फोटो)
गाजीपुर लैंडफिल साइट पर लगी आग. (फाइल फोटो)

गाजीपुर लैंडफिल साइट पर लगी आग पर 36 घंटे बाद भी पूरी तरह से काबू नहीं पाया गया है. लैंडफिल साइट पर लगी आग से आसपास के इलाके में धुएं का घना गुबार आसमान में जमा हो गया है, जिससे स्थानीय लोगों को सांस लेने काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.

लैंडफिल साइट पर रविवार शाम करीब साढ़े पांच बजे लगी आग पर सोमवार करीब देर रात टीम ने 90% आग पर काबू पा लिया. देर रात एमसीडी ने अपने बयान में कहा कि 90 प्रतिशत आग बुझा दी गई है और 3 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में लगभग 40-50 छोटी अलग-अलग लपटें बची हुई हैं.

आग बुझाने के लिए लगभग 600 मीट्रिक टन निष्क्रिय और C&D कचरे का इस्तेमाल किया गया था. आग पर काबू पाने के लिए 16 एक्सकेवेटर, 2 बुलडोजर और 6 दमकल गाड़ियों की मदद ली गई थी. साथ ही स्प्रिंकलर की मदद से ये सुनिश्चित किया जा रहा है कि आसपास के इलाके में रख और धूल के कण न उड़े.

अधिकारियों बताया कि गर्म और शुष्क मौसम को आग लगने का संभावित कारण बताया है. इसके अलावा साल 2022 में गाजीपुर लैंडफिल साइट पर आग लगने की तीन घटनाएं सामने आईं थी. इमसे 28 मार्च को लगी आग को बुझाने में 50 घंटे से ज्यादा का वक्त लगा था.

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BJP ने लगाया आपराधिक लापरवाही का आरोप

दिल्ली सरकार ने सोमवार को अपने पर्यावरण विभाग को आग के कारणों पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने और गर्मियों में ऐसी साइटों पर इसी तरह की घटनाओं को रोकने के लिए एक कार्य योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. वहीं, एमसीडी की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी पर भाजपा ने आपराधिक लापरवाही का आरोप लगाया है.

यह भी पढ़ें: गाजीपुर लैंडफिल साइट पर लगी आग पर पाया गया काबू, MCD ने अपनाए ये दो तरीके

पुलिस ने दर्ज की FIR

वहीं, इस मामले में पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. पुलिस के अनुसार, आईपीसी की धारा 336 और 278 के तहत गाजीपुर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है और जांच शुरू हो गई है.

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आरोप लगाया कि आप के नेतृत्व वाली एमसीडी की "आपराधिक लापरवाही" आग के लिए जिम्मेदार है, जबकि घटनास्थल का दौरा करने पहुंची शैली ओबेरॉय ने कहा कि यह राजनीति का समय नहीं है. एमसीडी इस घटना की जांच करेगी.

इससे पहले एक दिन दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने प्रमुख सचिव, पर्यावरण और वन को 48 घंटे के अंदर आग लगाने की एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि पिछले सालों के दौरान भी ऐसी आग की घटनाएं सामने आई थीं. लैंडफिल साइट का दौरा करने के बाद कहा, 'मैंने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए विभिन्न निर्देश जारी किए हैं.'

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हम मर जाएं?

एक स्थानीय निवासी ने कहा,'15 साल हो गए हैं. मंत्री केवल चुनावों के दौरान हमारे पास आते हैं, लेकिन उसके बाद उनमें से एक भी यह जानने के लिए नहीं लौटा कि हमें कोई समस्या हो रही है या नहीं. यह लैंडफिल हमारे लिए अभिशाप है. हम हर दिन दुर्गंध झेलने को मजबूर हैं और अब यह आग हमारे लिए कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर रही है. वे (मंत्री) क्यों चाहते हैं कि हम मर जाएं?'

बता दें कि साल 2022 के एमसीडी चुनावों से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 31 दिसंबर, 2023 तक लैंडफिल साइट को साफ करने का वादा किया था. साल 2019 में गाजीपुर लैंडफिल की ऊंचाई 65 मीटर थी जो कुतुब मीनार से केवल आठ मीटर कम थी, जबकि 2017 में डंपिंग यार्ड में कचरे का एक हिस्सा बगल की सड़क पर गिर गया था, जिससे लोगों की मौत हो गई थी.

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