चंद्रयान
चंद्रयान प्रोग्राम (Chandrayaan programme) या चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम (Indian Lunar Exploration Programme), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का एक बाह्य अंतरिक्ष मिशनों के लिए सीरीज है. इस प्रोग्राम में चंद्र ऑर्बिटर (lunar orbiter), इंपैक्टर (impactor), सॉफ्ट लैंडर (soft lander) और रोवर अंतरिक्षयान (rover spacecraft) शामिल हैं. इस मिशन का नाम संस्कृत भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है 'Moon-craft' (Meaning of Chandrayaan).
चंद्रयान प्रोग्राम एक बहु मिशन कार्यक्रम है (Chandrayaan, multiple mission Programme). सितंबर 2019 तक, इसरो के वर्कहॉर्स PSLV रॉकेट का उपयोग करते हुए, एक इंपैक्टर जांच के साथ एक ऑर्बिटर को चंद्रमा पर भेजा गया है. 22 जुलाई 2019 को GSLV Mk III रॉकेट का उपयोग करके ऑर्बिटर, सॉफ्ट लैंडर और रोवर से युक्त दूसरा अंतरिक्षयान लॉन्च... और पढ़ें
Shukrayaan Mission: चंद्रयान (Chandrayaan) और मंगलयान (Mangalyaan) भेजने के बाद ISRO अब शुक्र ग्रह पर मिशन भेजने की तैयारी में है. इसका नाम शुक्रयान (Shukrayaan) रखा जा सकता है. इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ (S. Somnath) ने कहा कि इस मिशन की लॉन्चिंग दिसंबर 2024 में की जाएगी.
चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की पहली तस्वीरें आखिरकार हमारे सामने आ गई हैं. एक डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से ISRO ने इस मिशन की तस्वीरें साझा की हैं. इस मिशन के अगस्त में लॉन्च किए जाने की उम्मीद है.
चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के ऑर्बिटर यानी चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहे सैटेलाइट ने हाल ही में सूरज के गुस्से को देखा है. उसमें लगे एक यंत्र ने बताया कि इस समय सूरज बहुत ज्यादा विकिरण फेंक रहा है. यानी सोलर रेडिएशन (Solar Radiation), जो अंतरिक्ष में मौजूद एस्ट्रोनॉट्स के लिए खतरनाक है.
Chandrayaan-3 की लॉन्चिंग इस साल अगस्त में हो सकती है. यह जानकारी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान के कैबिनेट मिनिस्टर (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में दी. आइए समझते हैं कि चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग कब और कैसे होगी. वह किस तरह से काम करेगा? क्या उसमें चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) की तरह लैंडर और रोवर जाएंगे? क्या फिर से विक्रम लैंडर जैसा हादसा तो नहीं होगा?
झारखंड सरकार राज्य में मॉब लिंचिंग और हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए मॉब लिंचिंग बिल लेकर आ रही है. इस बिल को आज सदन में पेश किया जाएगा. बीजेपी विधायक इस बिल में संशोधन की मांग कर रहे हैं, जबकि कांग्रेसी विधायकों ने बिल का स्वागत किया है. हालांकि सरकार के पास बिल पास कराने के लिए पर्याप्त संख्या बल है.
ISRO ने पिछले महीने एक बड़ी घटना होने से रोक दिया. असल में हुआ यूं कि चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहे अमेरिका के लूनर रीकॉनसेंस ऑर्बिटर ( NASA- LRO) और चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के बीच टक्कर होने वाली थी. दोनों अलग-अलग कक्षाओं में घूम रहे थे, लेकिन एक जगह ऐसी आ रही थी, जहां पर LRO और चंद्रयान-2 की टक्कर हो सकती थी. इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 का ऑर्बिट बदलकर हादसा रोका.
अंतरिक्ष में अब तैनात होगा भारत का जेम्स बॉन्ड. ये भारत की वो निगाहें हैं जिनसे कोई नहीं बच सकता. भारत के इस पहरेदार को अंतरिक्ष में पहुंचाने के लिए इसरो ने सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं. कल सुबह भारत का ये प्रहरी अंतरिक्ष के सफर पर निकल जाएगा. तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, हिंदुस्तान की ये खुफिया निगाहें अंतरिक्ष के सफर पर निकलने वाली हैं. सैलेलाइट रॉकेट पर लोड हो चुका है, रॉकेट में ईंधन भरा जा चुका है, सभी मशीनें दुरुस्त हैं, सभी सर्किट चेक हो चुके हैं, उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और गुरुवार सुबह हिंदुस्तान की ये पैनी नजर अंतरिक्ष के सफर पर रवाना हो जाएगी. देखिए ये रिपोर्ट.
अमेरिकी वैज्ञानिकों का मानना है कि चांद के गड्ढों यानी क्रेटर्स में दिन में भी बर्फीला पानी मिल सकता है. क्योंकि कई क्रेटर ऐसे हैं, जिनकी परछाइयों की वजह से अंधेरे वाले हिस्से में चांद की सतह पर काफी ठंडक रहती है. यानी क्रेटर का वो हिस्सा जहां कभी सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती. यही स्थिति बड़े पत्थरों के पीछे बनने वाली परछाइयों के साथ भी है.
तुलनात्मक रूप में SOFIA ने चंद्रमा की सतह पर जितनी पानी की खोज की है उसकी मात्रा अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान में मौजूद पानी की तुलना में 100 गुना कम है. पानी की इस छोटी मात्रा के बावजूद यह खोज नए सवाल उठाती है कि चंद्रमा की सतह पर पानी कैसे बनता है.
इस बार चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर से चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर थोड़ा अलग होगा. चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर में पांच इंजन (थ्रस्टर्स) थे लेकिन इस बार चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में सिर्फ चार ही इंजन होंगे. इस मिशन में लैंडर और रोवर जाएंगे. चांद के चारों तरफ घूम रहे चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के साथ लैंडर-रोवर का संपर्क बनाया जाएगा.
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के चंद्रयान-1 ने बड़ी खोज की है. उसने कुछ ऐसी तस्वीरें ली हैं, जिससे ये पता चल रहा है कि चांद को जंग लग रहा है. इसपर जंग लगने के दाग दिख रहे हैं. यानी की चांद पर लोहे की मौजूदगी है. चांद की सतह पर ऑक्सीडाइज्य आयरन यानी लोहे के अंश हेमेटाइट दिखाई पड़े हैं.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र यानी इसरो (ISRO) अगले साल चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की लॉन्चिंग करेगा. इस मिशन में लैंडर और रोवर जाएंगे. चांद के गड्ढों पर चंद्रयान-3 के लैंडर-रोवर अच्छे से उतर कर काम कर सकें, इसके लिए बेंगलुरु से 215 किलोमीटर दूर छल्लाकेरे के पास उलार्थी कवालू में नकली चांद के गड्ढे तैयार किए जाएंगे.
चंद्रयान-2 का 1 साल पूरा, लगाए चांद के 4400 चक्कर, 7 साल और करेगा काम
Chandrayaan-2 की लॉन्च तारीख नहीं थी सही, प्रमाण है पुराना इतिहास!
चंद्रयान-2 के बाद अब भारत चंद्रयान-3 की तैयारी शुरू कर रहा है. इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने आज मीडिया से बातचीत में बताया कि इसरो को सरकार से चंद्रयान-3 के लिए मंजूरी मिल गई है और यह प्रोजेक्ट शुरू कर दिया गया है. इसरो चीफ के मुताबिक 2020 में ही इस मिशन को लॉन्च किया जाएगा. चंद्रयान-3 पर चंद्रयान-2 से भी कम लागत आएगी. इसरो चीफ का मानना है कि भले ही चंद्रयान- 2 सफलतापूर्वक लैंड नहीं कर पाया लेकिन इसका ऑर्बिटर अभी भी काम कर रहा है और अगले सात सालों तक करता रहेगा और इसी के ऑर्बिटर से चंद्रयान-3 में मदद ली जाएगी.
साल के पहले ही दिन आंतकियों की बड़ी साजिश सामने आई है. रजौरी में आतंकियों ने घुसपैठ के प्लान को अंजाम देने की कोशिश की. नौशेरा में आतंकियों की घेराबंदी की गई. फायरिंग के दौरान सेना के दो जवान शहीद हो गए. इसके अलावा देखें साल के पहले दिन ही सरकार ने महंगाई का हॉर्न बजा दिया है और आज से रेलवे का सफर हर किसी के लिए महंगा हो चला है. देखें एक और एक ग्यारह का ये एपिसोड.
'बुलंदियों का बड़े से बड़ा निशान छुआ, उठाया गोद में मां ने तब आसमान छुआ, अभी जिंदा है मां मेरी, मुझे कुछ भी नहीं होगा, शायर मुन्नवर राणा का ये शेर मध्य प्रदेश के खरगोन में 22 वर्षीय दिव्यांग आयुष कुंडल पर सटीक बैठता है. दोनों पैरो से दिव्यांग बड़वाह निवासी आयुष ना तो अपने हाथों से कुछ कर सकता है, ना ही ढंग से बैठ सकता है और ना ही बोल सकता है. कुदरत ने उसे दिव्यांग तो बना दिया लेकिन पैरों में ऐसी कला दे दी है कि हर कोई उसे देखकर दंग रह जाता है. आयुष कुंडल अपने पैरों से बहुत सुदंर पेंटिंग करते हैं. आयुष अबतक 100 से ज्यादा पेटिंग्स बना चुके हैं. उनकी पेंटिंग्स देखकर हर कोई दंग रह जाता है. आयुष की मां का कहना है कि उनके बेटे का सपना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन से मिलना है. वीडियो देखें.
चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा मिल गया है. नासा ने चांद की सतह पर ही मलबे को खोज निकाला ये मलबा क्रैश साइट से 750 मीटर दूर मिला. नासा के मून मिशन ने 3 टुकड़ों में मलबे को तलाशा. NASA ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि उसके उसका लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को ढूढ़ लिया है. मलबे के तीन सबसे बड़े टुकड़े 2x2 पिक्सेल के हैं.