बैलिस्टिक मिसाइल (बीएम) (Ballistic Missiles) किसी लक्ष्य पर हथियार पहुंचाने के लिए प्रोजेक्टाइल मोशन का उपयोग करती है. ये हथियार अपेक्षाकृत छोटे अवधि (brief periods) के दौरान ही संचालित होते हैं. यह मध्यम दूरी की मिसाइल है. बैलिस्टिक मिसाइलें क्रूज मिसाइलों से अलग होती हैं. एक बैलिस्टिक मिसाइल प्रोजेक्टाइल मोशन के साथ अपने दिशा के उड़ान को एक बड़े आर्क के रूप में ऊपर और नीचे की कर सकता है. वहीं क्रूज मिसाइलें हवा में स्व-चालित होती हैं, रॉकेट प्रोपेलेंट की बदौलत एक सीधी रेखा में और कम ऊंचाई पर उड़ती हैं.
कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें (एसआरबीएम) आमतौर पर पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर रहती हैं, जबकि अधिकांश बड़ी मिसाइलें वायुमंडल के बाहर उड़ान भर सकती हैं.
एक बैलिस्टिक मिसाइल तीन भाग होते हैं:- संचालित उड़ान भाग(powered flight portion), मुक्त-उड़ान भाग (free-flight portion), और पुनः प्रवेश चरण (re-entry phase), जहां मिसाइल पृथ्वी के वायुमंडल में वापस प्रवेश करती है. कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों वायुमंडल के अंदर ही रहती हैं, इसलिए इनके उड़ान फेज आईसीबीएम के पहले दो चरण ही होते हैं.
बैलिस्टिक मिसाइलों को खास साइटों या मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया जा सकता है, जिसमें वाहन (जैसे, ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर), विमान, जहाज और पनडुब्बियां शामिल हैं.
ईरान और इजराइल के बीच घोषित युद्धविराम कुछ ही घंटों में टूट गया, जिसके बाद ईरान ने इजराइल पर बैलिस्टिक मिसाइल से हमला किया. भारत में ईरान के राजदूत ने कहा कि नेतन्याहू भरोसेमंद नहीं है और इजराइल अमेरिका के समर्थन के बिना कुछ नहीं कर सकता. देखें 'खबरें असरदार'.
चीन चुपके से कैसे ईरान की मदद कर चुका है. इसकी पोल खुल चुकी है. जनवरी 2025 में चीन ने ईरान को 1000 टन सोडियम परक्लोरेट भेजा, जिससे 260 खैबर शेकन या 200 हाज कासेम मिसाइलें बन सकती हैं. यह शिपमेंट MV गोल्बन और जयरान जहाजों से बंदर अब्बास पहुंचा. इससे ईरान की मिसाइल ताकत बढ़ेगी, जिससे तनाव बढ़ सकता है.
ईरान ने इजरायल पर 20वीं मिसाइल लहर में खैबर शेकन मिसाइलों से हमला किया, बेन गुरियन हवाई अड्डे और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया. यह हमला अमेरिका के ईरान के परमाणु ठिकानों पर हवाई हमलों के वाब में हुआ. मिसाइल की 1450 किमी रेंज और सटीकता ने इजरायल के रक्षा तंत्र को चुनौती दी, जिससे क्षेत्रीय युद्ध का खतरा बढ़ गया.
ईरान ने 19 जून 2025 को इज़रायल पर सेजिल मिसाइल दागी, जो दो-चरण वाली ठोस ईंधन बैलिस्टिक मिसाइल है. इसकी रेंज 2,000 किमी और वारहेड 500-700 किग्रा है. यह इसका पहला युद्धक इस्तेमाल था. इज़रायल ने इसे नष्ट करने का दावा किया. ईरान का यह हमला एक रणनीतिक संदेश था, जिससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ सकता है.
इज़रायल का हथियार उत्पादन उन्नत है, जिसमें आयरन डोम, एरो मिसाइलें और ड्रोन शामिल हैं, लेकिन इंटरसेप्टर की कमी युद्ध में चुनौती बन सकती है. ईरान के पास बड़ी संख्या में मिसाइलें और सस्ते ड्रोन हैं, पर सटीकता कम है. इज़रायल की हवाई श्रेष्ठता उसे बढ़त देती है, लेकिन लंबा युद्ध दोनों देशों के लिए आर्थिक और रणनीतिक जोखिम बढ़ा सकता है.
ईरान की नई रणनीति- पहले सामान्य मिसाइलों से आयरन डोम को भ्रमित करना. फिर हाइपरसोनिक मिसाइलों से घातक हमला- इजराइल के लिए बड़ी चुनौती बन गई है. इस रणनीति ने आयरन डोम की सीमाओं को उजागर किया है, लेकिन ईरान की अपनी कमजोरियां भी इसे लंबे समय तक सफल होने से रोक सकती हैं.
इजराइल के पांच अजेय हथियार- F-35आई, जीबीयू-39/बी, जेरिको-3, स्पाइक मिसाइल और हेरॉन टीपी ने ईरान की कमजोरियों का फायदा उठाया. पुरानी हवाई रक्षा, कमजोर वायुसेना, असुरक्षित परमाणु ठिकाने, कमजोर मिसाइल भंडार और बाधित नेतृत्व ने इजराइल को तेहरान और अन्य शहरों पर प्रभावी हमले करने दिए.
इजरायल की आयरन डोम और होम फ्रंट कमांड ईरानी मिसाइलों के सामने बेबस साबित हुईं. 30 जगहों पर मिसाइलें गिरने से 24 लोगों की मौत और 592 लोग घायल हुए. MAMADs ने सुरक्षा प्रदान करने में विफलता दिखाई. हाइपरसोनिक मिसाइलें नई चुनौती बनी.
इजरायल और ईरान के बीच युद्ध में ईरानी मिसाइलों का वीडियो एक प्लेन से कैप्चर हुआ. 105.97 सेकंड के वीडियो में 100 से ज्यादा मिसाइलें दिखीं, जिन्हें इजरायल की रक्षा प्रणालियों ने 99% तक नष्ट किया. आप भी स्टोरी में मौजूद Video में देखिए 35000 फीट पर कैसी दिखती लॉन्च हुई मिसाइलें?
इजरायल और ईरान दोनों के पास अत्याधुनिक हथियार हैं. इजरायल की ताकत उसकी स्टेल्थ विमान, सटीक मिसाइलें और रक्षा प्रणालियों में है, जबकि ईरान की ताकत उसकी हाइपरसोनिक मिसाइलों, सस्ते ड्रोन और मिसाइलों की भारी संख्या में है. इजरायल की रक्षा प्रणालियां अभी तक ईरान के हमलों को रोकने में सफल रही हैं, लेकिन हाइपरसोनिक मिसाइलें भविष्य में चुनौती पेश कर सकती हैं.
रूस की ओरेश्निक मिसाइल, जो मैक 11 की गति और 5500 किमी रेंज के साथ यूक्रेन पर हमला करती है. ब्रह्मोस से मिलती-जुलती है. यह 6 वारहेड्स ले जा सकती है. यूक्रेन और NATO के लिए खतरा है. यह ब्रह्मोस से प्रेरित हो सकती है, लेकिन दोनों की तकनीक और उद्देश्य अलग हैं.
गोल्डन डोम अमेरिका के लिए एक जरूरी कदम है. चीन, रूस, उत्तर कोरिया और ईरान की नई मिसाइलें अमेरिका के लिए बड़ा खतरा हैं. यह सिस्टम नई तकनीक और अंतरिक्ष की मदद से इन खतरों को रोकेगा. यह अमेरिका को सुरक्षित रखने के साथ-साथ दुनिया में उसकी ताकत को भी दिखाएगा. गोल्डन डोम भविष्य की सुरक्षा के लिए एक बड़ा कदम है.
यह परीक्षण अमेरिका की सैन्य ताकत का एक बड़ा प्रदर्शन है. मिनटमैन III ने 6760 किलोमीटर की दूरी तय करके अपनी सटीकता और ताकत दिखाई. यह परीक्षण अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को भरोसा दिलाता है कि उनकी परमाणु सुरक्षा मजबूत है. आने वाले समय में सेंटिनल मिसाइल इस ताकत को और बढ़ाएगी.
जालंधर के सरकारी दफ्तर में मिले मिसाइल के टुकड़े, सेना ने डिफ्यूज कर किया निष्क्रिय. भारत-पाक तनाव के बीच सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट.
शुक्रवार रात को पाकिस्तान द्वारा किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों का भारत की तरफ से जवाब दिया गया. पाकिस्तान के द्वारा जम्मू-कश्मीर, पंजाब, गुजरात और राजस्थान के कई इलाकों को निशाना बनाने की कोशिश की गई है.
Pakistan ने India पर हमले की कोशिश की लेकिन इसे भारत के S-400 ने पूरी तरह नाकाम कर दिया. जानिए S-400 की ताकत
सरकार ने अगली पीढ़ी की बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली या वीएसएचओआरएडीएस (एनजी) खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो ‘दिन और रात दोनों समय’ और बर्फीले स्थानों सहित सभी मौसम की स्थिति में हवाई लक्ष्यों को भेदने में सक्षम होनी चाहिए.
पाकिस्तान की सैन्य क्षमता और गीदड़भभकी के बावजूद भारत की तकनीकी और रणनीतिक श्रेष्ठता उसे हर मोर्चे पर अजेय बनाती है. इन हथियारों की ताकत और भारत की दृढ़ नीति यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी दुश्मन भारत की संप्रभुता को चुनौती देने से पहले सौ बार सोचे.
भारत के पास कई उन्नत मिसाइलें हैं जो कुछ ही सेकंड या मिनट में पाकिस्तान के शहरों जैसे लाहौर, इस्लामाबाद और कराची को निशाना बना सकती हैं. ये मिसाइलें हाइपरसोनिक गति, MIRV तकनीक और सटीकता के कारण पाकिस्तान की रक्षा प्रणालियों के लिए खतरा हैं.
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच चुका है. ऐसे में यह जान लेना जरूरी है कि आखिर किस देश के पास कितनी सैन्य ताकत है. अगर आमने-सामने का मुकाबला होता है तो कौन किस पर भारी पड़ेगा?
गुजरात के जामनगर में भारतीय वायुसेना का जगुआर फाइटर जेट क्रैश हुआ. हादसे में एक पायलट शहीद हो गया. इस फाइटर जेट का इस्तेमाल भारत ने कई जंगों में किया है. खासतौर से कारगिल में. आइए जानते हैं इसकी ताकत...