हाइपरसोनिक मिसाइल
हाइपरसोनिक मिसाइल (Hypersonic Missile) लगभग 90 किमी की ऊंचाई से नीचे के वातावरण के माध्यम से Mach 5 से अधिक गति से उड़ता है. 2020 तक हाइपरसोनिक की गति, Mach 25+ तक हासिल कर ली गई है. दो चरण वाला बंपर रॉकेट से हाइपरसोनिक उड़ान बनाया गया, जिसमें WAC Corporal के पहले चरण के शीर्ष पर वी -2 और द्वितीय चरण सेट शामिल था. फरवरी 1949 में, व्हाइट सैंड्स में, हाइपरसोनिक रॉकेट की गति 8,288.12 किमी/घंटा यानी लगभग Mach 6.7 तक पहुंच गया था (Speed of Hypersonic Missile).
ब्रह्मोस से भी घातक, 9200 किमी/घंटा स्पीड, 8000 किमी रेंज... India करने जा रहा K-6 Missile का ट्रायल
जापान का पहला मिसाइल परीक्षण और HVGP हाइपरसोनिक मिसाइल का प्रदर्शन उसकी रक्षा रणनीति में एक बड़ा बदलाव है. उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण और चीन की समुद्री आक्रामकता ने जापान को अपनी शांतिवादी नीति से हटकर सैन्य ताकत बढ़ाने के लिए मजबूर किया. 500-900 किमी रेंज वाली HVGP और टाइप 12 मिसाइल क्यूशू और होक्काइडो में तैनात होंगी.
चीन चुपके से कैसे ईरान की मदद कर चुका है. इसकी पोल खुल चुकी है. जनवरी 2025 में चीन ने ईरान को 1000 टन सोडियम परक्लोरेट भेजा, जिससे 260 खैबर शेकन या 200 हाज कासेम मिसाइलें बन सकती हैं. यह शिपमेंट MV गोल्बन और जयरान जहाजों से बंदर अब्बास पहुंचा. इससे ईरान की मिसाइल ताकत बढ़ेगी, जिससे तनाव बढ़ सकता है.
ईरान ने इजरायल पर 20वीं मिसाइल लहर में खैबर शेकन मिसाइलों से हमला किया, बेन गुरियन हवाई अड्डे और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया. यह हमला अमेरिका के ईरान के परमाणु ठिकानों पर हवाई हमलों के वाब में हुआ. मिसाइल की 1450 किमी रेंज और सटीकता ने इजरायल के रक्षा तंत्र को चुनौती दी, जिससे क्षेत्रीय युद्ध का खतरा बढ़ गया.
ईरान ने 19 जून 2025 को इज़रायल पर सेजिल मिसाइल दागी, जो दो-चरण वाली ठोस ईंधन बैलिस्टिक मिसाइल है. इसकी रेंज 2,000 किमी और वारहेड 500-700 किग्रा है. यह इसका पहला युद्धक इस्तेमाल था. इज़रायल ने इसे नष्ट करने का दावा किया. ईरान का यह हमला एक रणनीतिक संदेश था, जिससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ सकता है.
इज़रायल का हथियार उत्पादन उन्नत है, जिसमें आयरन डोम, एरो मिसाइलें और ड्रोन शामिल हैं, लेकिन इंटरसेप्टर की कमी युद्ध में चुनौती बन सकती है. ईरान के पास बड़ी संख्या में मिसाइलें और सस्ते ड्रोन हैं, पर सटीकता कम है. इज़रायल की हवाई श्रेष्ठता उसे बढ़त देती है, लेकिन लंबा युद्ध दोनों देशों के लिए आर्थिक और रणनीतिक जोखिम बढ़ा सकता है.
फतह-1 हाइपरसोनिक मिसाइल ईरान की सैन्य ताकत का प्रतीक है. इसकी सुपरस्पीड, सटीक निशाना और स्वदेशी तकनीक इसे मध्य पूर्व में एक बड़ा खतरा बनाती है. इज़रायल जैसे देशों के लिए यह मिसाइल एक नई चुनौती है, क्योंकि यह उनके उन्नत रक्षा तंत्रों को चकमा दे सकती है.
ईरान की नई रणनीति- पहले सामान्य मिसाइलों से आयरन डोम को भ्रमित करना. फिर हाइपरसोनिक मिसाइलों से घातक हमला- इजराइल के लिए बड़ी चुनौती बन गई है. इस रणनीति ने आयरन डोम की सीमाओं को उजागर किया है, लेकिन ईरान की अपनी कमजोरियां भी इसे लंबे समय तक सफल होने से रोक सकती हैं.
इजरायल और ईरान दोनों के पास अत्याधुनिक हथियार हैं. इजरायल की ताकत उसकी स्टेल्थ विमान, सटीक मिसाइलें और रक्षा प्रणालियों में है, जबकि ईरान की ताकत उसकी हाइपरसोनिक मिसाइलों, सस्ते ड्रोन और मिसाइलों की भारी संख्या में है. इजरायल की रक्षा प्रणालियां अभी तक ईरान के हमलों को रोकने में सफल रही हैं, लेकिन हाइपरसोनिक मिसाइलें भविष्य में चुनौती पेश कर सकती हैं.
रूस की ओरेश्निक मिसाइल, जो मैक 11 की गति और 5500 किमी रेंज के साथ यूक्रेन पर हमला करती है. ब्रह्मोस से मिलती-जुलती है. यह 6 वारहेड्स ले जा सकती है. यूक्रेन और NATO के लिए खतरा है. यह ब्रह्मोस से प्रेरित हो सकती है, लेकिन दोनों की तकनीक और उद्देश्य अलग हैं.
गोल्डन डोम अमेरिका के लिए एक जरूरी कदम है. चीन, रूस, उत्तर कोरिया और ईरान की नई मिसाइलें अमेरिका के लिए बड़ा खतरा हैं. यह सिस्टम नई तकनीक और अंतरिक्ष की मदद से इन खतरों को रोकेगा. यह अमेरिका को सुरक्षित रखने के साथ-साथ दुनिया में उसकी ताकत को भी दिखाएगा. गोल्डन डोम भविष्य की सुरक्षा के लिए एक बड़ा कदम है.
DRDO बहुत जल्द अपनी नई मिसाइल का परीक्षण करने वाला है. संभवतः अगले महीने. इस मिसाइल को "चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ाने वाला" हथियार बताया जा रहा है. यह मिसाइल चार वर्षों के भीतर तैनात हो सकती है. चीन-PAK... दोनों देशों के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है.
भारत के पास कई उन्नत मिसाइलें हैं जो कुछ ही सेकंड या मिनट में पाकिस्तान के शहरों जैसे लाहौर, इस्लामाबाद और कराची को निशाना बना सकती हैं. ये मिसाइलें हाइपरसोनिक गति, MIRV तकनीक और सटीकता के कारण पाकिस्तान की रक्षा प्रणालियों के लिए खतरा हैं.
DRDO ने हाल ही स्क्रैमजेट इंजन का परीक्षण किया था. ये इंजन भारत की नई सीक्रेट हाइपरसोनिक मिसाइल में लगा है. अगर ये मिसाइल जम्मू से दागी तो 64 सेकेंड में इस्लामाबाद तबाह हो सकता है. क्योंकि भारत की इस मिसाइल की स्पीड 11 हजार km/hr से थोड़ी ज्यादा है.
DRDO की हैदराबाद स्थित रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला (DRDL) ने स्क्रैमजेट इंजन का 1000 सेकेंड से अधिक समय तक सफल ग्राउंड टेस्ट किया. लिहाजा DRDL ने हाइपरसोनिक हथियार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है.
भारत ने विज्ञान और उन्नति की दिशा में एक और बड़ी छलांग लगाई है, जबकि पाकिस्तान आतंक पर निवेश करता है. भारत ने हाइपरसोनिक मिसाइल के स्क्रैमजेट इंजन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. दक्षिण भारत में हुए इस परीक्षण में इंजन को 1000 सेकंड से ज़्यादा देर तक परखा गया, जो एक बड़ी कामयाबी है.
Pahalgam Terror Attack: पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत अपनी मिसाइलों से करारा हमला कर सकता है. ऐसे में सवाल उठता है कि भारत के पास ताकतवर और खतरनाक मिसाइल हैं. या फिर पाकिस्तान के पास. आइए जानते हैं भारत और पाकिस्तान की पांच-पांच सबसे घातक मिसाइलों के बारे में...
गुजरात के जामनगर में भारतीय वायुसेना का जगुआर फाइटर जेट क्रैश हुआ. हादसे में एक पायलट शहीद हो गया. इस फाइटर जेट का इस्तेमाल भारत ने कई जंगों में किया है. खासतौर से कारगिल में. आइए जानते हैं इसकी ताकत...
Republic Day 2025: गणतंत्र दिवस परेड में भारतीय सेना ने अपनी शक्ति का जोरदार प्रदर्शन किया. कर्तव्य पथ पर टी-90 भीष्म टैंक, नाग मिसाइल, सारथ बीएमपी, ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल, पिनाका रॉकेट लॉन्चर और आकाश मिसाइल सिस्टम सहित कई आधुनिक हथियार दिखाए गए. VIDEO
भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन को बड़ी कामयाबी मिली है. DRDO ने सफलतापूर्वक स्क्रैमजेट इंजन का जमीनी परीक्षण किया है. इस परियोजना के तहत कई तरह के उपकरण तैयार किए जा रहे हैं, जिसमें स्क्रैमजेट इंजन का इस्तेमाल किया जा रहा है.
अमेरिकी एक्सपर्ट ने मान लिया है कि रूस की ओरेश्निक मिसाइल को फिलहाल ट्रैक करना और रोकना असंभव है. अब एक रूसी एक्सपर्ट ने भी यही बात दोहराई है. उसने कहा कि जासूसी सैटेलाइट भी इस मिसाइल को ट्रैक नहीं कर पाएंगी. कर भी लेंगी तो जब तक सूचना देंगी तब तक ये मिसाइल टारगेट तबाह कर चुकी होगी.