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शुरू हुई बंधकों की रिहाई, लेकिन क्या कंटीले मुद्दों से किनारा कर रहा ट्रंप का गाजा शांति प्रस्ताव?

हमास ने सभी जीवित बंधकों को रिहा कर दिया, जिन्हें कड़ी सुरक्षा में इजरायल लाया गया. आज ही 28 मृत बंधक भी तेल अवीव को सौंपे जाएंगे. बदले में इजरायल भी दो सौ से ज्यादा फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा. कुल मिलाकर, डोनाल्ड ट्रंप के गाजा शांति प्रस्ताव पर काम शुरू हो चुका. लेकिन मिडिल ईस्ट में शांति अब भी दूर है.

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इजरायली बंधकों की रिहाई के मौके पर डोनाल्ड ट्रंप भी इजरायल पहुंचे. (Photo- Reuters)
इजरायली बंधकों की रिहाई के मौके पर डोनाल्ड ट्रंप भी इजरायल पहुंचे. (Photo- Reuters)

दो साल लंबी लड़ाई के बाद हमास और इजरायल शांति प्रस्ताव पर मान ही गए. पहला चरण यानी बंधकों और कैदियों की अदला-बदली शुरू हो चुकी. जल्द ही इजरायली डिफेंस फोर्स भी गाजा से तय इलाके तक पीछे हट जाएगी. उम्मीद की जा रही है कि डोनाल्ड ट्रंप के मार्फत आया ये शांति प्रस्ताव लंबी शांति लेकर आएगा, लेकिन पिछला रिकॉर्ड देखते हुए इस बार भी सीजफायर कच्चे पहाड़ जितना भुरभुरा साबित हो सकता है. इजरायल और हमास दोनों ही पहले भी इस स्थिति में रह चुके हैं. 

ट्रंप के 20 सूत्रीय प्लान के साथ मुश्किल ये है कि इसमें ज्यादा डिटेल नहीं. क्या इजरायली सेना गाजा पट्टी को पूरी तरह से खाली कर देगी या चौकियां बनी रह सकती हैं? गाजा को फिलिस्तीनी अथॉरिटी से पहले कौन संभालेगा? हमास अगर हथियार छोड़ने पर न माना तो उसे कहां भेजा जाएगा? 

सोमवार पूरे दिनभर में जीवित और फिर मृत बंधकों को भी इजरायल को सौंप दिया जाएगा. हमास इसपर राजी तो है लेकिन आशंकित भी है. हमास के पास हथियारों से भी बड़ी पावर बंधकों की हो चुकी थी. जैसे ही वो सारे बंधकों को लौटाएगा, ये डर रहेगा कि इसके बाद इजरायल उसपर दोबारा आक्रामक न हो जाए. ऐसे में सबसे पहले आपसी भरोसा पाना जरूरी होगा. लेकिन 7 अक्तूबर 2023 से पहले भी हमास और तेल अवीव में सीधी जंग भले नहीं थी, लेकिन शांति और भरोसा तब भी नहीं था. 

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gaza peace plan israel hamas war (Photo- Reuters)
बंधकों की रिहाई से काफी पहले ही इजरायली आबादी होस्टेज स्क्वायर पर जमा होने लगी. (Photo- Reuters)

हमास को भी हथियारों के साथ-साथ गाजा की सत्ता का मोह छोड़ना होगा. हमास ने पहले कहा था कि वो ये तभी करेगा, जबकि फिलिस्तीन को अलग देश बना दिया जाए. साथ ही अस्थाई तौर पर भी किसी विदेशी ताकत का उनके यहां दखल न हो. दरअसल कुछ समय पहले ट्रंप ने विदेशी नेताओं के साथ मिलकर बॉडी ऑफ पीस बनाने की बात की. ये कदम गाजा में दोबारा असंतोष ला सकता है. 

गाजा डील का एक हिस्सा इसपर भी बात करता है कि उसे दोबारा से मानवीय मदद मिलने लगे. हालांकि गाजा पट्टी पिछले दो दशक से हवा, पानी और जमीन पर घेरेबंदी में रह रही है. इजरायल ही नहीं, संवेदना रखने वाला इजिप्ट भी उसके लोगों की घुसपैठ से डरता है. गाजा में रहते लोग काम के लिए बाहर नहीं जा सकते. दो साल पहले गाजा में बेरोजगारी दर 46 फीसदी थी  और 60 फीसदी से ज्यादा आबादी पोषण की कमी से जूझ रही थी. 

अगर घेराबंदी चालू रही तो गाजा की स्थिति शांति के बाद भी नहीं सुधर सकेगी. न उसके लोगों के पास भरपेट खाना जुटेगा, न ही बाकी बेसिक सुविधाएं आ सकेंगी. इस स्थिति में डर है कि हमास या इसके जैसा कोई और आतंकी संगठन मजबूत हो सकता है, जिसके पास आबादी का सपोर्ट भी हो. 

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gaza palestine supporters  (Photo- Reuters)
गाजा शांति प्रस्ताव के बीच फिलिस्तीन को अलग देश का दर्जा मिलने की मांग जोर मार रही है. (Photo- Reuters)

इजरायल पर आरोप रहा कि वो वेस्ट बैंक में लगातार अपनी कॉलोनी बढ़ा रहा है. आंकड़ों के मुताबिक, वहां सात लाख से ज्यादा यहूदी बसे हुए हैं. ऐसे में वेस्ट बैंक भी तेल अवीव को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नहीं. भले ही वहां फिलिस्तीनी अथॉरिटी काम करती है, लेकिन माना जाता रहा कि मदद के बहाने तेल अवीव उसके भीतरी मामलों में भी पैठ रखता रहा. इस मसले पर भी शांति प्रस्ताव में डिटेल की कमी है. 

इससे पहले भी इजरायल और फिलिस्तीन के बीच कई शांति प्रयास हो चुके. नब्बे के दशक में ओस्लो समझौता हुआ था, जिसके तहत इजराइल और फिलीस्तीनी मुक्ति संगठन (PLO) में करार हुआ और PLO को गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक सौंप दिया गया ताकि वे अपने लोगों के साथ अपने नियम-कानून बनाकर काम कर सकें. लेकिन अस्थिरता इसके बाद भी बनी रही.

दोनों पक्ष एक-दूसरे पर समझौता तोड़ने का आरोप लगाते रहे. अब स्थिति ज्यादा गंभीर है. हमास की लीडरशिप लगभग खत्म हो चुकी. गाजा में बस्तियां तबाह हैं. ऐसे में हो सकता है कि शांति प्रस्ताव पर ऊपरी हामी तो दिखे, लेकिन भीतर-भीतर कुछ और तैयारियां चल रही हों. वैसे भी हमास जितनी आसानी से एकाएक इसके लिए तैयार हो गया, वो अलग संकेत है. 

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