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इधर तेजस्वी चेहरा, क्या उधर नीतीश पर तय 'सेहरा'... 2020 से अलग रणनीति पर क्यों चल रही BJP?

बिहार चुनाव के लिए विपक्षी महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को अपना सीएम फेस घोषित कर दिया है. एनडीए में क्या सीएम नीतीश कुमार पर ही सेहरा तय है? बीजेपी इस बार 2020 से अलग रणनीति पर क्यों चल रही है?

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2020 में नीतीश कुमार को सीएम फेस घोषित कर मैदान में उतरा था एनडीए (Photo-ITG)
2020 में नीतीश कुमार को सीएम फेस घोषित कर मैदान में उतरा था एनडीए (Photo-ITG)

बिहार की राजधानी पटना में गुरुवार को महागठबंधन की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई. पहले चरण की वोटिंग से 13 दिन पहले पटना के मौर्या होटल में इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए सजे मंच पर 11 कुर्सियां लगीं और पीछे लगा था एक बड़ा सा पोस्टर. इस पोस्टर पर महागठबंधन के सभी घटक दलों के चुनाव निशान छपे थे और साथ ही छपी थी एक बड़ी सी तस्वीर. तस्वीर तेजस्वी यादव की, नाम तेजस्वी यादव का और नारा तेजस्वी सरकार का. इस मंच से इस बात का ऐलान किया गया कि महागठबंधन जीता, तो तेजस्वी यादव ही मुख्यमंत्री उम्मीदवार होंगे.

तेजस्वी यादव ने सीएम उम्मीदवार के रूप में अपने नाम का ऐलान किए जाने पर महागठबंधन के घटक दलों का धन्यवाद किया. तेजस्वी यादव को ऐसे समय में सीएम फेस घोषित किया गया, जब 10 सीटों पर महागठबंधन के घटक दलों के उम्मीदवार आमने-सामने हैं और चर्चा दरार की भी तेज हो चली थी. दूसरे राज्यों में कांग्रेस की सहयोगी पार्टियां भी तेजस्वी को सीएम फेस घोषित नहीं करने को लेकर सवाल करने लगी थीं. सवाल ये भी उठ रहे थे कि क्यों महागठबंधन के नेता मिलकर रैली या सभा नहीं कर रहे? तेजस्वी को सीएम फेस तब घोषित किया गया है, जब प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहली संयुक्त रैली होने जा रही है.

तेजस्वी को महागठबंधन का सीएम फेस घोषित किए जाने के बाद बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने कहा कि पहले से ही पता था कि लालू यादव अपने परिवार के सिवाय किसी को सत्ता नहीं देंगे. उन्होंने लालू यादव पर हमला बोलते हुए कहा कि वह जब तक मनवा नहीं लिए, तब तक एक-दूसरे की सीट पर उम्मीदवार उतारते रहे. सम्राट चौधरी ने कहा कि लालू यादव गुंडागर्दी करके अपने बेटे को उम्मीदवार बनवा रहे हैं. यह साफ दिखाता है कि लालू यादव को सिर्फ अपने परिवार को ही सीएम फेस बनाना है.

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गिरिराज सिंह ने कहा कि लालू यादव ने हाथ-पैर पड़कर किसी तरह अपने बेटों के लिए घोषणा करवाया. मुंगेरीलाल के सपने देख लें, तमाशा देखेंगे. वहीं, जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने तंज करते हुए कहा कि ये सबको पता है कि लालू यादव का जंगलराज अगर लौटेगा, तब तेजस्वी यादव सीएम बनेंगे. महागठबंधन की तरफ से तेजस्वी यादव को सीएम फेस बनाने का ऐलान किए जाने पर एनडीए और पीके, दोनों ही जंगलराज की वापसी और लालू यादव की ब्लैकमेल पॉलिटिक्स के साथ महागठबंधन में दरार छिपाने की कोशिश बता घेर रहे हैं. वहीं, महागठबंधन की रणनीति अलग बताई जा रही है.

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महागठबंधन की रणनीति क्या?

तेजस्वी की सीएम उम्मीदवारी के पीछे महागठबंधन की रणनीति है वोट बैंक का विस्तार. तेजस्वी को सीएम फेस घोषित करना यादव मतदाताओं को लामबंद करने की कवायद है ही, मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम घोषित कर निषाद वोटर्स को भी संदेश दिया गया है. एक और डिप्टी सीएम बनाने के दांव से सस्पेंस भी रखा गया है कि वह किसी भी वर्ग का हो सकता है. दूसरी रणनीति बिहार चुनाव में इस सवाल को गर्म करने की है कि तेजस्वी बनाम कौन? एक रणनीति नीतीश कुमार सीएम बनेंगे या नहीं, इसे लेकर जेडीयू के लॉयल वोटर्स के मन में सस्पेंस का लाभ उठाने की भी है.

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यही वजह है कि तेजस्वी यादव के सुर नीतीश कुमार पर बदले नजर आए. तेजस्वी ने कहा कि नीतीश कुमार के साथ अन्याय हो रहा है. उन्होंने कहा कि हम शुरू से ही कह रहे हैं कि बीजेपी के लोग नीतीश कुमार को फिर से सीएम नहीं बनाएंगे. उनको मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया गया है. तेजस्वी ने अमित शाह के बयान का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने सीएम का चुनाव विधायकों के करने की बात थी. उन्होंने कहा कि अमित शाह से जानना चाहेंगे कि यह इस बार ही कह रहे हैं, पिछली बार नहीं कहा था. हर बार सीएम का चेहरा घोषित किया. क्या कारण है कि इस बार नीतीश के नाम का ऐलान नहीं कर रहे?

दो दशक का चुनावी अतीत क्या

बिहार के पिछले दो दशक का चुनावी इतिहास देखें, तो तस्वीर यही रही है- जिधर नीतीश कुमार, उधर सत्ता. इसके पीछे असली वजह नीतीश कुमार की कुर्मी और कोइरी के साथ ही अति पिछड़ा वोट बैंक पर मजबूत पकड़ को बताया जाता है, जो करीब 43 फीसदी है. 2015 के बिहार चुनाव में जब नीतीश कुमार आरजेडी के साथ चुनाव लड़ रहे थे, 71 फीसदी कुर्मी, 31 फीसदी कोइरी और 35 फीसदी अति पिछड़ा वोट महागठबंधन को मिला था. 2020 के चुनाव में जब नीतीश एनडीए के साथ थे, तब 81 फीसदी कुर्मी, 51 फीसदी कोइरी, 58 फीसदी अति पिछड़ा वोट एनडीए के पक्ष में जाता है.

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तेजस्वी यादव अब नीतीश कुमार के सीएम बनने को लेकर अमित शाह के बयान से उपजे सस्पेंस को हथियार बना रहे हैं, तो इसके पीछे भी इसी वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश वजह बताई जा रही है. तेजस्वी ने कहा कि हमारा स्पष्ट था. सवाल है कि अमित शाह ने जो कहा है, एनडीए का चेहरा कौन होगा? उन्होंने कहा कि अमित शाह ने साफ कहा था कि वो नीतीश को सीएम नहीं बनाएंगे, विधायक दल सीएम का चुनाव करेगा. बीजेपी नहीं चाहती कि नीतीश कुमार सीएम बनें.

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गिरिराज सिंह ने सीएम के सवाल पर कहा है कि नीतीश कुमार हैं, वो रहेंगे. एनडीए के नेता बोलने तो लगे, लेकिन क्या एनडीए औपचारिक रूप से यह ऐलान करेगा कि नीतीश कुमार ही सीएम फेस हैं? अब सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या तेजस्वी यादव की तरफ से चले गए दांव के बाद एनडीए को अपनी रणनीति बदलनी होगी? नीतीश कुमार के नेतृ्त्व में चुनाव लड़ रहे हैं कहने के साथ ही क्या आगे नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे, एनडीए को अब खुलकर यह भी कहना पड़ेगा?

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