बिहार विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद एक बार फिर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के मुखिया लालू प्रसाद यादव के परिवार में जबरदस्त खलबली मची हुी है. बेटी रोहिणी आचार्य ने शनिवार को अचानक राजनीति से सन्यास लेने और लालू परिवार से नाता तोड़ने का ऐलान करते हुए सबको चौंका दिया.
यह वही रोहिणी हैं जिन्होंने कभी अपने पिता को किडनी दान करके सुर्खियां बटोरी थीं. हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब देश के इस बड़े राजनीतिक परिवार में अंदरूनी कलह सार्वजनिक हुई हो, सत्ता और विरासत को लेकर विवादों का एक लंबा सिलसिला रहा है.
विरासत की शुरुआत और पहली दरार (2017): लालू प्रसाद यादव के परिवार में सियासत के उत्तराधिकार का सवाल हमेशा से चर्चा का विषय रहा है. जब 2017 में चारा घोटाले में लालू यादव जेल गए, तो उन्होंने पार्टी की कमान छोटे बेटे तेजस्वी यादव को सौंप दी. यह कदम बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को नागवार गुजरा और तभी से दोनों भाइयों के बीच राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई. तेज प्रताप कई बार खुद को लालू प्रसाद का 'असली वारिस' बता चुके हैं.
तेज प्रताप का निजी और राजनीतिक विद्रोह (2018–2019): पारिवारिक कलह ने 2018 में नया मोड़ लिया, जब तेज प्रताप ने शादी के पांच महीने बाद ही पत्नी ऐश्वर्या राय से तलाक की अर्जी दी. उन्होंने सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाया कि परिवार उनकी बात नहीं सुनता और "घुट-घुटकर जीने से कोई फ़ायदा है नहीं."
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इसके बाद, 2019 लोकसभा चुनाव से पहले तेज प्रताप ने RJD से इस्तीफा देकर "लालू-राबड़ी मोर्चा" बनाया और अपनी पसंद के उम्मीदवार को टिकट न मिलने पर जहानाबाद सीट से चंद्र प्रकाश को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतार दिया, जिससे RJD उम्मीदवार मात्र 1,751 वोट से हार गए.
इसी साल राबड़ी देवी-ऐश्वर्या राय विवाद भी हुआ. ऐश्वर्या राय दोपहर में अचानक राबड़ी आवास से रोती हुई निकलीं और बाद में सास राबड़ी देवी व ननद मीसा भारती पर दुर्व्यवहार, प्रताड़ना और खाना न देने जैसे गंभीर आरोप लगाए. बाद में उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि राबड़ी देवी और मीसा भारती मुझे प्रताड़ित करती हैं. तब ऐश्वर्या ने कहा,“मुझे खाना तक नहीं दिया जाता. किचन में जाने नहीं देते, खाना मायके से आता है." यह घटना पूरे परिवार की खुली कलह का प्रतीक बन गई.
अपनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से भिड़ गए तेज प्रताप (2021): 2021 में, तेज प्रताप ने अपनी ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह से भिड़कर फिर से विद्रोह किया, जब जगदानंद ने उनके करीबी को निलंबित किया था. दरअसल जगदानंद सिंह ने जिस छात्र आरजेडी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष आकाश यादव को सस्पेंड किया था वो तेज प्रताप का करीबी था .तेज प्रताप ने इसे आरजेडी के संविधान के ख़िलाफ़ बताया था. हालांकि तेजस्वी यादव ने तब जगदानंद सिंह का समर्थन किया था.
निष्कासन और सलाहकारों पर आरोप (2022-2025): 2022 और 2023 में तेज प्रताप ने कई बार दावा किया कि उन्हें राजनीतिक रूप से हाशिये पर धकेला जा रहा है. उन्होंने तेजस्वी के सहयोगी संजय यादव पर अपने खिलाफ साज़िश रचने और उन्हें 'जयचंद' कहकर निशाना साधा.
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मई 2025 में, तेज प्रताप के फेसबुक पोस्ट में एक महिला (अनुष्का यादव) के साथ 12 साल के रिश्ते का दावा करने पर, लालू यादव ने इसे "गैर-जिम्मेदार व्यवहार" बताते हुए उन्हें 6 साल के लिए RJD और परिवार से निष्कासित कर दिया और पारिवारिक रिश्ते भी तोड़ दिए. तेज प्रताप ने इसका पूरा ठीकरा तेजस्वी के सबसे करीबी सहयोगी संजय यादव पर फोड़ा और उन्हें "जयचंद" कहा.
रोहिणी आचार्य का 'परिवार त्याग' (सितंबर-नवंबर 2025): परिवार की कलह सितंबर 2025 में एक नए स्तर पर पहुंची, जब लालू के प्रति वफादार बेटी रोहिणी आचार्य ने भी विद्रोह किया. तेजस्वी के करीबी संजय यादव के बढ़ते प्रभाव से नाराज़ रोहिणी ने X पर लालू, तेजस्वी, तेज प्रताप और मीसा सहित सभी को अनफॉलो कर दिया और संजय यादव को "जयचंद" कहा.
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नवंबर 2025 में, बिहार चुनाव में हार के बाद यह कलह अपने चरम पर पहुंच गई. रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव और रमीज नेमत पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने लिखा कि वह राजनीति छोड़ रही हैं और "अपने परिवार से नाता तोड़ रही हैं" क्योंकि इन लोगों ने उन्हें परिवार से बाहर कर दिया है और हार की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते. यह घटना लालू परिवार में कलह का सबसे ताज़ा मामला रहा.