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ऑपरेशन सिंदूर में ध्वस्त हुआ जैश-लश्कर का मुख्यालय... जानिए उन 9 आतंकी ठिकानों की कहानी, जिन्हें भारत ने किया तबाह

Operation Sindoor: भारत ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला ले लिया. देर रात 'ऑपरेशन सिंदूर' चला कर भारत ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित 9 आतंकियों ठिकानों को तबाह कर दिया. इस हमले में 90 से ज्यादा आतंकी ढेर हुए हैं. 25 मिनट के भीतर 9 ठिकाने तबाह किए गए हैं.

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भारत ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित 9 आतंकियों ठिकानों को तबाह कर दिया.
भारत ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित 9 आतंकियों ठिकानों को तबाह कर दिया.

Operation Sindoor Airstrike on Pakistan Terror Camps: भारत ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला ले लिया. देर रात 'ऑपरेशन सिंदूर' चला कर भारत ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित 9 आतंकियों ठिकानों को तबाह कर दिया. इस हमले में 90 से ज्यादा आतंकी ढेर हुए हैं. 25 मिनट के भीतर 9 ठिकाने तबाह किए गए हैं. आतंकी मसूद अजहर के परिवार के करीब 10 लोग मारे गए. 'ऑपरेशन सिंदूर' की कामयाबी को प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये देश के लिए गर्व का पल है. हम सभी के लिए गर्व का पल है. गुरुवार को सर्वदलीय बैठक होने वाली है. 

पाकिस्तान के 9 ठिकानों पर हुए हमले खुफिया जानकारी पर आधारित थे. इन जगहों का इस्तेमाल भारत में आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए किया जा रहा था. लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकवादी संगठनों को पाकिस्तानी सेना और उसकी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) से गुप्त सहायता मिल रही है. इस सहायता में व्यवस्थित रूप से वित्तीय, रसद, सैद्धांतिक और सैन्य सहायता के साथ-साथ प्रत्यक्ष युद्ध प्रशिक्षण भी शामिल है. 

पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी नियमित रूप से इन समूहों द्वारा संचालित प्रशिक्षण शिविरों का दौरा करते हैं. दुनिया की नजर में आने से बचने के लिए इन आतंकी समूहों को द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ), पीपुल्स एंटी-फासीस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) और कश्मीर टाइगर्स (केटी) जैसे नए नाम दिए गए हैं. ऑपरेशन सिंदूर में कई प्रशिक्षण शिविरों और लॉन्च पैड को निशाना बनाया गया है. पाक सेना ने इन आतंकवादी समूहों को सैन्य-ग्रेड संचार उपकरण दिए हैं. इनका इस्तेमाल घुसपैठ के समय किया जाता है.

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'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान में इन 9 ठिकानों को निशाना बनाया गया है...

1. मरकज सुभान अल्लाह, बहावलपुर

साल 2015 से संचालित, यह जैश-ए-मोहम्मद का प्रशिक्षण और विचारधारा का मुख्य केंद्र है. यह जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय के रूप में कार्य करता है. 14 फरवरी, 2019 के पुलवामा हमले सहित कई आतंकी वारदातों में इसकी अहम भूमिका रही है. यहां जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर, मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर और मौलाना अम्मार अपने परिवार के साथ रहते हैं. मसूद अजहर ने यहां कई भारत विरोधी भाषण दिए हैं, जिसमें युवाओं से इस्लामिक जिहाद में शामिल होने का आह्वान किया गया है. 

2. मरकज तैयबा, मुरीदके

साल 2000 में नांगल सहदान, मुरीदके (शेखुपुरा, पंजाब) में स्थापित, मरकज तैयबा लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य प्रशिक्षण केंद्र है. यहां आतंकियों हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है. इसके साथ ही उनको कट्टर बनाने के लिए धार्मिक भाषण दिए जाते हैं. यहां सालाना करीब एक हजार छात्रों की भर्ती की जाती है. ओसामा बिन लादेन ने यहां एक मस्जिद और गेस्टहाउस के निर्माण में आर्थिक मदद की थी. यहां 26/11 के मुंबई हमलावरों को प्रशिक्षित किया गया था. इसमें अजमल कसाब भी शामिल था.

Operation Sindoor

3. सरजाल/तेहरा कलां

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नरोवाल जिले (पंजाब, पाकिस्तान) के शकरगढ़ तहसील में स्थित यह जैश-ए-मोहम्मद लॉन्चिंग पैड है, जो एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से संचालित होता है. जम्मू-कश्मीर में सांबा सेक्टर के पास अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगभग 6 किमी दूर स्थित इस जगह का इस्तेमाल सुरंग निर्माण, ड्रोन संचालन, हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए किया जाता है. मोहम्मद अदनान अली और काशिफ जान जैसे जैश-ए-मोहम्मद के वरिष्ठ नेता अक्सर यहां आते हैं. इसकी देखरेख मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर करता है.

4. महमूना जोया सेंटर, सियालकोट

सियालकोट जिले के हेड मारला में भुट्टा कोटली में स्थित इस सेंटर का इस्तेमाल हिजबुल मुजाहिद्दीन जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ के लिए करता है. यहां आतंकियों को हथियार चलाने और रणनीति बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है. इस सेंटर की कमान मोहम्मद इरफान खान (इरफान टांडा) के पास है, जो कई हमलों से शामिल रहा है. यहां अक्सर 20-25 आतंकवादी मौजूद रहते हैं. यहां की सुरक्षा व्यवस्था इन्हीं आतंकियों के हाथ में रहती है.

5. मरकज अहले हदीस, बरनाला 

बरनाला के बाहरी इलाके में कोटे जामेल रोड पर स्थित इस लश्कर सेंटर का उपयोग पुंछ-राजौरी-रियासी क्षेत्र में आतंकियों और हथियारों की घुसपैठ के लिए किया जाता है. इसमें 100-150 आतंकी रहते हैं. यह आतंकी ऑपरेशन के लिए एक स्टेज के रूप में कार्य करता है. कासिम गुज्जर (महरौर), कासिम खंडा और अनस जरार जैसे लश्कर के आतंकी यहीं से काम करते हैं.

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6. मरकज अब्बास, कोटली

इसे मरकज सैदना हजरत अब्बास बिन अब्दुल मुतालिब के नाम से भी जाना जाता है. इसकी देखरेख जैश-ए-मोहम्मद का हाफिज अब्दुल शकूर करता है, जो शूरा का सदस्य और मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर का करीबी सहयोगी है. यहां जैश-ए-मोहम्मद के 100-125 आतंकी रहते हैं. यह पुंछ-राजौरी सेक्टर में घुसपैठ की योजना बनाने और उसे लॉन्च करने के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करता है. कारी जर्रार भारत की एनआईए द्वारा वांछित है.

7. मस्कर राहील शाहिद, कोटली

इस सेंटर पर 150-200 आतंकवादी रहते हैं. यहां उनको हथियार चलाने के प्रशिक्षण के साथ स्नाइपिंग, बीएटी कार्रवाई और पहाड़ी इलाकों में जीवित रहने के बारे में सिखाया जाता है. यह पीओजके में एचएम के सबसे पुराने सेंटरों में से एक है.

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8. शावाई नाल्लाह कैंप, मुजफ्फराबाद

इसे बैत-उल-मुजाहिद्दीन के नाम से भी जाना जाता है. मुजफ्फराबाद-नीलम रोड पर चेलाबंदी ब्रिज के पास स्थित यह लश्कर कैंप 2000 के दशक की शुरुआत से सक्रिय है. यहां रंगरूटों को धार्मिक शिक्षा, शारीरिक प्रशिक्षण, जीपीएस का उपयोग और हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है. 26/11 के हमलावरों ने यहीं प्रशिक्षण लिया था. यहां एक साथ 200-250 आतंकवादी रहते हैं. उत्तरी कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. 

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9. मरकज सैयदना बिलाल

मुजफ्फराबाद में लाल किले के सामने स्थित यह PoJK में JeM का मुख्य केंद्र है. यहां J&K में घुसपैठ से पहले आतंकवादी रुकते हैं. इसमें आमतौर पर 50-100 आतंकवादी रहते हैं. मुफ़्ती असगर खान कश्मीरी इस सेंटर का नेतृत्व करता है. यहां आशिक नेंगरू और अब्दुल्ला जेहादी (अब्दुल्ला कश्मीरी) जैसे बड़े आतंकी रहते हैं. पाकिस्तानी सेना के एसएसजी कमांडो इस सेंटर पर प्रशिक्षण देते हैं.

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