Ring of Fire में हलचल... साइबेरिया से अलास्का तक भूकंप-सुनामी जोन के रूप में क्यों जाना जाता है?

साइबेरिया से अलास्का तक का इलाका भूकंप और सुनामी जोन इसलिए है क्योंकि ये रिंग ऑफ फायर का हिस्सा है, जहां पैसिफिक और नॉर्थ अमेरिकन प्लेट्स आपस में टकराती हैं. सबडक्शन और फॉल्ट लाइन्स की वजह से यहां भूकंप आम हैं. समुद्र तल की हलचल सुनामी लाती है. ये प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन इंसानों की तैयारी से इसके नुकसान को कम किया जा सकता है.

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इस नक्शे में आप देख रहे हैं रिंग ऑफ फायर का इलाका. जिसमें जापान, साइबेरिया, अलास्का समेत कई देश आते हैं. (Photo: AFP) इस नक्शे में आप देख रहे हैं रिंग ऑफ फायर का इलाका. जिसमें जापान, साइबेरिया, अलास्का समेत कई देश आते हैं. (Photo: AFP)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 30 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 10:32 AM IST

क्या आपको पता है कि साइबेरिया से लेकर अलास्का तक का विशाल इलाका भूकंप और सुनामी के लिए मशहूर क्यों है? ये क्षेत्र हर साल कई भूकंप और कभी-कभी सुनामी का गवाह बनता है. लेकिन आखिर ऐसा क्यों होता है? इसके पीछे पृथ्वी की साइंस और भूगोल की एक बड़ी कहानी छिपी है. आइए, समझते हैं कि ये इलाका ऐसा जोन क्यों बना? 

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ये इलाका कहां पड़ता है?

साइबेरिया रूस का उत्तरी हिस्सा है, जो ठंडे साइबेरियन टुंड्रा से घिरा है. अलास्का अमेरिका का सबसे उत्तरी राज्य है, जो बर्फीले पहाड़ों और जंगलों से भरा है. इन दोनों के बीच अरकटिक महासागर और बेरिंग सागर फैला है. ये पूरा क्षेत्र प्रशांत महासागर के उत्तरी किनारे पर आता है, जो इसे भूकंप और सुनामी के जोन में डालता है. इसे वैज्ञानिक रिंग ऑफ फायर का हिस्सा कहते हैं.

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रिंग ऑफ फायर क्या है?

रिंग ऑफ फायर पृथ्वी के उस हिस्से को कहते हैं, जो प्रशांत महासागर के चारों ओर एक घेरे की तरह फैला है. ये इलाका ज्वालामुखियों और भूकंपों के लिए जाना जाता है. साइबेरिया से अलास्का तक का क्षेत्र इस घेरे का उत्तरी किनारा है. इसकी लंबाई करीब 40,000 किलोमीटर है. इसमें 75% से ज्यादा भूकंप और 80% ज्वालामुखी इसी क्षेत्र में होते हैं. तो सवाल उठता है कि ऐसा क्यों होता है? इसके पीछे पृथ्वी की सतह की गतिविधियां जिम्मेदार हैं.

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टेक्टोनिक प्लेट : पृथ्वी की चट्टानों की कहानी

पृथ्वी की सतह कई बड़े टुकड़ों से बनी है, जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट्स कहते हैं. ये प्लेट्स धीरे-धीरे आपस में टकराती, खिसकती या एक-दूसरे के नीचे दबती हैं. साइबेरिया से अलास्का तक का इलाका पैसिफिक प्लेट और नॉर्थ अमेरिकन प्लेट के बीच की सीमा पर पड़ता है. ये दोनों प्लेट्स हर साल कुछ सेंटीमीटर की रफ्तार से एक-दूसरे के खिलाफ खिसकती हैं.

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  • सबडक्शन जोन: पैसिफिक प्लेट नॉर्थ अमेरिकन प्लेट के नीचे धंसती है, जिसे सबडक्शन कहते हैं. इस प्रक्रिया में जब ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकराती हैं, तो भारी दबाव बनता है.  
  • भूकंप: जब ये दबाव ज्यादा बढ़ जाता है, तो प्लेट्स अचानक टूटती या खिसकती हैं, जिससे भूकंप आता है. ये इलाका इसलिए भूकंप जोन है क्योंकि यहां ये गतिविधि लगातार होती रहती है.

उदाहरण के लिए, 1964 में अलास्का में 9.2 तीव्रता का भूकंप आया था, जो इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा भूकंप था.

सुनामी कैसे आती है?

भूकंप के बाद समुद्र की सतह में जब बड़ा बदलाव होता है, तो सुनामी पैदा होती है. साइबेरिया से अलास्का तक का इलाका समुद्र के किनारे होने की वजह से सुनामी का जोखिम भी रहता है. जब प्लेट्स नीचे दबती हैं, तो समुद्र तल में उथल-पुथल होती है, जिससे विशाल पानी की लहरें उठती हैं. ये लहरें तेजी से तटों की ओर बढ़ती हैं. तबाही मचा सकती हैं.

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उदाहरण: 1958 में अलास्का के लिटुइया बे में एक भूकंप के बाद 524 मीटर ऊंची सुनामी आई थी, जो अब तक की सबसे ऊंची सुनामी मानी जाती है.

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क्यों ये क्षेत्र खास है?

  • जियोलाइजिकल गतिविधि: इस इलाके में प्लेटों की गतिविधि बहुत तेज है, जो भूकंप और ज्वालामुखियों को जन्म देती है.  
  • ज्वालामुखी: अलास्का में कई सक्रिय ज्वालामुखी हैं, जैसे माउंट रेडाउट और माउंट स्पर, जो प्लेट टेक्टोनिक्स का नतीजा हैं.
  • अलास्का का भूकंप रिकॉर्ड: अलास्का में हर साल 10,000 से ज्यादा भूकंप आते हैं, हालांकि ज्यादातर हल्के होते हैं.  
  • साइबेरिया का योगदान: साइबेरिया में भी भूकंप कम नहीं होते, खासकर पूर्वी हिस्से में, जो रूस को इस जोन में लाता है.

विज्ञान क्या कहता है?

पृथ्वी की सतह की ये प्लेटें हर साल 2-5 सेंटीमीटर की रफ्तार से खिसकती हैं. ये गति धीमी है, लेकिन लाखों सालों में बड़े बदलाव लाती है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस क्षेत्र में फॉल्ट लाइन्स (टूटन रेखाएं) बहुत सक्रिय हैं, जो भूकंप और सुनामी को ट्रिगर करती हैं.

मॉनिटरिंग: आजकल अलास्का में USGS (यूएस जियोलॉजिकल सर्वे) और रूस में खास सेंसर लगे हैं, जो भूकंप की शुरुआत का पता लगाते हैं.  
जलवायु परिवर्तन: ग्लोबल वॉर्मिंग से बर्फ पिघलने से समुद्र का स्तर और दबाव बढ़ रहा है, जो सुनामी के जोखिम को और बढ़ा सकता है.

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इसका असर क्या है?

  • जीवन पर: ये भूकंप और सुनामी स्थानीय लोगों, मछुआरों और वन्यजीवों के लिए खतरा हैं.  
  • अर्थव्यवस्था: मछली पकड़ने और तेल उद्योग को नुकसान होता है.  
  • तैयारी: अलास्का और रूस ने अब बेहतर चेतावनी सिस्टम और इमारतों के डिजाइन में सुधार किया है.
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