अमेरिकी रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) की एक अप्रकाशित ड्राफ्ट रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है कि चीन ने मंगोलिया की सीमा के पास तीन नए मिसाइल साइलो फील्ड्स में 100 से ज्यादा DF-31 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBM) लोड कर दी हैं. ये सॉलिड-फ्यूल मिसाइलें हैं, जो तेजी से लॉन्च की जा सकती हैं.
ये मिसाइलें एयर डिफेंस सिस्टम के हमले से बचने की ज्यादा क्षमता रखती हैं. यह चीन की न्यूक्लियर ताकत बढ़ाने की कवायद है. पेंटागन ने पहले इन साइलो फील्ड्स के निर्माण की जानकारी दी थी, लेकिन अब पहली बार मिसाइलों की संख्या का अनुमान लगाया गया है.
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चीन का न्यूक्लियर आर्सेनल 2024 में लगभग 600 वॉरहेड्स तक पहुंच गया था. 2030 तक यह 1000 से ज्यादा हो सकता है. बीजिंग का कहना है कि उसकी न्यूक्लियर पॉलिसी 'नो फर्स्ट यूज' (पहले हमला नहीं करेंगे) पर आधारित है. वह सिर्फ न्यूनतम रक्षा स्तर बनाए रखता है.
DF-31 (डोंग फेंग-31, NATO नाम CSS-10) चीन की तीसरी पीढ़ी की रोड-मोबाइल इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है. यह सॉलिड-फ्यूल वाली तीन स्टेज की मिसाइल है, जो 2006 से सेवा में है.

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यह मिसाइल अमेरिका, यूरोप और एशिया के बड़े हिस्सों को टारगेट कर सकती है. साइलो में तैनाती से यह पहले हमले से ज्यादा सुरक्षित हो जाती है. चीन का यह विस्तार वैश्विक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है. अमेरिका और उसके सहयोगी इस पर नजर रख रहे हैं. चीन ने अभी इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है.