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बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले 'जंगल महल' पर बीजेपी की नजर, आंदोलन की तैयारी में पार्टी

पश्चिम बंगाल में तमाम कोशिशों की बावजूद बीजेपी अब तक टीएमसी के किले को ढहा नहीं पाई है. ऐसे में पार्टी आदिवासी वोटबैंक के जरिए आगामी विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने को कोशिश में जुट गई है और आदिवासी वोटबैंक पर फोकस कर रही है.

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आदिवासियों के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने में जुटी बीजेपी (Photo: PTI)
आदिवासियों के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने में जुटी बीजेपी (Photo: PTI)

पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी आदिवासी अधिकारों की आवाज बनने की कोशिश कर रही है. इसी को ध्यान में रखते हुए पार्टी अब आंदोलन की तैयारी कर रही है. बीजेपी का आरोप है कि बंगाल में आदिवासी समुदाय की उपेक्षा की जा रही है और उनका उत्पीड़न किया जा रहा है. पार्टी का दावा है कि पिछले एक महीने में बंगाल के आदिवासी इलाकों से अत्याचार के पांच मामले सामने आए हैं.

आदिवासी वोटों पर बीजेपी का फोकस

बंगाल बीजेपी के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मंगलवार को इन मामलों के 'सबूत' पेश करते हुए आरोप लगाया कि बंगाल में आदिवासी समाज पर तरह-तरह के अत्याचार हो रहे हैं. बीजेपी इसके खिलाफ अदालत जाएगी और राज्यपाल से भी शिकायत करेगी. शुभेंदु ने कहा कि ममता सरकार हर क्षेत्र और समाज के हर वर्ग को परेशान कर रही है.

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उन्होंने कहा कि पिछले एक महीने में आदिवासियों पर अत्याचार के पांच मामले सामने आए हैं. शुभेंदु ने कहा कि हम सबूत पेश करना चाहते हैं. आदिवासी भारत के मूल निवासी हैं. अगर जरूरत पड़ी तो हम मामला दर्ज कराएंगे और राज्यपाल से भी बात करेंगे. उन्होंने बताया कि पुरुलिया में आदिवासी महिलाओं का उत्पीड़न किया गया, मेदिनीपुर के एक आदिवासी की तृणमूल नेता ने पिटाई की. इसके बाद आरोपी को गिरफ्तार किया गया, लेकिन उसे जमानत मिल गई.

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क्यों अहम है बंगाल का 'जंगल महल'

बीजेपी नेता शुभेंदु ने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में आदिवासी समाज पर अत्याचार के कई अन्य मामले भी सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि हम ये मुद्दे इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि आदिवासी समाज के लोगों को अब तक न्याय नहीं मिला है.

दरअसल, बंगाल के पुरुलिया, झारग्राम, मिदनापुर, बांकुड़ा आदिवासी बाहुल इलाके हैं. इस पूरे इलाके को 'जंगल महल' भी कहा जाता है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इन इलाकों में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था और करीब सभी सीटों पर जीत हासिल की थी. लेकिन 2024 तक तृणमूल इन इलाकों में अपनी खोई हुई ज़मीन काफी हद तक वापस पा चुकी है. ऐसे में इस बार बीजेपी जंगल महल पर खास ध्यान दे रही है और आदिवासियों के लिए एक आंदोलन की तैयारी कर रही है.

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बंगाल के आदिवासी बाहुल जंगल महल इलाके पर कभी माओवादियों का कब्जा हुआ करता था और दशकों तक यह सीपीएम का गढ़ रहा. लेकिन साल 2011 के चुनाव में ममता बनर्जी ने यह किला फतह कर लिया. तब से 40 विधानसभा सीटों वाले इस इलाके को लेकर बीजेपी और टीएमसी के बीच सियासी खींचतान चल रही है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां बढ़त हासिल की थी, लेकिन 2024 के चुनाव में फिर से टीएमसी ने वापसी कर ली. अब बीजेपी विधानसभा चुनाव से पहले इस इलाके पर नजर गड़ाए बैठी है.

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