बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश के बीच राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' से इंडिया ब्लॉक के हौसले बुलंद हो गए हैं. सासाराम के गांधी मैदान से शुरू हुई वोटर अधिकार यात्रा में राहुल-तेजस्वी के साथ विपक्ष के बड़े नेता भी सियासी कदमताल करते नजर आएंगे. उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक के विपक्षी नेताओं ने 'वोट अधिकार यात्रा' में शामिल होकर चुनाव आयोग और बीजेपी के खिलाफ हुंकार भरने के साथ-साथ विपक्षी एकजुटता का संदेश देने की रणनीति बनाई है.
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि मतदाता अधिकार यात्रा वोट चोरी के खिलाफ एक ऐतिहासिक आंदोलन बन गई है, जो न केवल बिहार, बल्कि पूरे भारत के लोगों को आकर्षित कर रही है. आने वाले सप्ताह में इंडिया ब्लॉक और कांग्रेस के प्रमुख नेता यात्रा में शिरकत करेंगे.
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोट अधिकार यात्रा' सासाराम, औरंगाबाद, गया, नवादा, नालंदा, शेखपुरा, लखीसराय, मुंगेर, भागलपुर, कटिहार, पूर्णिया और अररिया से गुजर चुकी है. अब आगे राहुल-तेजस्वी के साथ प्रियंका गांधी से लेकर सीएम एमके स्टालिन, सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार और अखिलेश यादव जैसे नेता यात्रा करते नजर आएंगे.
राहुल-तेजस्वी-प्रियंका की केमिस्ट्री
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राहुल और तेजस्वी की वोट अधिकार यात्रा में प्रियंका गांधी शिरकत करेंगी. बिहार में प्रियंका गांधी का यह पहला सियासी कार्यक्रम है. 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार में सर्वाधिक आग्रह प्रियंका की जनसभाओं के लिए किया गया था, लेकिन वे राहुल के संसदीय क्षेत्र वायनाड और उत्तर प्रदेश में ही व्यस्त रहीं. अब बिहार के सियासी रण में उतरने जा रही हैं. प्रियंका गांधी मंगलवार को राहुल और तेजस्वी के साथ सुपौल और मधुबनी में यात्रा करेंगी. इसके बाद अगले दिन बुधवार को दरभंगा और मुजफ्फरपुर में प्रियंका गांधी रोड-शो के ज़रिए सियासी माहौल बनाने की कवायद करती नजर आएंगी.
प्रियंका का बिहार दौरा क्यों अहम?
प्रियंका गांधी बिहार की आधी आबादी महिला वोटरों को साधने की कवायद करती नजर आएंगी. प्रियंका गांधी जिस दिन बिहार आ रही हैं, उसी दिन मिथिला में चौरचन और हरितालिका तीज का पर्व है. बिहार में यह व्रत सुहागिन महिलाएं उपवास रखकर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. अब उसी दिन प्रियंका गांधी 'वोट अधिकार यात्रा' में शामिल होकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कोर वोटर आधी आबादी में सेंधमारी करने की रणनीति बना रही हैं.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के दौरे का प्लान बहुत ही रणनीति के साथ बनाया गया है. प्रियंका जिस इलाके में यात्रा करेंगी, वो जेडीयू-बीजेपी का गढ़ माना जाता है. ऐसे में महागठबंधन ने प्रियंका को उतारकर सियासी माहौल अपने पक्ष में करने की रणनीति बनाई है. कांग्रेस पार्टी इस फिराक में है कि लोकसभा चुनाव में जिस तरह शाहाबाद में एनडीए का सफाया कर दिया गया, उसी तरह उत्तर बिहार में भी एनडीए का सफाया हो और इसके लिए महिला वोटरों को साधने की पूरी तैयारी है. इसलिए प्रियंका का दौरा सोच-समझकर चौरचन और तीज के दिन रखा गया है.
राहुल-तेजस्वी-स्टालिन-सिद्धारमैया
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की वोट अधिकार यात्रा में बुधवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन शिरकत करेंगे. इसके अलावा शुक्रवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया शामिल होंगे. कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने रविवार को बिहार के अररिया में वोटर अधिकार यात्रा में हिस्सा लिया था और कहा था कि राहुल गांधी की यात्रा बिहार के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगी.
एमके स्टालिन और सिद्धारमैया दक्षिण के दोनों ही नेता सामाजिक न्याय के मजबूत पैरोकार माने जाते हैं. बिहार में दलित और ओबीसी वोटर काफी अहम माने जाते हैं और उन्हीं के इर्द-गिर्द ही पूरी सियासत सिमटी हुई है. बिहार के सियासी रण में राहुल-तेजस्वी यादव के साथ स्टालिन और सिद्धारमैया के उतरने से दलित और ओबीसी वोटों के बीच सियासी संदेश देने की रणनीति मानी जा रही है.
राहुल-तेजस्वी-अखिलेश की जोड़ी
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की वोट अधिकार यात्रा में सपा प्रमुख अखिलेश यादव 30 अगस्त को शामिल होंगे. अखिलेश यूपी से सटे हुए बिहार के सिवान, गोपालगंज जैसे जिलों में शिरकत करेंगे. बिहार के सियासी मैदान में तीन लड़कों की जोड़ी इंडिया ब्लॉक के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है. अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी ने लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में जबरदस्त तरीके से कामयाबी हासिल की.
पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स के ज़रिए उन्होंने अपनी पकड़ यूपी की सियासत में मजबूत की थी और अब बिहार में तेजस्वी यादव के साथ मिलकर यह तिकड़ी विधानसभा चुनाव 2025 में नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ बड़ी चुनौती पेश करने की तैयारी में है. अखिलेश यादव की मौजूदगी से इस गठबंधन की एकता और वोट चोरी के खिलाफ मुहिम को बल मिलेगा.
विपक्षी नेताओं का सियासी जमघट
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग द्वारा राज्य में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर इंडिया ब्लॉक के निशाने पर चुनाव आयोग है. ऐसे में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने वोट अधिकार यात्रा निकालकर सियासी माहौल को गर्मा दिया है. बिहार के सासाराम से 17 अगस्त को शुरू हुई 'वोट अधिकार यात्रा' पटना के गांधी मैदान में एक सितंबर को समाप्त होगी. 'वोट अधिकार यात्रा' अब जैसे-जैसे अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे विपक्षी नेताओं का जमघट भी लग रहा है.
इंडिया ब्लॉक के नेता मानते हैं कि बिहार में राहुल और तेजस्वी यात्रा से सियासी माहौल बनाया है. गरीबों, पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों समुदाय के वोट जो काटे गए हैं, उनके मुद्दो को चर्चा में लाया गया है. यात्रा का रूट बनाने में इसका ध्यान रखा गया. सासाराम से पटना तक 1300 किलोमीटर का रूट इसलिए चुना गया ताकि ज्यादा से ज्यादा जिले कवर हो सकें. विपक्ष के दिग्गज नेताओं ने बिहार की सड़कों पर उतरकर सियासी 'बज़ क्रिएट' करने का प्लान बनाया है. कांग्रेस ही नहीं बल्कि विपक्षी नेताओं के शामिल होने से इंडिया ब्लॉक को सियासी धार मिलेगी.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह सुक्कू और तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी का कार्यक्रम अभी तय नहीं हुआ है, लेकिन संभावना है कि वे लोग भी वोटर अधिकार यात्रा में शामिल होने के लिए आएंगे. इस यात्रा में काफी संख्या में लोग उमड़ रहे हैं. लोगों की भीड़ देखकर नेता भी काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं. कारवां लगातार आगे बढ़ता जा रहा है.