पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की नापाक हरकत एक बार फिर से दुनिया के सामने नुमाया हो चुकी है. भारत इस कायराना हमले का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी तैयारी कर रहा है. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय सेना के प्रमुखों के साथ कई राउंड हाई-लेवल मीटिंग भी की है. इस मीटिंग में क्या तय हुआ है ये तो अभी सामने नहीं आया है लेकिन इन बैठकों की धमक पाकिस्तान तक गूंज रही है.
दोनों देशों की सीमा पर तनाव बना हुआ है. रह-रह कर पाकिस्तान लगातार सीज फायर भी कर रहा है, जिसका करारा जवाब इंडियन आर्मी दे रही है. इस बीच भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति भी बनती नज़र आ रही है. यदि ऐसा होता है तो जमीनी लड़ाई में भारतीय सेना के टैंक पाकिस्तानी आर्मी पर कहर बनकर टूटेंगे. अर्जुन से लेकर भीष्म तक, भारतीय सेना के ये टैंक युद्ध के मैदान में न केवल भारी विध्वंस करेंगे बल्कि इनकी रफ्तार के आगे पाकिस्तान के भी छक्के छूट जाएंगे.
कितना जरूरी है स्पीड:
जमीनी लड़ाई में किसी भी टैंक के लिए स्पीड बहुत ही ज्यादा मायने रखती है. जिससे टैंक युद्ध के मैदान में जल्दी से अपनी स्थिति बदल सकते हैं, मुठभेड़ों के दौरान वो टार्गेट होने से खुद को बचा सकते हैं. किसी बम धमाके या दुश्मन के टैंकों से निकले गोलों से खुद का बचाव करने के लिए टैंकों पर मजबूत मेटल शीट तो होती है लेकिन इनका क्विक रिस्पांसिव और तेज रफ्तार होना बेहद ही जरूर है.
आमतौर पर टैंक यानी तोप उसे कहते हैं, जो गोला दागता है और तोपों (Tanks) की कई कैटेगरी होती है. इसलिए इस श्रेणी में आने वाले सभी तोप इस सूची में शामिल हैं. अर्जुन, भीष्म, अजेय, विजयंत सहित इंडियन आर्मी के दस्ते में एक से बढ़कर एक घातक टैंक शामिल हैं. जो जमीनी लड़ाई में दुश्मन के लिए किसी काल से कम नहीं है. सीमा पर या जंग के मैदान में जब ये टैंक जब दौड़ते हैं तो कई किलोमीटर दूर बैठे दुश्मन का भी हलक सूख जाता है. तो एक नज़र डाले इंडियन आर्मी के टैंक और उनकी रफ्तार पर-
अर्जुन (Arjun Main Battle Tank)
जंग के मैदान में किसी घातक योद्धा की तरह उतरने वाला अर्जुन पिछले 21 साल से इंडियन आर्मी में अपनी सेवाएं दे रहा है. इसे पहली बार साल 2004 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था. यह देश की सेना का मुख्य युद्धक टैंक है. देश में इन 120 मिलीमीटर बैरल वाले टैंकों की संख्या 141 है. इसके दो वैरिएंट्स हैं- पहला एमके-1 और दूसरा है एमके-1ए. एमके-1 साइज में एमके-1ए से थोड़ा छोटा है.
दोनों ही टैंकों में एक साथ 4 जवान बैठ सकते हैं. मारक क्षमता की बात करें तो दोनों टैंक एक मिनट में 6 से 8 राउंड फायर कर सकते हैं. इतना ही नहीं प्रत्येक टैंक में 42 गोले स्टोर किए जा सकते हैं. अर्जुन टैंक की रेंज 450 किलोमीटर है. इस टैंक ने कई अंतरराष्ट्रीय वॉरगेम्स में भाग लिया है. इसका मुकाबला पाकिस्तान के हैदर टैंक से होगा.
स्पीड: 70 किमी/घंटा
ऑपरेशनल रेंज: 450 किमी
टी-90 भीष्म (T-90 Bhishma)
अर्जुन की ही तरह टी-90 भीष्म भी बेहद ही तेज और मजबूत टैंक है. मूलरूप से रूस में निर्मित इस टैंक को भारत ने अपने हिसाब से मॉडिफाई किया है और इसे भीष्म नाम दिया गया है. इस समय तकरीबन 2,000 से ज्यादा भीष्म टैंक भारतीय सेना के खेमे हैं. इस टैंक में 3 जवान बैठ सकते हैं और इसमें 125 मिलिमीटर स्मूथबोर गन है.
अगर ऑपरेशनल रेंज की बात करें तो अर्जुन से भी ज्यादा दूरी तक दुश्मन के परखच्चे उड़ा सकता है. इसकी मारक क्षमता 550 किलोमीटर है और इसमें 43 गोले स्टोर किए जा सकते हैं. इस टैंक के रूसी वर्जन का उपयोग कई देशों में किया जा रहा है. इस टैंक ने सीरिया, डोनाबास और हाल ही में यूक्रेन में हुए युद्ध में भी रूसी सेना की काफी मदद की है. भारतीय भीष्म का मुकाबला पाकिस्तानी टैंक खालिद से होगा.
स्पीड: 60 किमी/घंटा
ऑपरेशनल रेंज: 550 किमी
टी-72 अजेय (T-72 Ajeya)
ये भी रशियन टैंक 'T-72' का ही इंडियन वर्जन है जिसे भारत ने 'अजेय' नाम दिया है. पिछले कई सालों से ये टैंक भारतीय सेना में सेवाएं दे रहा है और अब तक इसके 2400 से ज्यादा यूनिट भारतीय सेना में शामिल किए जा चुके हैं. इसमें 780 हार्सपावर का इंजन लगाया गया है. इसकी ऑपरेशनल रेंज 460 किलोमीटर है और इसमें भी 125 मिलीमीटर स्मूथबोर गन लगी है. इसकी अधिकतम स्पीड 60 किलोमीटर प्रतिघंटा है. हालांकि इसके रेंज को जरूरत के अनुसार बढ़ाया भी जा सकता है. इसके नाम के ही अनुरूप युद्ध के मैदान में दुश्मनों के लिए 'अजेय' से पार पाना बेहद ही मुश्किल होगा. इसका इस्तेमाल दुनिया के कई देशों में किया जाता है.
स्पीड: 60 किमी/घंटा
ऑपरेशनल रेंज: 460 किमी
के 9-वज्र टी (K-9 Vajra-T)
के-9 वज्र एक सेल्फ-प्रोपेल्ड हॉवित्जर टैंक है जिसे दक्षिण कोरियाई एजेंसी फॉर डिफेंस डेवलपमेंट और निजी निगमों द्वारा डिजाइन और डेवलप किया गया है. हालांकि भारत ने इस टैंक को अपने परिस्थितियों के हिसाब से मॉडिफाई किया है और ये कार स्वदेशी कंपनी द्वारा ही किया गया है. ये 155 मिलीमीटर की सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी है. इसमें 1000 हार्सपावर का डीजल इंजन इस्तेमाल किया गया है, जो इसे भारी लोड के साथ 67 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ने में मदद करता है. इसकी ऑपरेशनल रेंज 360 किलोमीटर है. भारतीय सेना में इसकी तकरीबन 100 यूनिट तैनात है, इसके अलावा 200 तोप और आ सकते हैं.
स्पीड: 67 किमी/घंटा
ऑपरेशनल रेंज: 360 किमी
विजयंत (Vijayanta MBT)
विजयंत भारतीय सेना का पहला स्वदेशी टैंक और भारत में ऐसे 200 तोप हैं. इसे एलओसी के पास तैनात किया गया है. इस टैंक ने 1965 और 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिए थे. विकर्स Mk.1 के लाइसेंस डिजाइन पर बेस्ड इस तोप को चलाने के लिए 4 लोगों की जरूरत होती है. विजयंत को सबसे पहले यू. के. में बनाया गया था, उसके बाद इसका उत्पादन भारत में किया गया. इसे चार लोग चलाते हैं. इसकी ऑपरेशनल रेंज 530 किलोमीटर है. टैंक की अधिकतम स्पीड 50 किलोमीटर प्रतिघंटा है.
स्पीड: 50 किमी/घंटा
ऑपरेशनल रेंज: 530 किमी
बीएमपी-2 सारथ (BMP-2 Sarath)
सारथ बीएमपी-2, एक रूसी-डिज़ाइन किया गया एक इंफेंट्री फाइटिंग व्हीकल है. सड़क पर इसकी टॉप स्पीड 65 किमी/घंटा (40 मील प्रति घंटा) है. वहीं खराब और दुर्गम इलाकों में ये हैं 45 किमी/घंटा (28 मील प्रति घंटा) और पानी पर 7 किमी/घंटा (4.3 मील प्रति घंटा) की स्पीड से दौड़ सकता है. 300 हार्स पावर इंजन से लैस ये टैंक आपात स्थित में अपने इजी मूवमेंट के लिए जाना जाता है. 1987 से ऑर्डनेंस फैक्ट्री मेडक द्वारा निर्मित ये टैंक एक ATGM लांचर से लैस है जबकि इस पर 4 मिसाइलों को भी लोड किया जा सकता है. 30 मिमी की ऑटोमेटिक कैनन, 7.62 मिमी पीकेटी मशीन गन, तथा कोंकुर जैसी एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों (ATGM) से लैस सारथ किसी भी इलाके में आसानी से घुसकर दुश्मनों को छक्के छुड़ा सकता है. यह वाहन 3 क्रू मेंबर और 7 पैदल सैनिकों को ढो सकता है.
स्पीड: 65 किमी/घंटा
धनुष (Dhanush)
धनुष मूलरूप से बोफोर्स तोप का स्वदेशी वर्जन है. 155 मिमी/45 कैलिबर टोड हॉवित्जर धनुष को साल 2019 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था.
इसे एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया द्वारा गन कैरिज फैक्ट्री जबलपुर में निर्मित किया गया है, जो पहले ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) का हिस्सा था. इसे चलाने के लिए 6 से 8 क्रू की जरूरत होती है. इसके गोले की रेंज 38 किलोमीटर है. बर्स्ट मोड में यह 15 सेकेंड में तीन राउंड दागता है. इंटेंस मोड में 3 मिनट में 15 राउंड और संस्टेंड मोड में 60 मिनट में 60 राउंड.
इस तोप किसी हैवी व्हीकल से जोड़कर खींचा भी जा सकता है साथ ही इसे हैवी ट्रक पर लोड भी किया जा सकता है. किसी व्हीकल पर लोड किए जाने के बाद इसे माउंटेड गन कहा जाता है. डिफेंस एक्सपो 2018 के दौरान इसके एक यूनिट को भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) द्वारा लाइसेंस के तहत निर्मित 8x8 टाट्रा ट्रक पर लगाया गया था. किसी व्हीकल पर लोड कर के इसकी क्रॉस कंट्री स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटा है और सड़क पर यह 70-80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है.
स्पीड: 70-80 किमी/घंटा
ऑपरेशनल रेंज: 38 किमी
एम 777 (M777)
भारतीय सेना ने एम777 अल्ट्रा लाइटवेट हॉवित्जर, 155 मिमी/39-कैलिबर टोड आर्टिलरी गन को इंटिग्रेट किया है. इसे अमेरिका से भारत मंगाया गया है.
टाइटेनियम और एल्युमीनियम से बना इस हॉवित्जर का वजन लगभग 4,218 किलोग्राम है, जिससे इन्हें उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनाती के लिए चिनूक हेलीकॉप्टरों द्वारा आसानी से ले जाया जा सकता है. M777 सेना की फील्ड आर्टिलरी रेशनलाइजेशन प्लान (FARP) का एक प्रमुख हथियार है और इन्हें पूर्वी क्षेत्र में लाइन ऑफ कंट्रोल (LAC) पर तैनात किया गया है.
इस हॉवित्जर ने अफगानिस्तान युद्ध, इराक वॉर, सीरिया वॉर समेत कई युद्धों में अपना बेहतरीन प्रदर्शन दिखाया है. इसे चलाने के लिए 8 क्रू की जरूरत होती है. यह एक मिनट में 7 गोले दाग सकता है. इसके गोले की रेंज 24 से 40 किलोमीटर है. इसका गोला करीब एक किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से चलता है. इसे भी किसी हैवी व्हीकल से जोड़कर एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाया जा सकता है.