परमाणु बम
परमाणु बम (Atom Bomb or Atomic Bomb) एक बड़ी विस्फोटक शक्ति वाला हथियार, जो प्लूटोनियम या यूरेनियम जैसे भारी तत्व के नाभिक के विभाजन (Splitting) या विखंडन (Fission,) पर अचानक ऊर्जा के निकलने से होता है.
जब एक न्यूट्रॉन समस्थानिक यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239 (isotopes uranium-235 or plutonium-239) के परमाणु के नाभिक से टकराता है, तो यह उस नाभिक को दो टुकड़ों में विभाजित कर देता है, जिनमें से प्रत्येक मूल नाभिक के लगभग आधे प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के साथ एक नाभिक होता है. विभाजन की प्रक्रिया में, बड़ी मात्रा में तापीय ऊर्जा, साथ ही गामा किरणें और दो या दो से अधिक न्यूट्रॉन निकलते हैं. बाहर निकलने वाले न्यूट्रॉन स्ट्राइक करते हैं और आसपास के यूरेनियम नाभिक का अधिक विखंडन करते हैं, जो तब अधिक न्यूट्रॉन का उत्सर्जन करते हैं और यह और भी अधिक नाभिकों को विभाजित करते हैं. इस तेजी से विखंडनों की एक सीरीज रियाएक्शन होती है जिसमें लगभग सभी विखंडनीय सामग्री का इस्तेमाल होता है. इस प्रक्रिया को एक परमाणु बम के रूप में जाना जाता है (Process generating the explosion).
पहला परमाणु बम मैनहट्टन प्रोजेक्ट (Manhattan Project) नाम से द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) के दौरान लॉस एलामोस, न्यू मैक्सिको (Los Alamos, New Mexico) में बनाया गया था. 25 नवंबर 1942 को ब्रिगेडियर जनरल लेस्ली आर ग्रोव्स और भौतिक वैज्ञानिक जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने लॉस एलामोस को मुख्य परमाणु बम वैज्ञानिक प्रयोगशाला के लिए साइट के रूप में चुना था. और उसे कोड नाम दिया गया था प्रोजेक्ट वाई (First Atomic Bomb).
16 जुलाई 1945 को अल्बुकर्क, न्यू मैक्सिको के दक्षिण में 193 किमी (120 मील) की दूरी पर एक साइट पर एक बम, प्लूटोनियम का उपयोग करते हुए सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था (Plutonium).
IAEA से अलग होने के बाद अब इसके इंस्पेक्टर ईरान के परमाणु केंद्रों का निरीक्षण ही नहीं कर पाएंगे. इसका मतलब यह है कि उन्हें यह जानकारी ही नहीं मिल पाएगी कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम किस स्तर तक पहुंचा है? ऐसी स्थिति में अगर ईरान परमाणु कार्यक्रम शुरू करता है तो उसके सामने कोई भी प्रत्यक्ष बाधा नहीं होगी. NPT का सदस्य होने के नाते ईरान को शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम की इजाजत है.
ईरान ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग के साथ सहयोग न करने का फैसला किया है, जिससे अब IAEA के इंस्पेक्टर ईरान के परमाणु केंद्रों का निरीक्षण नहीं कर पाएंगे..
400 किलोग्राम हथियार-ग्रेड यूरेनियम (90% U-235) से 7-14 परमाणु बम बन सकते हैं, जो डिज़ाइन पर निर्भर करता है. छोटे बम (0.1-10 किलोटन) 0.5-2 किमी तक तबाही मचाते हैं. मध्यम बम (10-100 किलोटन) शहर नष्ट करते हैं. बड़े थर्मोन्यूक्लियर बम (100 किलोटन-50 मेगाटन) 10-15 किमी तक विनाश करते हैं, लाखों की मौत का कारण बन सकते हैं.
IAEA का कहना है कि बॉम्बिंग के बाद उसके लिए ईरान के न्यूक्लियर साइट पर निरीक्षण मुश्किल हो गया है. क्योंकि वहां मलबा भरा पड़ा है, वहां बगैर फटे लाइव बम हो सकते हैं. वहीं अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ कहते हैं कि ईरान के पास अज्ञात संख्या में एक्स्ट्रा सेंट्रीफ्यूज है और गुप्त लोकेशन पर हैं. अगर ईरान अपने 400 किलो यूरेनियम को किसी तरह यहां ले गया तो पूरा परिदृश्य ही बदल जाएगा.
ईरान का यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम इसलिए विवादास्पद है, क्योंकि उसने 60% तक संवर्धन, गुप्त गतिविधियां और IAEA के साथ असहयोग किया है. इसके अलावा, क्षेत्रीय तनाव, इजरायल और अमेरिका के साथ दुश्मनी और गैर-कानूनी तकनीक हासिल करने का इतिहास इसे संदिग्ध बनाता है.
भारत दुनिया में गहराते युद्ध के खतरे को देखते हुए एक नया और शक्तिशाली बंकर बस्टर बम विकसित कर रहा है। यह बम जमीन के काफी नीचे बने दुश्मन के परमाणु ठिकानों और सैन्य अड्डों को भेदने में सक्षम होगा। अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर बंकर बस्टर बम के इस्तेमाल से मिली प्रेरणा के बाद भारत ने यह कदम उठाया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप साफ तौर पर कह चुके हैं कि वह नहीं चाहते कि ईरान परमाणु संप्रभु राष्ट्र बनें और वह ईरान को परमाणु संपन्न बनने से रोकने के लिए सीधी बातचीत का दबाव बना रहा है.
IAEA चीफ राफेल ग्रॉसी ने CBS News को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि ईरान के पास जो क्षमताएं हैं, उनके आधार पर यह संभव है कि वे कुछ ही महीनों में, या इससे भी कम समय में फिर से कुछ सेंटीफ्यूज यूनिट्स चालू कर यूरेनियम संवर्धन शुरू कर सकता है.
ईरान के पास 400 किलोग्राम यूरेनियम होने की बात कही जा रही है. ऐसे में आइए जानते हैं कि 400 किलोग्राम यूरेनियम से कितने परमाणु बम बन सकते हैं?
तेहरान ने परमाणु हथियार बनाने की बात से हमेशा इनकार किया है और कहा है कि इस महीने IAEA के एक प्रस्ताव में ईरान को उसके अप्रसार दायित्वों का उल्लंघन करने वाला बताया गया है, जिससे इजरायली हमलों का रास्ता साफ हो गया.
रिटेन की वुड नॉर्टन हॉल, जिसे बीबीसी ने युद्धकालीन प्रसारण के लिए तैयार किया, परमाणु हमले में भी सुरक्षित रह सकती है. जानिए क्यों ये बिल्डिंग व्हाइट हाउस से भी ज्यादा सुरक्षित मानी जाती है.
क्या कोई भी देश परमाणु बम बना सकता है? जानिए NPT संधि और तकनीकी चुनौतियों के कारण क्यों सिर्फ कुछ ही देशों को परमाणु हथियार बनाने की अनुमति है.
ईरान की फोर्डो न्यूक्लियर फैसिलिटी को सिर्फ अमेरिका ही टारगेट कर सकता था क्योंकि इजरायल के पास इस प्लांट को तबाह करने के लिए जरूरी गोला-बारूद नहीं है. इसी वजह से इजरायल बार-बार अमेरिका से फोर्डो को टारगेट करने की मांग कर रहा था.
एटम बम बनाने के लिए क्यों जरूरी है यूरेनियम एनरिचमेंट? परमाणु बम के अलावा यूरेनियम का और क्या इस्तेमाल होता है? यूरेनियम का एनरिचमेंट कैसे किया जाता है? आइए इन सवालों का जवाब एक-एक कर समझते हैं.
रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव का दावा कि कई देश ईरान को परमाणु हथियार दे सकते हैं, वैश्विक सुरक्षा के लिए एक गंभीर चेतावनी है. अमेरिकी हमले, जिनमें B-2 बॉम्बर्स और USS जॉर्जिया से टोमाहॉक मिसाइलें और GBU-57 बम इस्तेमाल हुए, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने में नाकाम रहे. उन्होंने ट्रंप को "शांति का राष्ट्रपति" से "युद्ध शुरू करने वाला" बताकर तीखी आलोचना की.
अमेरिकी बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स ने 13,600 किलोग्राम के GBU-57A/B मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) बंकर बस्टर बम गिराए जो ब्लास्ट से पहले 200 फीट की मजबूत कंक्रीट को भी भेद सकते हैं. अमेरिका की तरफ से फोर्डो, नतांज और इस्फहान में परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया है.
अमेरिका का GBU-57 MOP बम ईरान के 80 मीटर गहरे फोर्डो परमाणु स्थल को पूरी तरह नष्ट करने में असमर्थ हो सकता है. सामरिक परमाणु हथियार B61-12 तकनीकी रूप से इसे नष्ट कर सकता है, लेकिन वैश्विक निंदा, रेडियोधर्मी फॉलआउट और परमाणु हथियारों की दौड़ जैसे परिणाम इसे अकल्पनीय बनाते हैं.
ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड के पूर्व कमांडर मोहसिन रेजाई ने कहा कि इजरायल भले ही ये समझ रहा है कि हमारी न्यूक्लियर साइट्स तबाह हो गई हैं, लेकिन हम पहले ही वहां मौजूद सारा मटेरियल (यूरेनियम) दूसरी जगह शिफ्ट कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि ईरान के न्यूक्लियर मैटेरियल सुरक्षित हैं.
दुनिया में यह बहस बहुत तेजी से उठ रही है कि अमेरिका अपनी ईरान में अपनी कठपुतली सरकार बनाने के लिए ईरान के पास परमाणु बम होने की बात कर रहा है. इराक से सद्दाम हुसैन को हटाने के लिए भी इसी तरह खतरनाक हथियारों (weapon of mass destruction) होने की बात कही गई थी जो बाद में फुस्स निकली थी.
ईरान का परमाणु कार्यक्रम उसकी ताकत और कमजोरी दोनों है. इज़रायल के नतांज और फोर्डो पर हमले, सेंट्रीफ्यूज और वैज्ञानिकों को निशाना बनाना, इससे ईरान क परमाणु कार्यक्रम कहीं उसी के लिए न काल बन जाए. हमलों से ईरान का कार्यक्रम पीछे जा रहा है. लेकिन फोर्डो की गहराई और अंतरराष्ट्रीय दबाव इसे बूमरैंग बना सकते हैं.
सेंट्रीफ्यूज (Centrifuges) ऐसी मशीनें हैं जो उच्च गति से घूमकर यूरेनियम को अलग करती है. अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग के चीफ राफेल ग्रॉसी ने कहा कि शुक्रवार को नतांज पर हुए हमले ने पायलट ईंधन संवर्धन संयंत्र (पीएफईपी) के ऊपरी हिस्से को नष्ट कर दिया, जहां सेंट्रीफ्यूज के कैस्केड 60% शुद्धता तक रिफाइन यूरेनियम का उत्पादन कर रहे थे.