चंद्रमा
चंद्रमा (Moon) पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है (Natural satellite of Earth). पृथ्वी के व्यास के लगभग एक-चौथाई है. यह सौर मंडल का पांचवां सबसे बड़ा उपग्रह है (Fifth satellite of the Solar System).
चंद्रमा पर वातावरण, जलमंडल या चुंबकीय क्षेत्र नहीं है. इसकी सतह का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के लगभग एक-छठे (One sixth) (0.1654 ग्राम) है.
Somnath Mandir: दक्ष प्रजापति नाम के राजा के श्राप से मुक्त होते ही चंद्रमा ने अन्य देवताओं के साथ मिलकर भगवान शिव से यह प्रार्थना की कि वो माता पार्वती के साथ हमेशा के लिए यहां स्थापित हो जाएं. उनकी इस प्रार्थना को स्वीकार करते हुए भगवान शिव ज्योतर्लिंग के रूप में माता पार्वती के साथ यहां विराजमान हो गए.
चीन और रूस ने चंद्रमा पर न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाने की डील की है, जो 2036 तक पूरी होगी. जानें इस मिशन से जुड़ी खास बातें.
चीन और रूस मिलकर चंद्रमा पर न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाने जा रहे हैं. दोनों में डील हो चुकी है. 2036 तक दोनों देशों का ये मिशन पूरा हो जाएगा. इसका नुकसान अमेरिका को भुगतना पड़ेगा. नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम पर बजट कटौती और देरी ने अमेरिका की चंद्र महत्वाकांक्षाओं को कमजोर किया है.
2024 PT5 और कामो’ओलेवा की खोज से पता चलता है कि पृथ्वी के पास चंद्रमा के टुकड़ों की एक पूरी आबादी हो सकती है. ये टुकड़े हमें चंद्रमा की टक्करों और सौर मंडल के इतिहास के बारे में नई जानकारी दे सकते हैं. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि भविष्य में ऐसे मिनीमून और मिलेंगे जो अंतरिक्ष के रहस्यों को समझने में मदद करेंगे.
चांद की सतह पर दो गड्ढे मिले है, जो एक रहस्यमयी रॉकेट की टक्कर से बना है. लेकिन उसके आसपास कहीं भी रॉकेट के बूस्टर या हिस्से का कोई अता-पता नहीं चल रहा है. यह टक्कर चार महीने पहले हुई थी. तस्वीरें नासा के LRO ने ली हैं. वैज्ञानिकों को समझ नहीं आ रहा कि रॉकेट के एक हिस्से की टक्कर से दो गड्ढे कैसे बन गए?
सूर्य और चंद्रमा के अशुभ वैधृति योग का निर्माण होने से विशेष तौर पर 3 राशियों पर नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है. आइए जानतें हैं कौनसी हैं वे 3 राशियां.
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने 2032 में पृथ्वी के पास से गुजरने वाले क्षुद्रग्रह 2024 वाईआर4 को देखा. उसकी गणना के अनुसार पृथ्वी सुरक्षित है, लेकिन चंद्रमा खतरे में हो सकता है. अगर चांद में कोई फर्क पड़ता है तो उसका असर धरती पर भी दिखाई देगा.
14 मार्च यानी होली के दिन दुनिया को 'खूनी चांद' का नजारा दिखेगा. करीब ढाई साल बाद इस लाल चंद्रमा का पूर्ण ग्रहण भी होगा. साइंटिस्ट इसे ब्लड मून (Blood Moon) कहते हैं. क्योंकि यह खून जैसा लाल दिखता है. आइए जानते हैं कि ये ब्लड मून क्या होता है?
NASA के कमर्शियल लूनर पेलोड सर्विसेज़ (CLPS) कार्यक्रम के तहत इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के साउथ पोल के करीब उतरना है. कारण, यह क्षेत्र वैज्ञानिक और संसाधन खोज के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. एथेना का लैंडिंग स्थल Mons Mouton चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से लगभग 160 किलोमीटर दूर स्थित है. यह किसी भी अंतरिक्ष यान द्वारा अब तक का सबसे निकटतम प्रयास है.
SpaceX Falcon 9 रॉकेट ने केप कैनावेरल में कैनेडी स्पेस सेंटर से नासा के लूनर ट्रेलब्लेज़र ऑर्बिटर को लेकर उड़ान भरी. लूनर ट्रेलब्लेज़र अंतरिक्ष यान को लॉकहीड मार्टिन के LMT.N स्पेस डिवीजन द्वारा बनाया गया था.
दशकों से ये माना जा रहा था कि बृहस्पति ग्रह के बर्फीले चांद यूरोपा की बर्फ की मोटी चादरों के नीचे जीवन होगा. लेकिन ये परत इतनी मोटी है कि जीवन की उम्मीद भी बेकार हो चुकी है. बर्फ इस मोटी परत के नीचे नमकीन पानी का समंदर है. लेकिन हाल ही में आइस शीट की चौड़ाई के खुलासे के बाद वैज्ञानिक हैरान हैं.
धरती के पास दो महीने तक 'दूसरा चंद्रमा' था. जो 25 नवंबर 2024 को पृथ्वी को छोड़कर अंतरिक्ष में निकल गया. सवाल ये है कि क्या अब ये मिनी-मून कभी वापस लौटेगा. या अब ये कभी धरती की ओर नहीं आएगा. ये चांद 29 सिंतबर से 25 नवंबर तक हमारी धरती की ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा था.
ISRO तैयार है. Chandrayaan-4 अगले चार साल में लॉन्च करने की प्लानिंग है. इस बार ये मिशन कई जटिल तकनीकी घटनाओं का मिश्रण होगा. इस मिशन में कई कमाल की चीजें होंगी. चांद से मिट्टी-पत्थर का सैंपल धरती पर लाया जाएगा. अंतरिक्ष में डॉकिंग-अनडॉकिंग होगी.
NASA वैज्ञानिकों को एक ऐसा चंद्रमा मिला है, जो खत्म हो रहा है. उसकी सतह पर लावा फूट रहा है. यह चंद्रमा हमारे चंद्रमा जैसा शांत नहीं है. सतह पर लावा बह रहा है. बीच-बीच में इससे जहरीली गैस निकल रही है. साथ ही यह बिजलियां भी उगल रहा है. ऐसा लग रहा है कि ये मरने वाला है.
NASA ने Europa Clipper नाम का स्पेसक्राफ्ट बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा यूरोपा की तरफ भेज दिया है. 290 करोड़ km की यात्रा पूरी करने में इस यान को करीब 6 साल लगेंगे. यानी यह 2030 में यूरोपा तक पहुंचेगा. वहां यूरोपा की सतह के नीचे मौजूद समंदर में जीवन की खोज करेगा.
धरती को दो महीनों के लिए दूसरा चांद मिलने वाला है. ये एक मिनी मून (Mini-Moon). ये छोटा चंद्रमा 29 सितंबर से 25 नवंबर तक धरती का चक्कर लगाएगा. जानिए आप इसे देख पाएंगे या नहीं...
क्या आपने कभी सोचा है कि अगर पृथ्वी के दो चंद्रमा होंगे तो क्या होगा? कुछ ऐसा ही जल्द होने वाला है. क्योंकि कुछ समय के लिए पृथ्वी के 'दो चंद्रमा' होने वाले हैं. पृथ्वी अपनी कक्षा में एक एस्टेरॉयड को आकर्षित करने वाला है. वैज्ञानिक इसे मिनी मून कह रहे हैं. हालांकि यह कुछ महीनों के लिए ही पृथ्वी के मिनी मून के रूप में रहेगा. देखें वीडियो.
चंद्रमा के खनिजों का बना रहे थे नक्शा.. वैज्ञानिकों को मिला पानी और ऑक्सीजन का खजाना.
सितंबर के महीने में धरती के पास मिनी मून नजर आएगा. ये मिनी मून 29 सितंबर से 25 नवंबर तक धरती का चक्कर लगाएगा.
चंद्रमा पर खनिजों का नक्शा बनाने के बाद वैज्ञानिकों को पूरी सतह पर पानी मिला है. इसके साथ ही मिला है हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बनने वाला हाइड्रोक्सिल. ये वहां भी मिला है, जहां पर सूरज की रोशनी काफी तेज है. यानी बहुत तेज रोशनी और गर्मी में भी पानी के ये कण खत्म नहीं हो रहे हैं.
धरती को दो महीनों के लिए दूसरा चांद मिलने वाला है. या यूं कहे कि मिनी मून (Mini-Moon). कहीं दूसरी दुनिया से कोई हमारी धरती पर विंडो शॉपिंग करने तो नहीं आ रहा. ये मिनी मून 29 सितंबर से 25 नवंबर तक धरती का चक्कर लगाएगा. आइए जानते हैं सुदूर अंतरिक्ष से आ रहे इस नए मेहमान के बारे में...