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चीन के कौन से हथियार अमेरिका तक पहुंचकर वार करने की रखते हैं क्षमता? परेड से ट्रंप क्यों आगबबूला हैं

चीन की सैन्य परेड में दिखे DF-41, JL-3 और हाइपरसोनिक मिसाइल जैसे हथियार अमेरिका तक पहुंच सकते हैं. ये मिसाइलें परमाणु हमला कर सकती हैं. ट्रंप परेड से नाराज हैं, क्योंकि इसे चीन, रूस और उत्तर कोरिया की साजिश मानते हैं. परेड में शी जिनपिंग ने अमेरिका की ऐतिहासिक भूमिका को नजरअंदाज किया, जिससे ट्रंप का गुस्सा भड़का.

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ये है चीन की डीएफ-31ए बैलिस्टिक मिसाइल जो अमेरिका को आराम से निशाना बना सकती है. (File Photo: AFP)
ये है चीन की डीएफ-31ए बैलिस्टिक मिसाइल जो अमेरिका को आराम से निशाना बना सकती है. (File Photo: AFP)

चीन की सैन्य ताकत तेजी से बढ़ रही है. हाल ही में बीजिंग में हुई भव्य सैन्य परेड ने दुनिया का ध्यान खींच लिया. इस परेड में चीन ने अपने कई उन्नत हथियारों का प्रदर्शन किया, जिनमें से कुछ अमेरिका महाद्वीप तक पहुंचकर हमला करने की क्षमता रखते हैं.

दूसरी ओर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस परेड से बेहद नाराज दिखे. वे इसे चीन, रूस और उत्तर कोरिया की दोस्ती को अमेरिका के खिलाफ साजिश मान रहे हैं. आइए इन हथियारों की क्षमता और ट्रंप के गुस्से की वजह जानते हैं. 

चीन की सैन्य ताकत: एक नजर

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक है. 2025 तक चीन के पास लगभग 600 परमाणु हथियार हैं, जो तेजी से बढ़ रहे हैं. ये हथियार मुख्य रूप से बैलिस्टिक मिसाइलें, पनडुब्बियां और बॉम्बर विमान में तैनात किए गए हैं. 

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चीन का फोकस एशिया-प्रशांत क्षेत्र पर है, लेकिन अब उनकी कुछ मिसाइलें अमेरिका के मुख्य भूमि तक पहुंच सकती हैं. अमेरिकी रक्षा विभाग की 2024 रिपोर्ट के अनुसार, चीन की मिसाइलें अमेरिका के तटों को निशाना बना सकती हैं. खासकर यदि ताइवान या दक्षिण चीन सागर में कोई संघर्ष हो. ये हथियार रक्षात्मक उद्देश्य से बताए जाते हैं, हालांकि अमेरिका इन्हें खतरा मानता है.

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चीन के हथियारों की क्षमता को समझने के लिए, हम इन्हें श्रेणियों में बांटते हैं. नीचे टेबल दी गई है, जो इन हथियारों की रेंज, प्रकार और अमेरिका पर प्रभाव को दर्शाती है. ये आंकड़े रैंड कॉर्पोरेशन और अमेरिकी इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स से लिए गए हैं.

chinese weapons can strike US

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ये हथियार चीन की नो फर्स्ट यूज नीति के तहत हैं, लेकिन अमेरिका का मानना है कि ताइवान जैसे संकट में ये इस्तेमाल हो सकते हैं. DF-41 मिसाइल अमेरिका के शहरों जैसे न्यूयॉर्क या लॉस एंजिल्स तक पहुंच सकती है. JL-3 पनडुब्बी से लॉन्च होती है, जो गुप्त रूप से अमेरिकी तटों के पास आ सकती है. हाइपरसोनिक हथियार जैसे DF-17 अमेरिकी मिसाइल डिफेंस को भेद सकते हैं क्योंकि ये बहुत तेज और मैन्यूवरेबल हैं.

इन हथियारों की क्षमता कैसे काम करती है?

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ICBM (DF-31A/DF-41): ये जमीन से लॉन्च होती हैं. DF-41 10 से ज्यादा वॉरहेड्स ले जा सकती है, जो एक साथ कई लक्ष्यों पर हमला करें. रेंज इतनी ज्यादा है कि चीन से लॉन्च होकर 30-40 मिनट में अमेरिका पहुंच जाए. लेकिन अमेरिका के पास मिसाइल डिफेंस सिस्टम जैसे THAAD हैं, जो इन्हें रोक सकते हैं.

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SLBM (JL-3): पनडुब्बी से पानी के नीचे लॉन्च. ये अमेरिका के तटों पर अचानक हमला कर सकती हैं, क्योंकि पनडुब्बी का पता लगाना मुश्किल है. चीन के पास 6 ऐसी पनडुब्बियां हैं.

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बॉम्बर (H-6N): ये विमान हवा में ईंधन भरकर लंबी दूरी तय कर सकते हैं. ये क्रूज मिसाइलें या परमाणु बॉम्ब गिरा सकते हैं. लेकिन अमेरिकी एयर डिफेंस इन्हें रोक सकता है.

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हाइपरसोनिक और FOBS: ये नई तकनीकें हैं. हाइपरसोनिक मिसाइलें ध्वनि से तेज उड़ती हैं, इसलिए ट्रैक करना मुश्किल. FOBS कक्षा में घूमती है और दक्षिण ध्रुव से हमला कर सकती है, जो अमेरिकी रडार को चकमा देती है.

ये हथियार चीन की एंटी-एक्सेस/एरिया डिनायल (A2/AD) रणनीति का हिस्सा हैं, जो अमेरिकी नौसेना को चीन के पास आने से रोकते हैं. लेकिन पूर्ण युद्ध में, अमेरिका की सैन्य ताकत अभी भी ज्यादा है – उनके पास 5,000 से ज्यादा परमाणु हथियार हैं. फिर भी, चीन की तेजी से बढ़ती क्षमता चिंता का विषय है.

ट्रंप क्यों आगबबूला हैं? परेड की वजह

3 सितंबर 2025 को बीजिंग के तियानानमेन स्क्वायर में चीन ने द्वितीय विश्व युद्ध में जापान पर जीत के 80वें वर्षगांठ पर भव्य सैन्य परेड आयोजित की. इसमें 50000 से ज्यादा सैनिक, टैंक, मिसाइलें और ड्रोन शामिल थे. राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि चीन धमकियों से नहीं डरता. परेड में नए हथियार दिखाए गए, जैसे DF-5C इंटरकॉन्टिनेंटल न्यूक्लियर मिसाइल, हाइपरसोनिक मिसाइलें (YJ-21, DF-17), लेजर एयर डिफेंस सिस्टम और रोबोट डॉग ड्रोन.

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इस परेड में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के किम जोंग उन भी शामिल हुए – यह पहली बार था जब ये तीनों नेता एक साथ दिखे. अन्य मेहमानों में ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और कई एशियाई नेता थे. अमेरिका या पश्चिमी देशों के कोई बड़े नेता नहीं आए. शी जिनपिंग ने इसे विश्व एंटी-फासीस्ट युद्ध की याद के रूप में पेश किया. 

ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया कि कृपया व्लादिमीर पुतिन और किम जोंग उन को मेरी तरफ से गर्मजोशी भरी शुभकामनाएं दें, क्योंकि आप अमेरिका के खिलाफ साजिश रच रहे हैं. 

  • साजिश का आरोप: ट्रंप का मानना है कि यह परेड अमेरिका के खिलाफ एक एक्सिस ऑफ अपहेवल (उथल-पुथल का अक्ष) है. रूस-चीन-उत्तर कोरिया का गठबंधन यूक्रेन युद्ध और ताइवान तनाव में अमेरिका को चुनौती दे रहा है.
  • अमेरिकी भूमिका की अनदेखी: ट्रंप ने कहा कि चीन को द्वितीय विश्व युद्ध में जीतने में अमेरिका का बड़ा योगदान था (जैसे लेंड-लीज सहायता), लेकिन शी जिनपिंग ने इसका जिक्र नहीं किया. ट्रंप ने कहा कि चीन को हमारी जरूरत है, और मेरी शी से अच्छा संबंध हैं.
  • ट्रंप का FOMO (फियर ऑफ मिसिंग आउट): ट्रंप ने स्वीकार किया कि उन्होंने परेड देखी और इसे "बहुत प्रभावशाली" बताया, लेकिन कहा कि चीन ने यह अमेरिका को दिखाने के लिए किया. जून 2025 में ट्रंप का अपना जन्मदिन परेड फीका पड़ गया था, जबकि चीन का यह शो दुनिया को चकाचौंध कर गया.
  • राजनीतिक संदर्भ: ट्रंप की टैरिफ नीति से चीन पर दबाव है, लेकिन परेड ने चीन को वैश्विक नेता के रूप में पेश किया. ट्रंप इसे अपनी विदेश नीति की असफलता मानते हैं.

ट्रंप ने बाद में कहा कि यह एक खूबसूरत समारोह था, लेकिन वे उम्मीद कर रहे थे कि मैं देख रहा हूं – और मैं देख रहा था. क्रेमलिन ने इसे साजिश का आरोप खारिज किया. 

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चीन के ये हथियार अमेरिका के लिए सच्ची चुनौती हैं, लेकिन पूर्ण युद्ध की संभावना कम है. दोनों देश परमाणु शक्ति हैं, इसलिए संतुलन बना रहता है. परेड ने चीन की बढ़ती ताकत दिखाई, लेकिन ट्रंप का गुस्सा उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा लगता है. अमेरिका को अपनी सैन्य क्षमता बढ़ानी होगी, जैसे मिसाइल डिफेंस और सहयोगी देशों (जापान, ताइवान) के साथ साझेदारी. 

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