
कोरोना काल में साल 2020 पूरी तरह बीत गया और अब देश में वैक्सीनेशन का काम भी चल रहा है. साल 2021 पूरी तरह से चुनावी साल होने वाला है, क्योंकि इस साल कुल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. खास बात ये है कि इन पांचों राज्यों में कोई भी हिन्दी भाषी राज्य नहीं है. हर किसी की नज़र भले ही पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव पर हो, लेकिन दक्षिण में तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव इस बार काफी दिलचस्प होने जा रहे हैं.
तमिलनाडु में इस बार कोई ऐसा बड़ा नेता नहीं है, जिसके नाम पर जनता दीवानी होती हो. कोरोना काल के बाद किस तरह वोटरों का रुख बदलेगा, क्या 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कोई बड़ा संदेश मिल पाएगा. तमिलनाडु को लेकर लोगों के मन में काफी सवाल हैं, लेकिन अक्सर हिन्दी भाषी राज्यों के लिए तमिलनाडु को समझ पाना मुश्किल हो जाता है. क्योंकि सबसे बड़ी दिक्कत भाषा की ही होती है.
ऐसे में अब जब तमिलनाडु विधानसभा चुनाव कुछ ही वक्त की दूरी पर हैं, ऐसे में आप एक बार तमिलनाडु की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को समझ लीजिए, ताकि विधानसभा चुनाव में कैसी दिलचस्प होने जा रही है. उसे समझने में आसानी हो सके.
देखें: आजतक LIVE TV
तमिलनाडु विधानसभा चुनाव 2021 – मौजूदा स्थिति
तमिलनाडु में इस साल मई में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. तमिलनाडु के साथ पश्चिम बंगाल, पुड्डूचेरी, केरल, असम के भी विधानसभा चुनाव होने हैं. मौजूदा वक्त में तमिलनाडु में एनडीए की सरकार है, जो कि ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) की अगुवाई में चल रही है. भारतीय जनता पार्टी भी सरकार का हिस्सा है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री अभी AIADMK नेता के. पलानीस्वामी के हैं, जबकि ओ. पन्नीरसेलवम राज्य के उपमुख्यमंत्री हैं.
अगर विपक्ष की बात करें, तो द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK) इस वक्त तमिलनाडु का मुख्य विपक्षी दल है. डीएमके इस वक्त यूपीए का हिस्सा है और कांग्रेस के साथ गठबंधन में है. हालांकि, साल 2021 विधानसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा होना बाकी है.
विधानसभा में अभी किसके पास कितनी सीटें?
तमिलनाडु एक बड़ा राज्य है और यहां लोकसभा की तरह ही विधानसभा की सीटें भी काफी अधिक हैं. तमिलनाडु में कुल 234 विधानसभा सीटें हैं. मौजूदा वक्त में 124 सीटें AIADMK के पास है, जो सत्ता में है. जबकि विपक्ष में DMK के पास 97, कांग्रेस के पास 7, मुस्लिम लीग के पास 1 सीट है. एक सीट निर्दलीय के पास है, जबकि चार सीटें मौजूदा वक्त में खाली हैं.
किन राजनीतिक दलों में इस बार की लड़ाई
तमिलनाडु में मुख्य रूप से दो राजनीतिक दल हैं, जो लंबे वक्त से सत्ता और विपक्ष की लड़ाई लड़ते आए हैं. AIADMK और DMK, इन्हीं दो राजनीतिक दलों के इर्द-गिर्द राज्य की राजनीति घूमती है. यही कारण है कि राष्ट्रीय दल भी इन्हीं दलों के साथ गठबंधन करके राज्य की सरकार में अपनी हिस्सेदारी बनाना चाहते हैं. मौजूदा वक्त में तमिलनाडु की राजनीति में ये मुख्य राजनीतिक दल मैदान में हैं.

ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK): मौजूदा वक्त में सत्ता पर काबिज AIADMK पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की पार्टी है. जबतक जयललिता जीवित थीं, तबतक पार्टी और सत्ता की कमान उनके पास ही थी और उनका ही जादू तमिलनाडु की जनता के सिर पर चढ़कर बोलता था. लेकिन जयललिता के निधन के बाद से ही पार्टी तमिलनाडु में कमजोर हुई है, भले ही वो पार्टी को समेटना हो, लोकसभा चुनाव हो, स्थानीय चुनाव या फिर अब विधानसभा चुनाव में जीत निश्चित करने की कोशिश.
द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK): मुख्य विपक्षी दल इस बार तमिलनाडु की सत्ता में वापसी की आस में है. एम. करुणानिधि के निधन के बाद उनके बेटे एम.के. स्टालिन के हाथ में पार्टी की कमान है, ऐसे में मुख्यमंत्री का चेहरा भी वही हो सकते हैं. यही कारण है कि पार्टी को उम्मीद है कि स्टालिन के नाम पर जीत मिल जाएगी. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी स्टालिन के नाम पर पार्टी को वोट मिला और एनडीए तमिलनाडु में कोई जादू नहीं बिखेर सका.
भारतीय जनता पार्टी (BJP): केंद्र की सत्ता पर काबिज बीजेपी कई दशकों से तमिलनाडु में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही है. नरेंद्र मोदी की अगुवाई में देशभर में जीत हासिल करने वाली बीजेपी को तमिलनाडु में निराशा ही हाथ लगी है. लेकिन इस बार जब राज्य में कोई बड़ा और चमात्करिक नेता नहीं है, तो बीजेपी पीएम नरेंद्र मोदी की उसी तरह प्रोजेक्ट करने में जुटी है. बीजेपी इस बार AIADMK के साथ चुनाव लड़ रही है, ऐसे में अम्मा की पार्टी का छोटा भाई बन राज्य की सत्ता में आने की कोशिश है.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC): कांग्रेस और डीएमके का साथ लंबे वक्त तक केंद्र और राज्य की सत्ताओं में रहा है. ऐसे में जब कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में करारी हार मिली है, उसके बाद तमिलनाडु ऐसा राज्य है जो उम्मीद की किरण जगा सकता है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी कई बार तमिलनाडु का दौरा कर चुके हैं, वो खुद भी पड़ोसी राज्य यानी केरल से सांसद हैं. ऐसे में बीजेपी के विजयी रथ को रोकने के लिए कांग्रेस को दक्षिण का द्वार आसान लग रहा है.

मक्कल निधि मय्यम (MNM): सिल्वर स्क्रीन से राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले सुपरस्टार कमल हासन भी इस बार विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाएंगे. रजनीकांत ने पार्टी लॉन्च करने से इनकार किया तो कमल हासन ही अब अकेले मैदान में आ सकते हैं. लंबे वक्त से वो अपनी पार्टी को खड़ा करने में पूरे राज्य का दौरा कर रहे हैं.

उम्मीद जताई जा रही है कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी तमिलनाडु में कमल हासन से हाथ मिला सकती है. ध्यान देने वाली बात ये है कि तमिलनाडु अक्सर फिल्मी सितारों को राजनीति की पिच पर भी सिर आंखों पर बैठाता है, ऐसे में कमल हासन क्या कमाल करते हैं उसपर नज़र रहेगी.
इनके अलावा भी तमिलनाडु में कई पार्टियां हैं जो मैदान में हैं, लेकिन उनमें से अधिकतर पार्टियां एनडीए और यूपीए का ही हिस्सा रहेंगी.
2021 के चुनावों का क्या रहेगा मुख्य फोकस?
तमिलनाडु की राजनीति और सत्ता में हमेशा एक ऐसा नेता रहा है, जो लार्जर दैन लाइफ होता आया है. लेकिन पिछले कुछ वक्त से राज्य उस नेता की कमी महसूस कर रहा है. जयललिता, एम. करुणानिधि के बाद वो जगह खाली है. ऐसे में तमिलनाडु इस बार किसपर भरोसा जताता है, ये देखने वाली बात होगी. केंद्र सरकार के काम और नरेंद्र मोदी के नाम से बीजेपी क्या तमिलनाडु की सत्ता में एंट्री कर पाएगी ये देखना होगा.
साथ ही सत्ता में वापसी की आस जगाए बैठे स्टालिन को कितनी कामयाबी मिलती है. तमिलनाडु में अक्सर हिन्दी बनाम तमिल की लड़ाई देखने को मिलती है, केंद्र सरकार के खिलाफ इस विषय पर कई बार आवाज भी उठी है. यही कारण है कि इन मुद्दों के इर्द-गिर्द ही ये पूरा चुनाव देखने को मिल सकता है.