भारत और फ्रांस आज 26 राफेल-एम फाइटर जेट की डील करने जा रहे हैं. यह समझौता भारतीय नौसेना के लिए होगा, जिसकी कीमत करीब 63,000 करोड़ रुपये है. इसमें 22 सिंगल-सीट और 4 ट्विन-सीट विमान शामिल होंगे. (फोटोः डैसो एविएशन)
राफेल-एम की विशेषताएं
- लंबाई: 50.1 फीट
- वजन: 15 हजार kg
- फ्यूल क्षमता: 11,202 लीटर
- गति: 2205 km/hr
- रेंज: 1850 km (कॉम्बैट रेंज), 3700 km (फेरी रेंज) (फोटोः डैसो एविएशन)
Rafale-M एक मल्टीरोल फाइटर जेट है. दक्षिण एशिया की बात करें तो भारत और चीन के अलावा किसी अन्य देश के पास एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं है. इसके आने से चीन और पाकिस्तान समेत इंडो-पैसिफिक में जो स्थितियां हैं, उनसे निपटना आसान हो जाएगा. साथ ही इस डील में ऑफसेट प्रोविजन है. (फोटोः डैसो एविएशन)
डील में मेंटेनेंस और लॉजिस्टिक सपोर्ट भी शामिल है. नौसैनिकों की ट्रेनिंग, ऑपरेशन और मेंटेनेंस की ट्रेनिंग भी शामिल है. ये जेट आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात किए जाएंगे. 1971 की जंग में भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान की धज्जियां उड़ा दी थी. इस जेट के आने से इंडियन नेवी और ताकतवर हो जाएगी. (फोटोः डैसो एविएशन)
राफेल-एम 50.1 फीट लंबा है. इसे 1 या 2 पायलट उड़ाते हैं. राफेल का वजन सिर्फ 15 हजार kg है. यानी हल्का है. राफेल-एम की फ्यूल कैपेसिटी करीब 11,202 kg है. यानी ज्यादा देर तक फ्लाई कर सकता है. गति 2205 km/hrहै. राफेल-एम की रेंज 3700 km है. 52 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. (फोटोः डैसो एविएशन)
राफेल-एम में 30 mm की ऑटोकैनन गन लगी है. इसके अलावा 14 हार्डप्वाइंट्स हैं. इसमें तीन तरह के हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, हवा से सतह पर मार करने वाली सात तरह की मिसाइलें, एक परमाणु मिसाइल या फिर इनका मिश्रण लगा सकते हैं. (फोटोः गेटी)
इसका AESA राडार टारगेट डिटेक्शन और ट्रैकिंग के लिए बेहतरीन है. इसमें स्पेक्ट्रा इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम है जो इसे स्टेल्थ बनाता है. इसमें बीच हवा में ही रीफ्यूलिंग हो सकती है. यानी इसकी रेंज बढ़ जाएगी. राफेल-एम फाइटर आने से भारतीय समुद्री क्षेत्र में निगरानी, जासूसी, अटैक जैसे कई मिशन किए जा सकेंगे. (फोटोः AFP)
यह फाइटर जेट एंटी-शिप वॉरफेयर के लिए बेस्ट है. इसमें प्रेसिशन गाइडेड बम और मिसाइलें लगा सकते हैं. जैसे- मेटियोर, स्कैल्प, या एक्सोसैट. इस फाइटर जेट के आने से हवा, पानी और जमीन तीनों जगहों से सुरक्षा मिलेगी. नौसेना एक देश के चारों तरफ अदृश्य कवच बना सकेगी. (फोटोः AFP)
दक्षिण एशिया की बात करें तो भारत और चीन के अलावा किसी अन्य देश के पास एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं है. चीन के एयरक्राफ्ट कैरियर पर तीन तरह के मल्टीरोल फाइटर जेट तैनात हैं. पहला जे-10, दूसरा जे-15 और तीसरा सुखोई-30. तीनों से राफेल की तुलना समझिए. जे-10 जेट 55.5 फीट लंबा, जे-15 जेट 73.1 फीट और सुखोई-30 जेट 72 फीट लंबा है. जबकि राफेल-एम 50.1 फीट लंबा है. यानी आकार में सबसे छोटा. (फोटोः AFP)
चीन का जे-10 फाइटर जेट को एक पायलट, जे-15 को 1 या 2 और सुखोई-30 को 2 पायलट मिलकर उड़ाते हैं. जबकि, राफेल को 1 या 2 पायलट उड़ाते हैं. जे-10 का कुल वजन 14 हजार KG, जे-15 का 27 हजार KG और सुखोई-30 का 24,900 किलोग्राम है. जबकि, राफेल का सिर्फ 15 हजार किलोग्राम है. यानी हल्का है. (फोटोः AFP)
चीन के जे-10 में 8950 लीटर की इंटर्नल फ्यूल कैपेसिटी है. जे-15 की 9500 लीटर और सुखोई-30 फाइटर जेट की 9400 लीटर फ्यूल कैपेसिटी है. राफेल-एम की फ्यूल कैपेसिटी करीब 11,202 किलोग्राम है. यानी सभी फाइटर जेट से ज्यादा देर फ्लाई कर सकता है. ज्यादा देर तक डॉग फाइट में भाग ले सकता है. (फोटोः AFP)
जे-10 की अधिकतम गति 2205 किलोमीटर प्रतिघंटा है. जे-15 की मैक्सिमम स्पीड 2963 किलोमीटर प्रतिघंटा है. सुखोई-30 की अधिकत रफ्तार 2120 किलोमीटर प्रतिघंटा है. जबकि, राफेल-एम की अधिकतम गति 2205 किलोमीटर प्रतिघंटा है. यानी जे-15 से कमजोर लेकिन सुखोई से ऊपर और जे-10 के बराबर. (फोटोः AFP)
जे-10 की कॉम्बैट रेंज 1240 किलोमीटर, जे-15 की फेरी रेंज 3500 किलोमीटर और सुखोई-30 की फेरी रेंज 3000 किलोमीटर है. जबकि, राफेल-एम की कॉम्बैट रेंज 1850 किलोमीटर है. इसकी फेरी रेंज 3700 किलोमीटर है. यानी सबसे बेहतर.