हाइपरसोनिक मिसाइल
हाइपरसोनिक मिसाइल (Hypersonic Missile) लगभग 90 किमी की ऊंचाई से नीचे के वातावरण के माध्यम से Mach 5 से अधिक गति से उड़ता है. 2020 तक हाइपरसोनिक की गति, Mach 25+ तक हासिल कर ली गई है. दो चरण वाला बंपर रॉकेट से हाइपरसोनिक उड़ान बनाया गया, जिसमें WAC Corporal के पहले चरण के शीर्ष पर वी -2 और द्वितीय चरण सेट शामिल था. फरवरी 1949 में, व्हाइट सैंड्स में, हाइपरसोनिक रॉकेट की गति 8,288.12 किमी/घंटा यानी लगभग Mach 6.7 तक पहुंच गया था (Speed of Hypersonic Missile).
आजतक के वर्ल्ड एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि भारत-रूस परमाणु सहयोग में बड़ी घोषणा जल्द आने वाली है. पुतिन ने कहा कि मोदी किसी के दबाव में नहीं झुकते. S-400, Su-57 जैसे सौदों पर बोले- हम सिर्फ हथियार नहीं, तकनीक और विश्वास साझा करते हैं. ब्रह्मोस, टी-90, कलाश्निकोव भारत में ही बन रहे हैं.
भारत को S-500 इसलिए चाहिए क्योंकि चीन-पाकिस्तान की हाइपरसोनिक मिसाइलों का मुकाबला करना है. S-400 इन तेज मिसाइलों को नहीं रोक सकता. S-500 एक साथ 12 बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक मिसाइलें 600 किमी दूर मार गिरा सकता है. पुतिन की दिसंबर 2025 यात्रा में डील फाइनल हो सकती है. 100% तकनीक ट्रांसफर के साथ भारत में बनेगा.
भारत को Su-57 इसलिए चाहिए क्योंकि चीन के J-20 व पाकिस्तान के आने वाले स्टील्थ जेट्स का मुकाबला करना है. IAF में सिर्फ 31 स्क्वाड्रन बची हैं, AMCA 2035 तक आएगा. रूस 100% तकनीक ट्रांसफर और भारत में उत्पादन का ऑफर दे रहा है. पुतिन की यात्रा में डील फाइनल हो सकती है. यह तुरंत ताकत और आत्मनिर्भरता दोनों देगा.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का स्पेशल विमान IL-96-3000 प्यू अब से कुछ ही घंटों में भारत की सरज़मीं पर लैंड करेगा. यह विमान 'हवा में उड़ता किला' है, जिसके सामने मिसाइलें भी फेल हो जाती हैं. पुतिन की अभेद्य सुरक्षा के लिए भारत में 5-लेयर सुरक्षा कवच तैयार है.
Battle Ready Bharat: भारतीय सेना ने ब्रह्मोस की नई 800+ किमी रेंज वाली मिसाइल का सफल कॉम्बैट लॉन्च किया. अब पाकिस्तान का आखिरी कोना भी निशाने पर है. हल्की, तेज और घातक यह मिसाइल जमीन, समुद्र व हवा से मार कर सकती है. ऑपरेशन सिंदूर में दुश्मन के 11 एयरबेस तबाह करने वाली ब्रह्मोस अब भारत की सबसे बड़ी ताकत बन गई है.
रूस वेनेजुएला को नई ओरेश्निक मिसाइलें दे सकता है. स्टेट ड्यूमा के एलेक्सी जुरावल्योव ने कहा कि इसमें कोई बाधा नहीं है. इससे अमेरिका को 'सरप्राइज' मिलेगा. रूस हथियारों की पूरी रेंज दे रहा, हाल ही IL-76 प्लेन से पंतसीर-एस1 और बक-एम2ई पहुंचे. ओरेश्निक यूरोप को एक घंटे में निशाना बना सकती. छह न्यूक्लियर वॉरहेड्स ले जा सकती है.
ट्रंप के परमाणु बयान के बाद USAF ने मिनटमैन-3 ICBM टेस्ट की तैयारी कर ली है. 5-6 नवंबर को कैलिफोर्निया के वांडेनबर्ग बेस से बिना हथियार वाली मिसाइल लॉन्च करेगा. मार्शल द्वीपों पर निशाना लगेगा. अमेरिका का कहना है कि रूटीन चेक है. मिसाइल की ताकत जांच की जा रही है. CTBT के तहत कोई विस्फोट नहीं होगा.
पाकिस्तान के परमाणु हथियार भारत के अधिकांश हिस्सों तक पहुंच सकते हैं, लेकिन भारत की मल्टी-लेयर्ड डिफेंस सिस्टम उन्हें आसमान में ही नष्ट करने की क्षमता रखते हैं. पाकिस्तान फाइटर जेट के जरिए भारत में घुसकर बम गिराने की हिम्मत नहीं कर सकता. मिसाइलें ही आखिरी रास्ता बचेगा, उसे रोकने के लिए भारत में बीएमडी सिस्टम (फेज I/II), एस-400, आकाश और रडार नेटवर्क है.
भारत और रूस मिलकर ब्रह्मोस-टू हाइपरसोनिक मिसाइल को अंतिम मंजूरी देने के करीब हैं. ये ऐसी हाइपरसोनिक मिसाइल होगी, जो साउंड से 5 गुना तेज उड़ सकती है. इसमें रूसी प्रोपल्शन इंजन और भारतीय सेंसर व एंटी ई डब्लू एवियोनिक्स का कॉम्बिनेशन है.
पाकिस्तान AIM-120, PL-15 मिसाइलें मंगवा रहा, लेकिन DRDO की VSHORAD (6 किमी), Astra (200 किमी), Rudram (250 किमी), NRSAM (25 किमी), BrahMos-ER (800 किमी) रेंज, स्पीड (5000 km/hr) और सटीकता में आगे. ऑपरेशन सिंदूर में पाक मिसाइलें फेल हुई. भारत की आर्सेनल पाक से दोगुनी मजबूत, स्वदेशी टेक से अजेय है.
डीआरडीओ की 'ध्वनि' हाइपरसोनिक मिसाइल का 2025 अंत तक पहला परीक्षण हो सकता है. इसकी गति 7400 किमी/घंटा होगी. 1500 किमी रेंज. ब्रह्मोस से तेज, दुश्मन का रक्षा कवच भेदेगी. यह मिसाइल 80% स्वदेशी है. 2029-30 तक तैनाती संभव. चीन-रूस की मिसाइलों का जवाब. भारत हाइपरसोनिक पावर बनेगा.
चीन ने DF-26D मिसाइल का परीक्षण कर लिया, जो हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल ले जाती है. 3 सितंबर 2025 की परेड में अनावरण हुआ था. रेंज 5,000 किमी. 'गुआम किलर' परिवार का अपग्रेड वर्जन. न्यूक्लियर-कन्वेंशनल क्षमता. एंटी-शिप हमलों के लिए बेहतरीन. पैसिफिक में अमेरिकी कैरियर ग्रुप को खतरा. जल्द तैनाती, इंडो-पैसिफिक में तनाव बढ़ेगा.
भारत का रूस के Su-57 फाइटर पर नजर है. 2 स्क्वॉड्रन रूस से, 5 नासिक HAL में लाइसेंस प्रोडक्शन के तहत बनाया जाएगा. कुल 140 विमान. हाइपरसोनिक स्पीड, स्टील्थ, लंबी रेंज मिसाइलें भी इससे दाग सकते हैं. भारतीय स्वदेशी 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट AMCA के साथ तालमेल बना रहेगा.
रूस की किंझल मिसाइल हाइपरसोनिक स्पीड से उड़ती है. इसकी ट्रैकिंग मुश्किल है. मिग-31 से लॉन्च, 480 किमी रेंज, एयर-टू-ग्राउंड हमलों के लिए. यूक्रेन युद्ध में मार्च 2022 से इस्तेमाल, हथियार डिपो-एयरबेस तबाह कर रही. यह मिसाइल दुश्मन का मनोबल तोड़ती है. पैट्रियट ने कुछ रोकीं, लेकिन ज्यादातर सफल रहीं. युद्ध को और खतरनाक बना रही हैं.
चीन की सैन्य परेड में दिखे DF-41, JL-3 और हाइपरसोनिक मिसाइल जैसे हथियार अमेरिका तक पहुंच सकते हैं. ये मिसाइलें परमाणु हमला कर सकती हैं. ट्रंप परेड से नाराज हैं, क्योंकि इसे चीन, रूस और उत्तर कोरिया की साजिश मानते हैं. परेड में शी जिनपिंग ने अमेरिका की ऐतिहासिक भूमिका को नजरअंदाज किया, जिससे ट्रंप का गुस्सा भड़का.
3 सितंबर 2025 को चीन की विक्ट्री डे परेड में चार नई YJ हाइपरसोनिक मिसाइलें, DF-5C न्यूक्लियर मिसाइल, J-20S स्टील्थ जेट और न्यूक्लियर ट्रायड दिखाए गए. बीजिंग में 10000 सैनिक, 100+ विमान शामिल. ये हथियार अमेरिकी नौसेना को चुनौती देंगे. शी जिनपिंग ने शांति की बात की, लेकिन ताइवान-साउथ चाइना सी में तनाव बढ़ा.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं को पांच साल के युद्ध के लिए तैयार रहने का लक्ष्य दिया. सेना को हथियार भंडारण, सीमा ढांचा और AI प्रशिक्षण बढ़ाना होगा. नौसेना को युद्धपोत और मिसाइलें, वायुसेना को फाइटर जेट और ड्रोन मजबूत करने होंगे. थिएटर कमांड और स्वदेशी तकनीक से भारत आत्मनिर्भर बनेगा, ताकि लंबे युद्धों में भी मजबूत रहे.
अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल का 90 डिग्री शार्प टर्न भारत की मिसाइल तकनीक में एक क्रांतिकारी कदम है. यह न केवल चीन और पाकिस्तान के लिए मजबूत संदेश है. इसमें 4-5 वॉरहेड्स ले जाने वाला MIRV बस, स्वदेशी सेंसर और तीव्र गतिशीलता ने DRDO की तकनीकी क्षमता को दुनिया के सामने ला दिया. यह उपलब्धि भारत को वैश्विक स्तर पर एक शक्तिशाली न्यूक्लियर और मिसाइल शक्ति के रूप में स्थापित करती है.
DRDO जल्द ही हाइपरसोनिक मिसाइल प्रलय का हवाई संस्करण बनाएगी. यानी फाइटर जेट से लॉन्च होने वाली मिसाइल. ये दुश्मन की तरफ 7473 km/hr की स्पीड से जाएगी. इसे विकसित करने में चुनौती है लेकिन एक बार ये मिसाइल के एयर लॉन्च वर्जन आ गया तो अमेरिका-रूस के बाद भारत ये उपलब्धि हासिल करने वाला तीसरा देश होगा.
चीन का नया लॉन्च ऑन वॉर्निंग रडार टेस्ट सैन्य तकनीक में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जो अमेरिकी मिसाइलों और ड्रोन्स को नष्ट करने का दावा करता है. यह टेस्ट प्रभावशाली है, लेकिन इसकी हकीकत युद्ध के मैदान में ही साबित होगी.
इस साल पुतिन के भारत दौरे में ब्रह्मोस-2K हाइपरसोनिक मिसाइल का समझौता हो सकता है, जो 9450 km/hr की रफ्तार से 1,500 किमी तक मारेगी. रूस Su-57 जेट्स, Oreshnik मिसाइल और S-500 सिस्टम भी दे सकता है. ये भारत की सुरक्षा बढ़ाएंगे पर लागत और ट्रेनिंग चुनौती हैं.