Chandrayaan 3 Commands: चंद्रयान-3 की लैंडिंग से पहले एक-एक पैरामीटर पर रखी जा रही नजर... देखें ISRO कमांड सेंटर के अंदर की तस्वीरें

Chandrayaan-3 के विक्रम लैंडर में कमांड लोड कर दिए गए हैं. दोपहर तक इसे लॉक कर दिया जाएगा. फिलहाल लैंडर के सभी हिस्सों की जांच चल रही है. हेल्थ चेकअप चल रहा है. लेकिन सवाल ये है कि लैंडर को कमांड किसने भेजा? ये कौन सी टीम है जो चंद्रयान-3 को कमांड भेज रही है? इसका कंट्रोल रूम कहां है?

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ये है बेंगलुरु स्थित ISTRAC सेंटर, जहां से चंद्रयान-3 की हर हरकत, चाल, दशा और दिशा पर नजर रखी जा रही है. (सभी फोटोः ISRO/AFP) ये है बेंगलुरु स्थित ISTRAC सेंटर, जहां से चंद्रयान-3 की हर हरकत, चाल, दशा और दिशा पर नजर रखी जा रही है. (सभी फोटोः ISRO/AFP)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 23 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 3:30 PM IST

Chandrayaan-3 फिलहाल 25 km x 134 km की ऑर्बिट में घूम रहा है. लेकिन लैंडिंग की शुरुआत वह 30.5 km से करेगा. इस चीज की कमांड उसे दे दी गई है. लैंडिंग कैसे करनी है, इस चीज की कमांड दी गई है. कहां करनी है. जगह कैसे चुनना है. कितनी देर और कितनी स्पीड में लैंड करना है? असल में ये कमांड्स देता कौन है. 

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कौन इन कमांड्स की जांच करता है. कौन ये बताता है कि विक्रम लैंडर और रोवर की सेहत सही है. असल में इन सारे कामों के पीछे दो बड़े सेंटर काम करते हैं. पहला कमांड सेंटर श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर में है. जो रॉकेट लॉन्च होने के बाद सैटेलाइट के ऑर्बिट तक पहुंचने तक कमांड देखता है. 

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ISTRAC बेंगलुरु में इसरो साइंटिस्ट लगातार चंद्रयान-3 के लैंडर पर नजर रख रहे हैं. (फोटोः ISRO)

इसे कहते हैं मिशन कंट्रोल सेंटर (MCC). श्रीहरिकोटा में यह इमारत एक एलियन स्पेसशिप की तरह दिखती है. लेकिन जब सैटेलाइट अंतरिक्ष में यात्रा करने लगता है. दूर पहुंच जाता है तब इसरो का बेंगलुरु स्थित सेंटर काम करता है. 

अब बात करते हैं बेंगलुरु स्थित इस्ट्रैक की. यानी इसरो टेलिमेंट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISRO Telemetry, Tracking And Command Network -ISTRAC). यह सेंटर पूरी दुनिया में फैले इसरो के छोटे-छोटे सेंटर्स, नासा, यूरोपियन स्पेस एजेंसी और कई अन्य देशों के राडार सिस्टम से अपने सैटेलाइट्स और स्पेसक्राफ्ट्स पर नजर रखता है. यह बेंगलुरु के पीनिया इंडस्ट्रियल एरिया में है. 

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चंद्रयान-3 मिशन की स्पेशल कवरेज देखने के लिए यहां क्लिक करें 

इसके अंदर मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (MOX) बने हुए हैं. जो अलग-अलग सैटेलाइट्स और स्पेसक्राफ्ट की सेहत, दशा और दिशा पर नजर रखते हैं. उनसे जरूरी काम कराते हैं. ये असल में नासा के ह्यूस्टन जैसा सेंटर है. 

इस सेंटर का मुख्य काम है इसरो द्वारा लॉन्च किए गए किसी भी सैटेलाइट की सेहत, नियंत्रण, ट्रैकिंग, कमांडिंग, डेटा रिसीव करना या देना, नेटवर्क कॉर्डिनेशन करना. टेलिमेट्री डेटा रिसीव करना. टेलिमेट्री डेटा रिसीव करना इसलिए जरूरी है ताकि लॉन्च व्हीकल यानी रॉकेट की लॉन्चिंग के बाद से लेकर सैटेलाइट के ऑर्बिट में आने तक या उसके आगे की यात्रा में उस पर नजर रखी जा सके. उससे टू-वे कम्यूनिकेशन हो सके. 

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स्पेसक्राफ्ट और सैटेलाइट या स्पेसक्राफ्ट के बीच सही समन्वय बनाना. ग्राउंड स्टेशंस को सही तरह से प्लानिंग करने में मदद करता है. मिशन पूरा होने तक राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय सैटेलाइट के रास्ते, काम और सेहत पर नजर रखना. भारत में और देश के बाहर ISTRAC के कई सेंटर्स हैं. जहां से वह अपने अलग-अलग सैटेलाइट्स पर नजर रखता है. 

भारत में ISTRAC के सेंटर्स

- हैदराबाद
- बेंगलुरु
- लखनऊ
- पोर्ट ब्लेयर
- श्रीहरिकोटा
- तिरुवनंतपुरम

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देश के बाहर ISTRAC के ग्राउंड स्टेशन

- पोर्ट लुईस, मॉरीशस
- बीयर लेक्स, रूस
- बियाक, इंडोनेशिया
- ब्रुनेई
- स्वालबार्ड, नॉर्वे
- ट्रोल, अंटार्कटिका
- वियतनाम
- गातुन लेक, पनाना
- साओ टोमे एंड प्रिंसिपी, पश्चिमी अफ्रीका

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